सीएम गहलोत ने मंत्री को किया बर्खास्त
– मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अनुशंसा पर राज्यपाल ने मंत्री गुढ़ा को बर्खास्त किया
– मंत्री गुढ़ा ने सरकार पर महिला सुरक्षा में फेल होने का आरोप लगाया था
– मंत्री गुढ़ा झुंझनू जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से दो बार के विधायक हैं
– पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि गुढ़ा ने सच कहने की कीमत चुकाई
– सीएम गेहलोत ने विधानसभा में दिए बयान के कुछ ही देर बाद मंत्री गुढ़ा को हटाया
राजस्थान की सियासत में शुक्रवार को बड़ा सियासी घटनाक्रम घटा हैं। महिला सुरक्षा को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाने वाले राज्य के मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को सीएम गहलोत ने उनके पद से बर्खास्त कर दिया । मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार शाम गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त करने की अनुशंसा राज्यपाल कलराज मिश्र से की थी। कुछ ही घंटों में राज्यपाल मिश्र ने गहलोत की इस अनुशंसा को स्वीकार कर लिया।
राजेंद्र सिंह गुढ़ा लंबे समय से सीएम गहलोत और सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे। वह गहलोत सरकार में सैनिक कल्याण राज्य मंत्री थे। यह पहली बार नहीं है जब गुढ़ा ने अपनी सरकार पर हमला बोला हो। इससे पहले भी कई बार उनके निशाने पर गहलोत सरकार रही है। गुढ़ा झुंझनू जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से दो बार के विधायक हैं। वह तीन बार 2008, 2015 और 2019 में एक पार्टी से दूसरे पार्टी में गए।
बर्खास्तगी के बाद गुढ़ा बोले
राजस्थान महिला अत्याचार में नंबर वन है और यह कारनामा गहलोत सरकार के कार्यकाल में हुआ है। यह सच है और मुझे सच बोलने की सजा मिली है। गहलोत का मैंने साथ दिया, लेकिन आगे इस आदमी का साथ देने से पहले सौ बार सोचूंगा। गुढ़ा ने शुक्रवार को विधानसभा में न्यूनतम आय गारंटी बिल पर बहस के दौरान अपनी ही सरकार पर महिला सुरक्षा में फेल होने का आरोप लगाया था।
मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की घटना के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने तख्तियां लहराई थीं। इस पर गुढ़ा ने कहा कि राजस्थान में इस बात में सच्चाई है कि हम महिलाओं की सुरक्षा में विफल हो गए हैं। राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं, ऐसे में हमें मणिपुर की बजाय अपने गिरेबां में झांकना चाहिए। गुढ़ा की बर्खास्तगी के बाद अब गहलोत मंत्रिपरिषद में एक मंत्री की जगह खाली हो गई है। अब कैबिनेट में फेरबदल की संभावना जताई जा रही है।
मंत्री ने सरकार की कलई खोल दी
मंत्री गुढ़ा के आरोप पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा था कि सरकार संविधान के आर्टिकल 164(2) के तहत सामूहिक जिम्मेदारी से चलती है। हमारे संविधान में लिखा है कि सरकार का एक मंत्री बोलता है तो इसका मतलब पूरी सरकार बोल रही है। मंत्री ने सरकार की कलई खोल दी है। मैं उनको बधाई दूंगा, लेकिन यह शर्मनाक बात है।
सच को कीमत चुकानी पड़ती है
मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की बर्खास्तगी पर भाजपा नेता कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गए हैं। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि अपने आपको गांधीवादी बताने वाली कांग्रेस ने सच बोलने पर अपने ही मंत्री को बर्खास्त कर साबित कर दिया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की भयावह स्थिति को संभालना अब उनके बस की बात नहीं है।
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर कहा कि सच – न सुनेंगे, न देखेंगे, न बोलेंगे . . . अपने आपको गांधीवादी बताने वाली कांग्रेस ने सच बोलने पर अपने ही मंत्री को बर्खास्त कर साबित कर दिया है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध की भयावह स्थिति को सम्भालना अब उनके बस की बात नहीं है। कहने को तो हर गलती कीमत मांगती है। लेकिन, वास्तविकता में यहां हर सच को कीमत चुकानी पड़ती है।
हाईकमान से सलाह लेकर बर्खास्तगी का फैसला
