सावन का आखिरी शुक्रवार है बहुत खास, इस दिन रखा जाता है वरलक्ष्मी व्रत
– अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देता है वरलक्ष्मी व्रत
– यूपी, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडीशा में मनाया जाता है वरलक्ष्मी व्रत
– वरलक्ष्मी व्रत से मां लक्ष्मी होती है प्रसन्न
– वरलक्ष्मी व्रत से घर में आती है सुख समृद्धि
– मां लक्ष्मी की उपासना के लिए खास दिन है शुक्रवार
वरलक्ष्मी व्रत विवाहित महिलाओं के लिए बहुत खास होता है इस दिन मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा की जाती है और कन्याओं को दान-पुण्य किया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत सावन के आखिरी शुक्रवार को रखा जाता है। वैसे तो हर शुक्रवार मां लक्ष्मी को समर्पित होता है, लेकिन सावन के आखिरी शुक्रवार का व्रत वरलक्ष्मी व्रत कहा जाता है। सावन का आखिरी शुक्रवार मां लक्ष्मी की उपासना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत करने वाले साधकों पर मां लक्ष्मी मेहरबान होती हैं और उनके जीवन में कभी धन की कमी नहीं होने देती हैं। आइए जानते हैं व्रत का महत्व और पूजा विधि।
वरलक्ष्मी व्रत का महत्व
वरलक्ष्मी व्रत सभी मान्यताओं को पूरा करने वाला माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वरलक्ष्मी माता भगवान विष्णु की पत्नी मानी जाती हैं और उन्हें महालक्ष्मी का अवतार बताया है। सावन के आखिरी शुक्रवार को वरलक्ष्मी माता की पूजा करने पर वह आपके घर को धन-धान्य से भर देती हैं। विवाहित महिलाओं के लिए यह व्रत सबसे खास होता है। आपके घर में सुख समृद्धि बढ़ती है और परिवार के सदस्यों में एकता बढ़ती है। इस व्रत को करने से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।
वरलक्ष्मी पूजन सामग्री
वरलक्ष्मी की पूजा से पहले पूजन सामग्री इकट्ठा कर लें। सामग्री में हल्दी, मौली, दर्पण, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, चंदन, हल्दी, कुमकुम, कलश, लाल वस्त्र, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा, दीप, धूप, दही, नारियल, माला, केले, पंचामृत, कपूर, दूध और जल आदि का उपयोग किया जाता है।
वरलक्ष्मी व्रत का पूजा मंत्र
वरलक्ष्मीर्महादेवि सर्वकाम-प्रदायिनी
यन्मया च कृतं देवि परिपूर्णं कुरुष्व तत्
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
वरलक्ष्मी व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इस दिन घर की भी अच्छे से साफ-सफाई करनी चाहिए। पूरे घर में गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र कर लें। घर के बाहर रंगोली बनाएं और मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक बनाना चाहिए। फिर एक चैकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और मां लक्ष्मी व भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
फिर हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प करें और पूजन शुरू करें। पूजा करते समय भगवान की मूर्ति के दाएं तरफ थोड़े से चावल रखें और उस पर जल से भरा कलश रखें। इसके बाद कलश पर कलावा बांधें और स्वास्तिक बनाएं। फिर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को सिंदूर का तिलक लगाएं, फूल माला अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं। इसके बाद मां वरलक्ष्मी को सुहाग के सामान अर्पित करें और भोग लगाएं। इसके बाद वरलक्ष्मी व्रत कथा पढ़ें और आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद को घर के सदस्यों में बांट दें।
वरलक्ष्मी व्रत पर इन चीजों को लाएं घर, मिलेगा धन लाभ
वरलक्ष्मी व्रत के दिन मां लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए घर में नारियल जरूर लाना चाहिए। नारियल माता लक्ष्मी जी की प्रिय वस्तुओं में से एक माना जाता है। इसे घर में रखने से वरलक्ष्मी जी का आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहेगा। पीली कौड़ी भी माता लक्ष्मी जी की प्रिय मानी गई हैं। वरलक्ष्मी व्रत के दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा करने के बाद 11 कौड़ियों को पीले रंग के कपड़े में बांधकर उत्तर दिशा में रखने से धन लाभ के योग बनते हैं।
दक्षिणावर्ती शंख मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार शंख में माता लक्ष्मी का वास माना गया है। यह समुद्र मंथन में उत्पन्न हुए 14 रत्नों में से एक था। मान्यता है कि वरलक्ष्मी व्रत के दिन घर में लाने से धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। पारिजात के फूल जिन्हें हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। यह भी माता लक्ष्मी का प्रिय पौधा माना गया है। माता लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए इसे अपने घर में अवश्य लगाना चाहिए।
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त
वरलक्ष्मी व्रत उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के अलावा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडीेशा के लोग रखते हैं। इस दिन सिंह लग्न की पूजा सुबह 5 बजकर 55 मिनट से सुबह 7 बजकर 42 मिनट तक होगी। उसके बाद वृश्चिक लग्न की पूजा दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 2 बजकर 36 मिनट तक होगी। कुंभ लग्न की पूजा शाम को 6 बजकर 22 मिनट से लेकर रात को 7 बजकर 50 मिनट तक होगी। उसके बाद वृषभ लग्न की पूजा रात को 10 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक की जाती है।
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