भारत में 5 साल में 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले
– देश में तेजी से कम हो रही गरीबों की संख्या
– यूपी, बिहार, ओडिशा और राजस्थान में सबसे ज्यादा गिरावट
– गरीबों की संख्या में 9.89 प्रतिशत अंक की कमी आई
नई दिल्ली। भारत में 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं और गरीबों की संख्या में 14.96 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। भारत सहित 25 देशों ने पिछले 15 वर्षों में वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक में सुधार किया है। इसमें भारत के अलावा कंबोडिया, चीन, मोरक्को सर्बिया और वियतनाम जैसे देशों में भी बढ़ी तादाद में लोग गरीबी रेखा से बाहर आ चुके हैं। इसे लेकर सोमवार को नीति आयोग की ओर से जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
गांवों में गरीब घटे
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी द्वारा ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक प्रगति संबंधी समीक्षा-2023’ रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें बताया गया कि, ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की संख्या 32.59 फीसदी से घटकर 19.28 फीसदी पर आ गई है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में गरीबों की संख्या 8.65 फीसदी से घटकर 5.27 फीसदी रह गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में गरीबों की संख्या में 3.43 करोड़ के साथ सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद बिहार, मध्यप्रदेश, ओडिशा और राजस्थान का स्थान है।
यूपी, बिहार, ओडिशा और राजस्थान में सबसे ज्यादा गिरावट
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के स्वच्छता, पोषण, रसोई गैस, वित्तीय समावेशन, पेयजल और बिजली तक पहुंच में सुधार पर ध्यान देने से इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकास हुआ है। एमपीआई के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। जारी रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, ओडिशा तथा राजस्थान में गरीबों की संख्या में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई। एमपीआई मूल्य 5 वर्ष में 0.117 से घटकर 0.066 हो गया और 2015-16 से 2019-21 के बीच गरीबी की गहनता 47 फीसदी से घटकर 44 फीसदी पर आ गई।
समय से पहले हासिल हो जाएगा लक्ष्य
आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट में आकलन किया गया है कि देश 2030 की निर्धारित समयसीमा की तुलना से काफी पहले गरीबी को कम से कम आधा घटाने के लक्ष्य 1.2 को हासिल कर लेगा। नीति आयोग ने कहा, सरकार के स्वच्छता, पोषण, रसोई गैस, वित्तीय समावेशन, पेयजल और बिजली तक पहुंच में सुधार पर ध्यान देने से इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि एमपीआई के सभी 12 मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। साथ ही पोषण अभियान, स्वच्छता और रसोई गैस तक पहुंच में सुधार ने गरीबी कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बता दें कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक यानी एमपीआई स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के आयामों में अभावों को मापता है। इन्हें 12 सतत विकास लक्ष्यों यानि एसडीजी से जुड़े संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी 12 संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है, जिससे गरीबी में कमी आई है।
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