राजेंद्र गुढ़ा पिछले करीब एक साल से पार्टी लाइन से अलग जाकर कई बार बयान दे चुके थे। पार्टी में एक्शन लेने के लिए शुक्रवार को सबसे बड़ा आधार तय हो गया था। गुढ़ा ने मणिपुर मामले की जगह राजस्थान सरकार को अपने गिरेबां में झांकने की सलाह देकर विवाद बढ़ा दिया। गुढा के विधानसभा में दिए बयान को बीजेपी ने आधार बनाकर मणिपुर के काउंटर में पेश करना शुरू कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने तत्काल दिल्ली रिपोर्ट भेजी, हाईकमान से बात की। साथ ही गहलोत ने भी हाईकमान से सलाह ली, इसके बाद ग्रीन सिग्नल मिलते ही गुढ़ा के विधानसभा में दिए बयान के कुछ ही देर बाद उन्हें बर्खास्त करने की फाइल राजभवन भिजवा दी।
हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार के रिकॉर्ड तोड़े
पेपरलीक के खिलाफ सचिन पायलट की अजमेर से जयपुर यात्रा के समापन के दिन 15 मई को राजेंद्र गुढ़ा ने सरकार पर खुलकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। गुढ़ा ने कहा था कि हमारी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी है, भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। सरकार का अलाइनमेंट खराब है।
गुढ़ा अब कांग्रेस छोड़कर नई पारी शुरू कर सकते हैं गुढ़ा अब तक बीएसपी के टिकट पर उदयपुरवाटी से चुनाव लड़कर जीते हैं। ऐसे में इस बार भी यह तय माना जा रहा है कि वे कांग्रेस से चुनाव नहीं लड़ेंगे। गुढ़ा ने पिछले दिनों जयपुर में ओवैसी से मुलाकात की थी।
डेढ़ साल पहले पायलट खेमे में आए थे
राजेंद्र गुढ़ा सीएम अशोक गहलोत के कट्टर समर्थक थे, लेकिन डेढ़ साल पहले से उनकी सीएम से दूरियां बननी शुरू हो गई थीं। गुढ़ा पायलट के नजदीक आए और पिछले सवा साल से वे लगातार पायलट के समर्थन में थे। सरकार और सीएम के खिलाफ उन्होंने जमकर बयानबाजी की थी। गहलोत की पिछली सरकार के वक्त राजेंद्र गुढ़ा ने ही खुद सहित छह बसपा विधायकों का कांग्रेस में विलय कराने में बड़ा रोल निभाया था।
साल 2018 में भी गहलोत सरकार बनते ही गुढ़ा सहित सभी छहों बसपा से आने वाले विधायकों ने गहलोत सरकार को समर्थन दिया था। बाद में सितंबर 2019 में सभी 6 विधायकों ने कांग्रेस में विलय कर दिया था।
राज्य मंत्री बनाए जाने के लंबे समय तक चार्ज नहीं लिया था
विलय के बाद लंबे समय तक बसपा से कांग्रेस में आने वाले छह विधायकों को पद नहीं दिए थे। नाराजगी बढ़ने का यह भी बड़ा कारण था। नवंबर 2021 में राजेंद्र गुढ़ा को राज्य मंत्री बनाया था। राज्य मंत्री बनाए जाने से नाराज थे, इस वजह से उन्होंने लंबे समय तक सचिवालय में चार्ज तक नहीं लिया था। राजेंद्र गुढ़ा गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में भी राज्य मंत्री थे, इसलिए वे इससे नाराज थे।
चुनावी साल में अनुशासन का मैसेज देने की कोशिश
विधानसभा में दिए बयान के कुछ ही घंटों के बाद गुढ़ा की बर्खास्तगी के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। सियासी जानकारों के मुताबिक गुढ़ा की बर्खास्तगी चुनावी साल में अनुशासन का मैसेज देने से जोड़कर देखी जा रही है। लंबे समय से बयानबाजी के कारण कांग्रेस लीडरशिप की कमजोरी का मैसेज जा रहा था। अब मंत्री को बर्खास्त करके बाकी नेताओं को यह मैसेज देने का प्रयास किया है कि अब कार्रवाई हो सकती है। पिछले दिनों कांग्रेस की बैठक में प्रदेश प्रभारी रंधावा ने नेताओं को दो टूक कहा था कि सरकार या नेता के खिलाफ बयानबाजी की तो बड़ा एक्शन होगा।
राहुल-खड़गे ने दिए थे नेताओं पर एक्शन के आदेश
पिछले दिनों दिल्ली में राजस्थान कांग्रेस की चुनावी बैठक में राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावी साल में अनुशासन पर जोर देने को कहा था। राहुल-खड़गे ने राजस्थान के नेताओं को आपसी बयानबाजी और सरकार के खिलाफ बयानबाजी को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करने को कहा था।
सहानुभूति कार्ड के रूप में भुनाएंगे गुढ़ा
गुढ़ा मंत्री पद से बर्खास्तगी को अब सियासी शहादत बताकर सहानुभूति कार्ड के रूप में भुनाने का प्रयास करेंगे। गुढ़ा महिला अत्याचार पर दिए बयान को महिलाओं के सम्मान से जोड़कर सियासी रूप से भुना सकते हैं। गुढ़ा बर्खास्तगी को महिला अत्याचारों पर सच बोलने की सजा के तौर पर प्रचारित करेंगे। इसकी शुरुआत भी उन्होंने कर दी है।
गुढ़ा बोले- सोमवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा करूंगा
