सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में माह में शिव जी के भक्त पूरी श्रद्धा-भाव से अपने आराध्य देव की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि सावन के महीने में प्रति सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हर साल श्रावण मास यानी सावन महीने की शुरुआत आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि के अगले दिन से होती है।
इस बार सावन का पवित्र महीना 4 जुलाई 2023 से शुरू हो रहा है, जो कि 31 अगस्त 2023 को समाप्त होगा। यानी इस बार भक्तों को देवों के देव महादेव की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलने वाले हैं। माना जा रहा है कि ऐसा संयोग 19 वर्षों बाद बन रहा है। वहीं इस बार भोलेनाथ के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 4 के बजाय सावन के 8 सोमवार मिलेंगे।
इसलिए बन रहा ऐसा संयोग
वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है, जिसमें चंद्र मास 354 दिनों का होता है। वहीं सौर मास 365 दिन का। दोनों में 11 दिन का अंतर आता है और तीसरे साल यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे अधिक मास कहा जाता है। ऐसे में इस बार सावन दो महीने का होने वाला है।
इसलिए भी खास है इस बार सावन का महीना
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से होगी और 31 अगस्त 2023 तक रहेगा। यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलने वाले हैं। यह शुभ संयोग 19 साल बाद बना है। दरअसल, इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहने वाला है।
यानी इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार अधिक मास के स्वामी भगवान विष्णु हैं। वहीं, सावन का महीना शिव जी को समर्पित है। ऐसे में इस बार सावन और अधिकमास साथ में पड़ने से भगवान शिव शंकर के साथ विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।
सावन सोमवार का महत्व
कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र, चावल, चंदन, शहद आदि जरूर चढ़ाना चाहिए। सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
- सावन सोमवार की तिथियां
- पहला सोमवार: 10 जुलाई
- दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
- तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
- चौथा सोमवार : 31 जुलाई
- पांचवां सोमवार: 07 अगस्त
- छठा सोमवार : 14 अगस्त
- सातवां सोमवार: 21 अगस्त
- आठवां सोमवार: 28 अगस्त
भगवान भोलेनाथ को इसलिए प्रिय है सावन मास
भगवान शिव को सावन का महीना अत्यंत ही प्रिय है। जो भी भक्त इस माह में उनकी विधिवतरूप से पूजा करता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। आइए, जानते हैं कि आखिर शिवजी को क्यों प्रिय है सावन का महीना।
– मान्यता है कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन जीया। उसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोरतप किया, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की। अपनी भार्या से पुनः मिलाप के कारण भगवान शिव को सावन का यह महीना अत्यंत प्रिय है। यही कारण है कि इस महीने कुमारी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं।
– विवाह के बाद भगवान शिव पहली बार ससुराल गए थे। उस समय सावन माह था और वहां पर उनका स्वागत किया गया। उनका जलाभिषेक हुआ, जिससे वे बहुत खुश हुए। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती सावन में पृथ्वी पर निवास करते हैं। इस वजह से भक्त उनकी पूजा करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
सावन में इसलिए करते हैं शिवजी का जलाभिषेक
शिवपुराण की कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तो उसमें से सबसे पहले विष निकला था। उस विष के कारण पूरे संसार पर संकट छा गया क्योंकि वह देव, मनुष्य, पशु-पक्षी आदि सभी के जीवन के लिए हानिकारक था। अब समस्या यह थी कि उस विष का क्या होगा? इस संकट का क्या हल है? तब देवों के देव महादेव ने इस संकट से पूरी सृष्टि को बचाने का निर्णय लिया।
उन्होंने उस पूरे विष को पीना शुरू कर दिया, उसी समय माता पार्वती ने उस विष को भगवान शिव के कंठ में ही रोक दिया। इस वजह से वह विष शिव जी के कंठ में ही रह गया और शरीर में नहीं फैला। विष के कारण शिव जी का कंठ नीला हो गया, जिस वजह से शिव जी को नीलकंठ भी कहते हैं। वहीं विष का प्रभाव भगवान शिव पर न हो, इसके लिए सभी देवों ने उनका जलाभिषेक किया। इस वजह से शिव जी अतिप्रसन्न हुए। यह घटना सावन माह में हुई थी। इस वजह से हर साल सावन माह में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है, ताकि वे प्रसन्न हों और उनकी कृपा प्राप्त हो।
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