72 हजार करोड़ में अमेरिका से 60 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदेगा जर्मनी
– अमेरिका के बाद जर्मनी सबसे ज्यादा मिलिट्री हेलिकॉप्टर रखने वाला देश
– नाटो देशों में सबसे ज्यादा मिलिट्री हेलिकॉप्टर वाला देश है अमेरिका
– 315 किलोमीटर प्रति घंटे हैं चिनूक हेलिकॉप्टर की मैक्सिमम स्पीड
– भारत के पास 15 चिनूक हेलिकॉप्टर हैं
– चिनूक को दुनिया के 19 से ज्यादा देश इस्तेमाल कर रहे
जर्मनी के पास नाटो का दूसरा सबसे बड़ा मिलिट्री हेलिकॉप्टर समूह होगा। पिछले महीने जर्मनी ने दुनिया के सबसे तेज 60 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने की घोषणा की थी। जर्मनी के एयरफोर्स चीफ इंगो गेरहार्ट्ज ने बताया कि वो 72.75 हजार करोड़ में बोइंग कंपनी से ये हेलिकॉप्टर खरीद रहे हैं।
इससे अमेरिका के बाद जर्मनी नाटो का सबसे ज्यादा मिलिट्री हेलिकॉप्टर रखने वाला देश बन जाएगा। इनमें से 50 हेलिकॉप्टर ईस्ट जर्मनी के होल्जडॉर्फ साइट पर तैनात रहेंगे। यहां 1 हजार एक्स्ट्रा सैनिकों की नियुक्ति भी की जाएगी। गेरहार्ट्ज ने बताया- शोएनेवाल्डे साइट एयरफोर्स, पूरे बुंडेसवेहर आर्म्ड फोर्स और जर्मनी की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अमेरिका के पास 400 चिनूक हेलिकॉप्टर
फिलहाल ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स दूसरी सबसे बड़ी चिनूक ऑपरेटर है लेकिन जल्द ही उसके बेड़े में एयरफ्रेम्स की संख्या 60 से घटकर 51 होने वाली है। वहीं साउथ कोरिया तीसरा सबसे बड़ा ऑपरेटर है। उसके पास 43 एयरक्राफ्ट हैं। वहीं अमेरिका के पास सबसे ज्यादा चिनूक हेलिकॉप्टर हैं, इनकी संख्या 400 है। साथ ही वो नाटो देशों में सबसे ज्यादा मिलिट्री हेलिकॉप्टर वाला देश है।
2027 के बाद नहीं होगी चिनूक की मैन्यूफैक्चरिंग
2027 के बाद सीएच 47 एफ ब्लॉक-फस्र्ट चिनूक हेलिकॉप्टर की मैन्यूफैक्चरिंग रुकने वाली है। हालांकि, एच-47 ब्लॉक-सेकंड प्रोग्राम के जरिए चिनूक को अपग्रेड करने का काम जारी रहेगा। पिछले साल अगस्त में अमेरिकी आर्मी ने अपनी सीएच-47 चिनूक हेलिकॉप्टर्स की पूरी फ्लीट के उड़ान भरने पर रोक लगा दी थी। अमेरिकी आर्मी ने बताया था कि कुछ चिनूक हेलिकॉप्टर्स में फ्यूल लीक की वजह से आग लगने के मामले सामने आए थे। जिसके बाद यह कदम उठाया गया था।
अमेरिकी सेना के लिए क्यों खास हैं चिनूक हेलिकॉप्टर्स?
दो इंजन वाला चिनूक हेलिकॉप्टर पिछले 60 सालों से अमेरिकी सेना के हेलिकॉप्टर बेड़े का प्रमुख हिस्सा रहा है। इसे वियतनाम युद्ध के दौरान 1962 में अमेरिकी सेना में शामिल किया गया था। अमेरिका ने इसे इराक, अफगानिस्तान और खाड़ी देश समेत अपने तकरीबन सभी प्रमुख सैन्य ऑपरेशनों में शामिल किया था। तब से इसे काफी अपग्रेड किया गया है।
भारत के पास कुल 15 चिनूक हेलिकॉप्टर
भारत ने सितंबर 2015 में अमेरिका से 15 चिनूक और 22 अपाचे हेलिकॉप्टर्स की खरीद के लिए 3 अरब डॉलर, यानी करीब 24,000 करोड़ रुपए का समझौता किया था। भारत को सीएच-47एफ हेलिकॉप्टर्स की पहली खेप 2019 में मिली थी। मार्च 2020 में बोइंग ने चिनूक हेलिकॉप्टर्स की डिलीवरी पूरी कर दी थी। भारत के पास कुल मिलाकर 15 चिनूक हेलिकॉप्टर हैं। मार्च 2019 में चंडीगढ़ में हुए एक समारोह में इसे इंडियन एयरफोर्स में शामिल किया गया था। इसकी एक यूनिट चंडीगढ़ में है, जबकि एक यूनिट असम के मोहनबारी एयरबेस में है।
दुनिया का सबसे तेज मिलिट्री हेलिकॉप्टर है चिनूक
चिनूक हैवी-लिफ्ट, मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर्स हैं। इनका इस्तेमाल सेना की टुकड़ियों, तोपखानों, इक्विपमेंट्स और फ्यूल ले जाने और आपदा बचाव कामों में भी होता है। रेगुलर और स्पेशल आर्मी दोनों फोर्सेज चिनूक यूज करती हैं। इसका नाम अमेरिका के ओरेगॉन और वॉशिंगटन स्टेट के चिनूक मूल के लोगों पर पड़ा है। इसे अमेरिकी कंपनी बोइंग बनाती है। इसका इंजन हनीवेल इंटरनेशनल इंक बनाती है। चिनूक को दुनिया का सबसे तेज मिलिट्री हेलिकॉप्टर माना जाता है, जिसकी मैक्सिमम स्पीड 315 किलोमीटर प्रति घंटे है।
10 हजार किलो तक का वजन कैरी कर सकता है चिनूक हेलिकॉप्टर
शुरुआत में चिनूक को 36 पैसेंजर को कैरी करने के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन वियतनाम युद्ध के दौरान एक ही चिनूक पर 147 लोगों को लाया गया था। अब चिनूक करीब 50 लोगों और 10 टन यानी करीब 10 हजार किलो तक का वजन कैरी कर सकता है। बोइंग के मुताबिक, भारत अमेरिका समेत चिनूक को दुनिया के 19 से ज्यादा देश इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन चिनूक का सबसे ज्यादा इस्तेमाल करने वाले देश हैं।
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