राजेंद्र गुढ़ा ने कहा- समर्थकों से चर्चा के बाद आगे का फैसला लूंगा। सोमवार को विधानसभा में बड़ा खुलासा करूंगा। सरकार पर जब संकट आया था तो सरकार बचाने में सीएम अशोक गहलोत का खूब साथ दिया था। बसपा से कांग्रेस में आए सभी 6 विधायक संकट के समय चट्टान की तरह सरकार बचाने में अडिग रहे। जो वादे किए गए थे, वे नहीं निभाए गए। गुढ़ा ने कहा- जहां तक ओवैसी से मुलाकात का सवाल है, वह तो एक शिष्टाचार मुलाकात थी। ओवैसी इस देश के बेस्ट सांसद हैं और तथ्यों के साथ सदन में अपनी बात रखते हैं।
आइए जानते हैं राजेंद्र गुढ़ा के सियासी सफर के बारे में
राजेंद्र गुढ़ा राजस्थान के झुंझनू जिले की उदयपुरवाटी विधानसभा सीट से विधायक हैं। अरावली की वादियों में बसा हुआ उदयपुरवाटी उपखंड का गुड़ा गांव राजस्थान विधानसभा में दो विधायक भेज चुका है। दरअसल, हम बात कर रहे हैं दो भाइयों राजेंद्र गुढ़ा और रणवीर गुढ़ा की। राजेंद्र एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसका राजनीति से घनिष्ठ संबंध है।
गुढ़ा ने पहली बार 2008 में विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन इससे पहले उनके भाई रणवीर ने इसका प्रतिनिधित्व किया था। रणवीर ने जब 2003 में लोजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी उस समय राजेंद्र ने अपने भाई रणवीर के साथ चुनाव प्रचार किया था। रणवीर सिंह गुढ़ा पहले राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के अध्यक्ष भी थे।
राजेंद्र गुढ़ा पहली बार 2008 में पहुंचे राजस्थान विधानसभा
साल 2008 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में राजेंद्र गुढ़ा बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे। इस चुनाव में उनके सामने कांग्रेस से विजेंद्र सिंह इंद्रपुरा और भाजपा से मदन लाल सैनी का मुकाबला हुआ। जब चुनावी नतीजे आए तो राजेंद्र ने उदयपुरवाटी सीट से कांग्रेस के विजेंद्र सिंह को 7,837 वोटों से हर दिया। इसी के साथ वह पहली बार राजस्थान विधानसभा पहुंचे। हालांकि, चुनाव में जीत के बाद राजेंद्र बसपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। उस समय उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री बनाया गया।
2013 में लगा झटका
2013 विधानसभा चुनाव में राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे। हालांकि, इस बार उन्हें झटका लगा और वह चुनाव हार गए। उन्हें भाजपा के शुभकरण चैधरी के हाथों 11,871 वोटों से शिकस्त मिली। जनवरी 2015 में एक बार फिर राजेंद्र गुढ़ा कांग्रेस को छोड़कर बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए।
2018 में दोबारा बने विधायक
2018 में राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में राजेंद्र दूसरी बार बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे। इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के शुभकरण चैधरी को 5,534 वोटों से शिकस्त दिया। इसी के साथ वह दूसरी बार उदयपुरवाटी के विधायक के तौर पर राजस्थान विधानसभा पहुंचे।
दूसरी बार बसपा छोड़ी और कांग्रेस में आए
2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के छह विधायक जीतकर आए थे। इनमें राजेंद्र गुढ़ा, जोगेंद्र सिंह अवाना, वाजिब अली, लाखन सिंह मीणा, संदीप यादव और दीपचंद खेरिया शामिल हैं। सितंबर 2019 राजेंद्र समेत सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए, जो कि पहले कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे रहे थे।
गहलोत सरकार के लिए बने संकटमोचक
साल 2020 में जुलाई-अगस्त में गहलोत सरकार के खिलाफ सचिन पायलट गुट ने बगावत की थी। इस दौरान राजेंद्र गुढ़ा गहलोत समर्थक विधायकों में शामिल थे। गहलोत सरकार के लिए नंबर कम पड़े तो उन्होंने सरकार का समर्थन किया। इस घटनाक्रम का जिक्र राजेंद्र ने खुद कई बार सार्वजनिक मंच से भी किया है।
2021 में राजेंद्र गुढ़ा बने मंत्री
नवंबर 2021 में जब राजस्थान में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ और कुल 15 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसमें राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें राजस्थान सरकार में सैनिक कल्याण और पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास विभागों के राज्य मंत्री की कुर्सी मिली। उस समय कहा गया कि उन्हें गहलोत खेमे के समर्थन के कारण ये जिम्मेदारी मिली।
हमारा YOUTUBE चैनल –https://www.youtube.com/@VyasMediaPvtLtd.