सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव मंजूर
– मणिपुर हिंसा को लेकर दोनों सदनों में हुआ हंगामा
– कांग्रेस और बीआरएस ने पेश किया अविश्वास प्रस्ताव
– लोकसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव को दी स्वीकृति
– लोकसभा अध्यक्ष बोले- सभी दलों से बातचीत के बाद बहस का वक्त तय करेंगे
– सांसदों को धोखेबाज कहने पर नाराज हुई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन
– माइक बंद होने पर सांसद मल्लिकार्जुन खरगे ने व्यक्त किया आक्रोश
– स्मृति इरानी बोली- चर्चा के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा विपक्ष
संसद के दोनों सदनों में मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। संसद में रोजाना दोनों सदनों की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ रही है। बुधवार को भी मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा हुआ और दोनों सदन दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दिए गए। इसके पहले दोनों सदनों के सत्रों की शुरूआत कारगिल विजय दिवस की 24वीं वर्षगांठ पर सैनिकों को श्रद्धांजलि देकर की गई।
दोपहर 12 बजे बाद राज्यसभा की कार्रवाई दोबारा शुरू होने पर विपक्षी सांसद लगातार वी वॉन्ट जस्टिस, पीएम मोदी जवाब दो..के नारे लगाते रहे वहीं लोकसभा में कांग्रेस और बीआरएस की तरफ से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने लोकसभा में सेक्रेटरी जनरल के कार्यालय में नो कॉन्फिडेंस मोशन का नोटिस दिया वहीं तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी बीआरएस ने भी अलग से अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।
जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने मंजूरी देते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का समय सभी दलों से बातचीत के बाद तय करेंगे। इधर, सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने सांसदों को धोखेबाज कहने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए इस वाक्य की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सदन में ऐसा कहने वालों को माफी मांगनी चाहिए। स्मृति इरानी ने कहा कि महिला मंत्री तो मणिपुर के साथ राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर भी चर्चा करना चाहती है लेकिन विपक्ष चर्चा करने के लिए हिम्मत ही नहीं जुटा पा रहा है। दूसरी ओर विपक्ष से मल्लिकार्जुन खरगे ने मंगलवार को बोलते वक्त अपने माइक के बंद होने पर नाराजगी व्यक्त की।
अविश्वास प्रस्ताव पर सांसदों के बयान
संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल कहा कि पहले वे चर्चा चाहते थे। जब हम तैयार हुए, तो उन्होंने नियमों का मुद्दा उठाया। अब वे नया मुद्दा लेकर आए कि पीएम आकर चर्चा शुरू करें। मुझे लगता है ये सभी बहाने हैं। शिव सेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी कहा कि अगर पीएम को संसद में लाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो हम इस देश की बहुत बड़ी सेवा करेंगे। राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि शायद अविश्वास प्रस्ताव के बहाने उन्हें कुछ बोलने पर मजबूर किया जा सकता है। यही सबसे बड़ी उपलब्धि होगी।
अविश्वास प्रस्ताव के पीछे विपक्ष का मकसद क्या
विपक्ष जानता है कि सरकार सदन में आसानी से बहुमत साबित कर देगी, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव मंजूरी के बाद प्रधानमंत्री का भाषण भी होगा।अगर आंकड़ों की बात करें, तो अभी लोकसभा में एनडीए के 335 सांसद हैं। मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 में आया था तब सरकार को 325, विपक्ष को 126 वोट मिले थे। इधर, राज्य सभा में सांसदों द्वारा द्स्तावेज सदन के पटल पर रखे गए। वहीं सेक्रट्री जनरल ने बहु राज्य सहकारी समिति संशोधन विधेयक 2023 के लोकसभा सत्र में 25 जुलाई को पारित होने की सूचना दी।
प्रश्नकाल के बीच विपक्ष का हंगामा
लोक सभा में प्रश्नकाल के बीच विपक्ष का हंगामा चलता रहा। सांसद मलूक नागर ने प्रश्नकाल में कहा कि एक्सपोर्ट से जो पैसा देश में आया उसमें से इंसेंटिव के रुप में कितना पैसा किसानों को दिया जा रहा है। साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासकर मणिपुर और बंगाल में नई तकनीक से जूट की खेती बढ़ाने पर सरकार क्या कर रही है। इसके जवाब में सांसद दर्शना विक्रम जारदोश ने आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते हुए कर्तव्य काल के निर्माण की बात कही और बताया कि इस कर्तव्य काल में टेक्सटाइल उद्योग में सबसे बड़ा योगदान जूट का रहा है।
किसानों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि कल किसानों के अकाउंट में सम्मान निधि के रूप में प्रधानमंत्री जी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से जो पैसा जमा करने वाले हैं इसमें इस बार जूट किसानों को 5 हजार ज्यादा की राशि तय की गई है वहीं श्रमिको की बालिकाओं को 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करने पर 5 हजार और 10 हजार की स्कॉलरशिप प्रदान की जाएगी। टेक्निकल टेक्सटाइल जो की ज्यादातर नार्थ ईस्ट में होता है उसको बढ़ाने के लिए बहुत सारे इंसेंटिव लिए गए हैं।
सभापति ने चुनाव के लिए स्वीकार किया प्रस्ताव
राज्य सभा सत्र में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के चुनाव और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु की परिषद के चुनाव के लिए प्रस्ताव सामने आए जिसके के बाद यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिए गए। साथ ही सभापति धनखड़ ने उन सभी सांसदों के नाम सदन में लिए जिन्हें देश में चल रही हिंसा के लिए चर्चा पर मांग की। उन्होनें सदन को याद दिलाया की सरकार इस पर पहले से चर्चा करने के लिए तैयार है।
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