सिक्किम में बादल फटने से 14 लोगों की मौत, 102 लोग लापता
-सिक्किम में बादल फटने से 15 हजार लोग प्रभावित
-3000 से अधिक पर्यटकों के फंसे होने की आशंका
-दर्जनों घर सड़कें और कारें मलबे में दब गई
गंगटोक। सिक्किम में ल्होनक झील पर मंगलवार 3 अक्टूबर तड़के बादल फटने से तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आने के बाद 14 लोगों की मौत हो गई। इस घटना में 22 सैन्यकर्मी समेत 102 लोग लापता हो गए और 26 लोग घायल भी हैं। जबकि एक सैन्यकर्मी समेत 166 लोगों को बचाया गया है। सिक्किम सरकार की ओर से इस हादसे पर ताजा जानकारी शेयर की गई है।
अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में ज्यादातर लोगों की पहचान आम नागरिकों के रूप में की गई हैए जिनमें से तीन लोग उत्तरी बंगाल में बह गए थे। बुधवार सुबह लापता हुए सेना के 23 जवानों में से एक को बचा लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि सिक्किम में मंगलवार की रात करीब डेढ़ बजे शुरू हुई बाढ़ की स्थिति चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण और बदतर हो गई।
तीन हजार टूरिस्ट फंसे, करीब 14 पुल ढह गए
सिक्किम के मुख्य सचिव वीबी पाठक ने जानकारी देते हुए बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों से आए करीब तीन हजार टूरिस्ट राज्य के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए हैं। उन्होंने ने कहा कि चुंगथांग में तीस्ता चरण 3 बांध में कार्यरत कई कर्मचारी भी फंसे हुए हैं। मुख्य सचिव ने बताया कि बाढ़ के कारण सड़क और पुल समेत अन्य बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान हुआ है। करीब 14 पुल ढह गए हैं] जिनमें से नौ सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधीन हैं और 5 राज्य सरकार के हैं।
पीएम मोदी ने हालात की समीक्षा की
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि बचाव कर्मियों ने सिंगताम के गोलिटार में तीस्ता नदी के बाढ़ क्षेत्र से कई शव निकाले। इस हादसे के पश्चात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिक्किम के मुख्यमंत्री पीएस तमांग से बातचीत की और राज्य में अचानक आयी बाढ़ से उत्पन्न हालात की समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार को हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी सेना के लापता जवानों की सलामती के लिए प्रार्थना की। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) ने सिक्किम की स्थिति की समीक्षा की और पर्यटकों और सुरंग में फंसे लोगों को निकालने पर जोर दिया।
सिक्किम सरकार ने आपदा घोषित किया, तबाही से 15 हजार लोग प्रभावित
सिक्किम में बादल फटने से करीब 15 हजार की आबादी प्रभावित बताई जा रही है। घर डूब गए, ट्रांसफाॅर्मर डूब गए, बाग के बाग डूब गए। सिक्किम में जब कुछ जगहों से पानी गुजरा तो अपने पीछे लाखों टन मलबा छोड़ गया। जिस कारण गाड़ियां मलबे में दब गई। एनडीआरएफ ने पहले ही 3 टीम तैनात कर दी हैं और अतिरिक्त टीम गुवाहाटी और पटना में तैयार हैं। सिक्किम सरकार ने एक अधिसूचना में इसे आपदा घोषित कर दिया है।
भयानक बाढ़ ने कैसे और क्यों दस्तक दी?
सिक्किम में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित ल्होनक झील बुधवार रात को फट गई। बताया जाता है कि ल्होनक झील 260 फीट गहरी है। 1.98 किलोमीटर लंबी है और करीब 500 मीटर चैड़ी है। ये एक ग्लेशियर झील (बर्फ के पहाड़ों से रिसते पानी से बनी झील) है। 3 अक्टूबर को रात करीब 1.30 बजे का समय हो रहा था। बहुत तेज बारिश भी हो रही थी। इस झील के ऊपर बादल फटा और फिर पानी के तेज बहाव और दबाव से झील की दीवारें टूट गईं।
ऊंचाई पर होने के कारण से पानी तेजी से निचले इलाकों की तरफ बढ़ा। सैलाब के रास्ते में ही सिक्किम का चुंगथांग बांध आया। बांध से पानी छोड़ा गया। पानी छोड़ने के पश्चात सिक्किम की तीस्ता नदी का पानी करीब 15 से 20 फीट तक बढ़ गया। जिस वजह से तीस्ता नदी में आए सैलाब से सबसे ज्यादा सिक्किम के मंगन, पाक्योंग और गंगटोक इलाके प्रभावित हुए हैं।
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