चांद के बाद अब सूर्य पर भारत भेजेगा अपना पहला सोलर मिशन
– इसरो लॉन्च करने जा रहा खास मिशन आदित्य एल-1
– सूर्य मिशन की लॉन्चिंग की तैयारी कर रहा इसरो
-सितंबर के पहले हफ्ते में सूर्य मिशन की लॉन्चिंग संभव
– अंतरिक्ष के मौसम के बारे में पता चल सकेगा
भारत स्पेस में लगातार अपनी धाक जमा रहा है। चंद्रयान-3 जल्द ही चांद की सतह पर लैंड करने वाला है और हर किसी को इस ऐतिहासिक पल का इंतजार है। इस बीच इसरो ने अपने नए मिशन की तैयारी शुरू कर दी है, जहां उसकी नजर अब सूरज पर है। दरअसल, इसरो का आदित्य-एल-1 सैटेलाइट लॉन्च करने का प्लान है। इसके जरिए सूरज पर लगातार नजर रखी जाएगी। ये देश का पहला सोलर मिशन होगा। बता दें कि दुनियाभर से अब तक 22 सूर्य मिशन के लिए भेजे जा चुके हैं।
इसरो ने सोमवार को ट्वीट करके कहा कि सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित भारतीय वेधशाला, आदित्य-एल-1, प्रक्षेपण के लिए तैयार हो रही है। यह सैटेलाइट प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा पहुंच चुका है। आदित्य-एल1 मिशन सतीश धवन स्पेस सेंटर में रखा गया है। यहां पर अब इसे रॉकेट में लगाया जाएगा।
सूर्य पर भारत भेजेगा अपना पहला सोलर मिशन
आदित्य-एल-1 सूरज का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय मिशन होगा। ये अंतरिक्ष यान लॉन्च के 4 महीने पश्चात सूरज-पृथ्वी के सिस्टम में लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। यहां पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज का अध्ययन किया जा सकती है। हालांकि, इस अंतरिक्ष यान के लॉन्च की कोई तारीख अभी तय नहीं की गई है।
अंतरिक्ष के मौसम पर नजर रखेगा आदित्या-एल-1
आदित्य-एल-1 पॉइंट से सूर्य को लगातार देखा जा सकेगा। इससे सोलर गतिविधियों को आसानी से अध्ययन किया जा सकता है और वास्तविक समय में अंतरिक्ष के मौसम के बारे में पता लगाया जा सकेगा। इनके अतिरिक्त, सूर्य के आसपास किसी भी बदलाव का अंतरिक्ष के मौसम पर क्या प्रभाव पड़ता है, इस पर नजर रखी जा सकती है।
आदित्या एल-1 सैटेलाइट के साथ इसरो 7 पेलोड्स भेजने वाला है। सोलर मिशन के तहत सूरज की निगरानी के लिए उपग्रह के सभी उपकरणों का टेस्टिंग पूरा कर लिया है। आदित्य एल 1 एलएमवी एम-3 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा। ये अंडाकार कक्षा में बढ़ेगा। अंतरिक्ष यान को सूर्य पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल-1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में रखे जाने की उम्मीद है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक और डिटेक्टर की सहायता से फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत की स्टडी की जाएगी। एक खास पॉइंट से तीन पेलोड्स सिर्फ सूर्य पर नजर रखेंगे। वहीं, तीन पेलोड्स का काम सूर्य के आसपास मौजूद पार्टिकल्स यानी कणों और क्षेत्रों की स्टडी करना होगा।
चंद्रयान-3 23 अगस्त को लैंडिंग के लिए तैयार
इसरो का महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 23 अगस्त को चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयार है। आज ही इसरो ने यान के ऑर्बिट को और कम किया है, जिससे चंद्रयान-3 चांद के और करीब पहुंचेगा। अब यह चांद के गोलाकार चक्कार लगाएगा। गौरतलब है कि अगली बार 16 अगस्त को फिर से ऑर्बिट बदला जाना है। चंद्रयान अपने लैंडिंग स्पेस को चिन्हित करेगा और सॉफ्ट लैंडिंग की प्रक्रिया पूरी करेगा। खास बात ये है कि यदि इसरो इसमें कामयाब होता है तो भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा।
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