दिल्ली से लेकर जम्मू-कश्मीर तक भूकंप के तेज झटकों से थर्राया
– जम्मू-कश्मीर के डोडा में था भूकंप का केंद्र
– मंगलवार दोपहर डेढ़ बजे के करीब कांपी धरती, घबराए लोग घरों से बाहर निकले
नई दिल्ली। दिल्ली, नोएडा समेत एनसीआर के इलाके मंगलवार दोपहर भूकंप के झटकों से दहल गए। दोपहर करीब डेढ़ अचानक धरती डोली। जम्मू-कश्मीर से लेकर चंडीगढ़ तक लोगों ने झटके महसूस किए जाने की जानकारी दी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जम्मू-कश्मीर के डोडा में था। इसकी गहराई जमीन से 6 किलोमीटर अंदर थी। श्रीनगर के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि भूकंप से स्कूल के बच्चे घबरा गए, दुकानों में जो लोग थे वे बाहर आ गए। पिछले हफ्ते भी ऐसा ही हुआ था। आज के झटके ज्यादा तेज थे।
पिछले कई महीनों से लगातार ये हो रहा है। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप मंगलवार दोपहर एक बजकर 33 मिनट पर आया और लगभग 30 सेकंड तक इसके झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में काम करने वाले कई लोगों ने भूकंप के झटके महसूस करने के बात कही। उनका कहना था कि काफी देर तक उन्हें भूकंप के ये झटके महसूस हुए।
चीन-पाकिस्तान तक असर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन और पाकिस्तान में भी भूकंप का असर रहा। अभी तक कहीं से जान-माल के नुकसान की खबर नहीं आई है। यूरोपियन-मेडेटेरेनियम सीस्मोलॉजिकल सेंटर (ईएमएससी) के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ से 30 किमी दक्षिण पूर्व में रिक्टर पैमाने पर 5.7 तीव्रता का भूकंप आया।
इसलिए आता है भूकंप
कैसे और क्यों आता है इसे वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्वी की संरचना को समझना होगा। दरअसल, ये पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है। इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है। ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
हाई रिस्क सिस्मिक जोन में आता है दिल्ली
बता दें दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके का मामला कोई पहली बार नहीं आया है, इससे पहले भी कई बार यहां भूकंप को महसूस किया गया है, ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में दिल्ली को हाई रिस्क सिस्मिक जोन में रखा गया है। इससे पहले 21 मार्च को दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटकों को लोगों ने महसूस किया था। उस समय भूकंप की तीव्रता 6.6 थी। रिक्टर पैमाने पर इतनी तीव्रता के भूकंप को काफी खतरनाक माना जाता है।
क्या होता है सिस्मिक जोन?
सिस्मिक जोन का मतलब है उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र यानी वो जगह जहां भूकंप आने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। भारत में भूकंप की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे 2 से लेकर 5 तक के जोन में बांटा गया है। इसमें सबसे ज्यादा खतरनाक सिस्मिक जोन 5 है, जहां आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की आशंका रहती है। भारत का करीब 11 फीसदी हिस्सा 5वें जोन में आता है।
18 फीसदी चैथे और 30 फीसदी तीसरे जोन में आता है। बाकी बचे हिस्से पहले और दूसरे जोन में आते हैं। एरिया के स्ट्रक्चर के आधार पर इलाके को भूकंप की दृष्टि से खतरनाक और कम खतरनाक जोन में विभाजित किया जाता है। बढ़ती आबादी और तेजी से बनती ऊंची इमारतों के कारण दिल्ली-एनसीआर भूकंप की दृष्टि से और भी खतरे के घेरे में रखा गया है।
सिस्मिक जोन 5: सिस्मिक जोन 5 को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसमें देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा और उत्तराखंड के कुछ इलाके, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप शामिल है
सिस्मिक जोन 4: इसे भी काफी खतरनाक माना जाता है। जोन 4 में भूकंप की तीव्रता 7.9 से 8 तक हो सकती है। दिल्ली, एनसीआर के इलाके, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम और हिमाचल प्रदेश के कुछ इलाके, यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका, गुजरात का कुछ हिस्सा और पश्चिम तट से सटा महाराष्ट्र और राजस्थान का इलाका आता है।
सिस्मिक जोन 3: इसमें भूकंप की तीव्रता सात या उससे कम होती है। इसमें केरल, गोवा, लक्षदीप, यूपी, गुजरात और पश्चिम बंगाल के बचे हुए इलाके, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के इलाके आते हैं. चेन्नई, मुंबई, भुवनेश्वर, कोलकाता और बेंगलुरु को भी जोन 3 में रखा गया है।
सिस्मिक जोन 2: जोन 2 को बेहद कम खतरनाक जोन माना जाता है। यहां 4.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है। थिरुचिरापल्ली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर, चंडीगढ़ आदि सिस्मिक जोन 2 में आते हैं।
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