सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट बनेगा देश की शान
-सेंट्रल विस्टा में 5 बड़े प्रोजेक्टस
-इसकी कुल लागत 20 हजार करोड़
-पूरे प्रोजेक्ट को लगेगा 6 साल का समय
दिल्ली। देश में चल रही जी-20 की बैठकों को लेकर देश में काफी नए इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम हुआ है। वैश्विक स्तर पर सारी सुविधाओं के साथ देश जी-20 की समापन बैठक को कामयाब बनना चाहता है। इसी बीच सितंबर में होने वाली जी-20 की मीटिंग के लिए दिल्ली तैयार हो रही है। जिसके लिए प्रगति मैदान में इंटरनेशनल ट्रेड प्रमोशन ऑर्गेनाइजेशन कॉम्प्लेक्स का पुनर्विकास का कम पूरा हो चुका है।
इसे भारत मंडपम् नाम दिया है। 123 एकड़ में बना ये कॉम्प्लेक्स सिडनी के ओपेरा हाउस से भी बड़ा है। वहीं, देश की राजधानी में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का काम चल रहा है। सरकार की कोशिश है कि दुनियाभर से आए मेहमानों के सामने सेंट्रल विस्टा को मिसाल की तरह पेश किया जाए।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत सीपीडब्ल्यूडी ने सबसे पहले दो टेंडर निकाले थे। पहला टेंडर संसद भवन की नई इमारत का था। ये काम टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड को मिला था। इसकी लागत 862 करोड़ रुपए है। पार्लियामेंट की नई इमारत का पीएम मोदी ने 28 मई, 2023 को उद्घाटन किया था। दूसरा टेंडर साइरस मिस्त्री की कंपनी शापूर पालोनजी एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। ये राजपथ के रीडेवलपमेंट का था। इसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है।
इस प्रोजेक्ट की लागत 477 करोड़ रुपए है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में सबसे पहले इन्हीं दोनों प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ था।
गौरतलब है की सेंट्रल विस्टा का काम किसी सीक्रेट प्रोजेक्ट की तरह चल रहा है। काम कहां तक पहुंचा, कितना बाकी है और कब तक पूरा होगा इसको लेकर जानकारी गुप्त रखी जा रही है। राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक के 3.2 किमी लंबे क्षेत्र को ही सेंट्रल विस्टा कहा जा रहा हैं।
सेंट्रल विस्टा के 5 बड़े प्रोजेक्ट
1. नया संसद भवन
2. सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का रीडेवलपमेंट
3. कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट
4. वाइस प्रेसिडेंट एन्क्लेव
5. एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव (पीएम ऑफिस इसी का हिस्सा है)
इन 5 बड़े प्रोजेक्ट्स में से संसद भवन और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का काम पूरा हो चुका है। सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 सितंबर, 2022 को किया था। इसका नाम राजपथ से बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया है। वहीं, नए संसद भवन का उद्धाटन भी 28 मई, 2023 को हो चुका है। सूत्रों के अनुसार अगला लक्ष्य उपराष्ट्रपति भवन और पीएम हाउस का काम जल्द पूरा करने का है।
अक्टूबर, 2021 में लार्सन एंड टुब्रो ने कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट की इमारतों के निर्माण का टेंडर हासिल किया था। कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट की पहली तीन बिल्डिंगस का कम तेजी से जारी है। ये बिल्डिंग बनाने के लिए सीपीडब्लूडी ने ढाई साल की समय-सीमा तय की थी। सेंट्रल सेक्रेटेरिएट का 25 प्रतिशत काम हो चुका है। इसका काम दिसंबर, 2023 तक पूरा कर उद्घाटन करने की योजना है।
दरअसल, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत भारत सरकार सभी मंत्रालयों को एक ही जगह पर लाना चाहती है, जिससे सुचारू रूप से काम किया जा सकेगा। अभी सेंट्रल विस्टा में 39 मंत्रालय हैं। 12 मंत्रालयों के ऑफिस सेंट्रल विस्टा के बाहर बने हैं। तालमेल बेहतर बनाने के लिए इन सभी 51 मंत्रालयों को एक जगह बनाया जा रहा है। इनमें लगभग 54 हजार स्टाफ एक साथ बैठ कर काम कर पाएंगे।
कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट के तीन पार्ट
पार्ट 1 – अभी जिस जगह पर इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स की बिल्डिंग है, वहां पर कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट (सीसीएस) की 1, 2 और 3 बिल्डिंग्स प्रस्तावित हैं। इन तीनों इमारतों के निर्माण पश्चात इनमें शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवन में चल रही मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट के 18,000 कर्मचारियों को शिफ्ट किया जाएगा।
पार्ट 2- कर्मचारियों को शिफ्ट किए जाने के बाद शास्त्री भवन, कृषि भवन, उद्योग भवन और निर्माण भवनों की जगह सीसीएस बिल्डिंग 4, 5 और 9 का कम चालू किया जाएगा। फिर इनमें पीएमओ और रक्षा मंत्रालय को छोड़कर नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के मिनिस्ट्री और डिपार्टमेंट के स्टाफ को शिफ्ट किया जाएगा। सेंट्रल विस्टा के बाहर चल रहे डिपार्टमेंटस को भी यहीं शिफ्ट किया जाना है।
