1000 किलो के विस्फोटक को पल भर में निष्क्रिय कर सकता है स्वदेशी रोबोट
-जल्द हो सकता है सेना में शामिल
-बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सेना को महसूस हुई इसकी जरुरत
-भारतीय वायुसेना अपने पहले बेड़े में करेगी 11 रोबोटों को शामिल
-अत्याधुनिक वाटर जेट कटर मशीन से सुसज्जित है यूएक्सओआर रोबोट
दिल्ली। मोदी सरकार लगातार देश की सेना की ताकत को मजबूत करने के लिए नए-नए हथियारों और उपकरणों का निर्माण करने के लिए डीआरडीओ को प्रोत्साहित कर रही है। इसी के चलते एक नया और अत्याधुनिक उपकरण जल्द ही सेना की बेड़े में शामिल होने वाला है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय वायु सेना जल्द ही ऐसे रोबोट की खरीद को मंजूरी देने जा रही है जो 1,000 किलोग्राम तक वजन वाले बमों को निष्क्रिय कर सकता है। अनएक्सप्लोडेड ऑर्डनेंस हैंडलिंग रोबोट (यूएक्सओआर) ऐसे बमों को निष्क्रिय करेगा जिनमें विस्फोट नहीं हुआ है।
बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद सेना को महसूस हुई इसकी जरुरत
दरअसल 14 फरवरी 2019 को, जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में सुरक्षा कर्मियों को ले जाने वाले वाहनों के एक काफिले पर आत्मघाती हमलावर ने हमला किया था। इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 46 जवानों शहीद हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित इस्लामिक आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
इस आत्मघाती हमले के जवाब में भारत की और से 26 फरवरी 2019 को, भारतीय वायु सेना के 12 मिराज 2000 जेट्स ने नियंत्रण रेखा पार की और बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद संचालित आतंकवादी शिविर पर एयर स्ट्राइक किया था। इस ऑपरेशन के दौरान लगभग 200-300 आतंकवादी मारे गए। बालाकोट एयर स्ट्राइक पर बौखलाए पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई के रूप में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया और बम गिराए थे। वहीं अधिकांश बम बिना फटे रह गए और खतरा बने रहे।
हालांकि इस हमले के बाद भारतीय सेना को अनएक्सप्लोडेड ऑर्डनेंस हैंडलिंग रोबोट (यूएक्सओआर) की आवश्यकता महसूस हुई। बता दें कि आधिकारिक तौर पर भारतीय वायुसेना ने यूएक्सओआर को तब अपने बेड़े में शामिल नहीं किया था, लेकिन इसका इस्तेमाल बमों को निष्क्रिय करने के लिए किया गया था।
सेना की आवश्यकता
भारतीय वायुसेना यह रोबोट इसलिए अपने बेड़े में शामिल करना चाहती है क्योंकि सीमावर्ती इलाकों में कई ऐसे स्थान हैं जहां बमों में विस्फोट नहीं हुआ है और वे रक्षा प्रतिष्ठानों और थल सेना की टुकड़ियों के लिए खतरा बने हुए हैं।
डीआरडीओ ने किया है यूएक्सओआर को विक्सित
देश में मेक इन इंडिया के संकल्प को आगे बढ़ते हुए डीआरडीओ ने इस रोबोट को पुर्णतः स्वदेशी रूप से बनाने का ठाना था। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन किया गया यूएक्सओआर रोबोट भारतीय परिस्थियों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। हाल ही में इसे लखनऊ में डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित किया गया। कई परीक्षणों से गुजरने के बाद वायुसेना अब इन रोबोटों को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया में है।
पहले बेड़े में 11 रोबोट
भारतीय वायुसेना ने इस बात पर अपना अधिकृत बयान देते हुए यह स्पष्ट किया कि- भारतीय वायुसेना अपने परिचालन उद्देश्यों के लिए पहले बेड़े में 11 रोबोटों को शामिल करेगी। वहीं डीआरडीओ के अधिकारी से मिली जानकारी में वह बताते हैं कि- हमने इन रोबोट्स की टेक्नोलॉजी को वेपन इंडस्ट्री के तीन मैन्युफैक्चर्रस के साथ भागीदारी में साझा कर निर्माण करने का फैसला लिया है, जो इन रोबोटों का निर्माण करेंगे और अगले कुछ वर्षों में भारतीय वायुसेना को आपूर्ति करेंगे।
बता दें कि इस विकासशील टीम का हिस्सा रहे डीआरडीओ के वैज्ञानिक आलोक मुखर्जी ने कहा, ष्हमने भारतीय वायु सेना के जरुरत के अनुसार कई परीक्षण किए हैं और विभिन्न स्थानों पर बमों को निष्क्रिय करने की आवश्यकताओं को मान्य किया है।
क्या हैं यूएक्सओआर की खासियत
यूएक्सओआर एक रिमोट संचालित रोबोट है। इस रोबोट की विशेषता यह है कि इस रोबोट की 1 किमी तक के विजन में यह 1000 किलो तक के किसी भी विस्फोटक को निष्क्रिय कर सकता है। इस रोबोट को अत्याधुनिक वाटर जेट कटर मशीन से सुसज्जित किया गया है। वहीं इसकी दो भुजाएँ हैं, जो किसी भी चीज को तोड़ने और बमों के फ्यूज को काटने के लिए विशेष रूप से विकसित की गई हैं।
वहीं डीआरडीओ के वैज्ञानीक आलोक मुखर्जी ने आगे बताया की- इस रोबोटों से संभावित इलाके की निगरानी एक मोबाइल केंद्र से की जाएगी और बमों को निष्क्रिय करने के लिए मनुष्यों की आवश्यकता को समाप्त कर दिया जाएगा।” उन्होंने आगे बताया कि- इन रोबोटों को 2 किमी की दूरी से नियंत्रित किया जा सकेगा। ऑपरेटर उच्च दबाव वाले पानी के जेट का उपयोग करके विस्फोटक का पता लगा सकता है और उसे निष्क्रिय कर सकता है। यूएक्सओआर में छह घंटे की सहनशक्ति के साथ क्रॉस-कंट्री मोबिलिटी भी है।
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