पार्ट 3 – सीसीएस बिल्डिंग 6, 7, 8 को डिफेंस एन्क्लेव के रूप में तैयार किया जाएगा। इसमें रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ और सेंट्रल विस्टा में काम करने वाले वायुसेना, नौसेना और थलसेना के कर्मचारियों को शिफ्ट किया जाएगा। डिफेंस एन्क्लेव के लिए उपराष्ट्रपति के मौजूदा आवास और आसपास की इमारतों को गिराया जाएगा।
15 एकड़ में बन रहा है उपराष्ट्रपति आवास
नए उपराष्ट्रपति आवास का 60 प्रतिशत से ज्यादा काम हो चुका है। यह नया उपराष्ट्रपति आवास नॉर्थ ब्लॉक के पास 15 एकड़ की जमीन पर है। वहीं, इसमें एक सचिवालय, स्पोर्ट्स फैसिलिटी, गेस्ट हाउस और स्टाफ क्वार्टर भी होंगे।
206 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा उपराष्ट्रपति आवास राष्ट्रपति भवन के पास बन रहा है। इसी में उपराष्ट्रपति का ऑफिस भी होगा। इसका काम 2023 के अंत तक पूरा हो जाएगा। अभी उपराष्ट्रपति आवास मौलाना आजाद रोड पर विज्ञान भवन कन्वेंशन सेंटर के पास है।
न्या पीएम हाउस 4 मंजिला
15 एकड़ जमीन पर बनने वाले पीएम हाउस में 4 मंजिला 10 बिल्डिंग बनाई जाएंगी। इसमें एक बिल्डिंग स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के लिए होगी। अभी पीएम हाउस सेंट्रल विस्टा के बाहर लोक कल्याण मार्ग पर है। साउथ ब्लॉक के पीछे ब्लॉक ए और बी में हटमेंट्स हटाकर नया पीएम हाउस बनाया जाना है। इसकी लागत 467 करोड़ रुपए होगी। 2022-23 के बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए 70 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसके नवंबर, 2023 तक तैयार होने की उम्मीद है।
एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव में बनेगा पीएमओ
एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव साउथ ब्लॉक के दक्षिणी हिस्से में बनेगा। इसकी लागत 1,189 करोड़ रुपए आएगी। भविष्य में इंडिया हाउस का इस्तेमाल हैदराबाद हाउस की तरह होगा, जहां अभी दूसरे देशों के नेताओं के साथ हाईलेवल मीटिंग की जाती हैं।
वहीं एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव में पीएमओ, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट, इंडिया हाउस और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट के दफ्तर शामिल होंगे। लार्सन एंड टुब्रो कंपनी को इसका टेंडर नवंबर, 2022 में मिला था। ये काम 24 महीनों में पूरा किया जाना है। हालांकि, अब तक इसका काम शुरू नहीं हो सका है।
इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स और नेशनल म्यूजियम
मौजूदा हैदराबाद हाउस के सामने इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स की इमारत बनाई जाएगी। इस इमारत में पब्लिक इवेंट, एग्जीबिशन और कॉन्सर्ट की सुविधा होगी। इसका काम 2024 जून तक पूरा होने का अनुमान है। वहीं, सेंट्रल कॉन्फ्रेंस सेंटर दिसंबर, 2026 तक बनेगा। इनके अलावा नेशनल म्यूजियम और नेशनल आर्काइव भी बनना है। नेशनल म्यूजियम को नॉर्थ और साउथ ब्लॉक में शिफ्ट किया जाएगा। 1.17 लाख वर्ग मीटर एरिया में फैले दो मंजिला म्यूजियम में 950 कमरे और बेसमेंट और ओपन स्पेस होगा।
2019 में हुआ था सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का ऐलान
1947 में अंग्रेजों के जाने के बाद राजपथ (अब कर्तव्य पथ) के दायरे में आने वाली सारी इमारतें सरकारी हो गईं थीं। 1962 में इन्हें विरासत परिसर घोषित कर दिया गया। लगभग एक सदी बाद इन पुरानी इमारतों में मरम्मत और सुधार की जरूरत थी, इसलिए सितंबर, 2019 में केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की। 10 दिसंबर, 2019 को इसकी आधारशिला रखी गई। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब 20 हजार करोड़ है। इसे बनाने में 6 साल का समय लेगाग।
कोई भी इमारत 7 फ्लोर से ऊंची नहीं होगी
पूरे प्रोजेक्ट में नई बनने वाली कोई भी इमारत 42 मीटर यानी 7 फ्लोर से ज्यादा ऊंची नहीं होगी, क्योंकि इंडिया गेट से ऊंची कोई इमारत सेंट्रल विस्टा में नहीं बनाई जाएगी। सभी बिल्डिंग बाहर से एक जैसी दिखेंगी और एक-दूसरे से जुडी हुई होंगी। वहीं, सेंट्रल विस्टा में कनेक्टिविटी दिल्ली मेट्रो से होगी।
चार कैटेगरी में विभाजित है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
1. पहली कैटेगरी में वे इमारतें हैं, जिन्हें भविष्य के लिहाज से नए सिरे से बनना जरूरी है। इसमें पुराना संसद भवन, नोर्थ और साउथ ब्लॉक के अलावा राष्ट्रपति भवन का गार्डन भी शामिल है।
2. दूसरी कैटेगरी में ऐसी इमारतें हैं, जिनमे केवल मरम्मत होनी है। इनमें राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नेशनल वार मेमोरियल, रेल भवन और वायु भवन शामिल है।
3. तीसरी कैटेगरी में वे इमारतें हैं, जिन्हें गिराकर दोबारा बनाया जाना है।
4. चैथी कैटेगरी में वे इमारतें हैं, जो बिलकुल नई बनाई जाएंगी। इसमें संसद भवन सेंटल विस्टा एवेन्यु, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट, सेंट्रल कांफ्रेंस सेंटर, उपराष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास और इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स शामिल है।
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