हमारी जागरूकता ही लगा सकती है बढ़ती आबादी पर अंकुश
– विश्व जनसंख्या दिवस
– यूनाइटेड नेशंस ने साल 1989 में विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत की थी
– ‘एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना जहां 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं और संभावनाओं से भरपूर हो’ इस साल की है थीम
नई दिल्ली। आज यानी 11 जुलाई को दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस विशेष दिन को मनाने का उद्देश्य बढ़ती आबादी से जुड़ी समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करना है। दुनियाभर में बढ़ती आबादी कई गंभीर समस्याओं का कारण बनती जा रही है। बता दें कि, किसी भी देश की जनसंख्या ह्यूमन रिसोर्स के तौर पर उसके लिए उपयोगी हो सकती है, पर अनकंट्रोल हो रही पॉपुलेशन उस देश के लिए परेशानी का बड़ा कारण भी बन सकती है।
इसी का नतीजा है कि देश में अशिक्षा, बेरोजगारी, गरीबी और भुखमरी जैसे हालात भी देखने को मिल रहे हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि देश में बढ़ती जनसंख्या से निपटने के लिए संसाधनों की कमी है। अगर किसी चीज की कमी है तो वो है ‘जागरूकता’। जी हां, इस समस्या से निपटने के लिए परिवार नियोजन जैसे कई समाधान मौजूद हैं, लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी के कारण इस समस्या से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। आइए जानते हैं क्यों मनाया जाता है विश्व जनसंख्या दिवस, मनाने का उद्देश्य और बढ़ती जनसंख्या से क्या और कितने नुकसान है-
ये है मनाने का उद्देश्य
वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या 8 अरब से ज्यादा है, जिसका नकारात्मक प्रभाव दुनियाभर के पर्यावरण पर तेजी से पड़ रहा है। पर्यावरण में हो रहे तेजी से बदलाव रोकने और लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना इसका प्रमुख उद्देश्य है। इसके साथ ही दुनियाभर को इस बात के लिए प्रेरित करना है की एक दिन विश्व स्थाई जनसंख्या को प्राप्त कर सके और हमारी पृथ्वी और पर्यावरण को कोई भी नुकसान न हो।
इसलिए मनाया जाता है यह दिन
11 जुलाई 1989 को यूनाइटेड नेशन ने एक सभा का आयोजन कर ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाने का फैसला लिया था। 11 जुलाई 1987 तक वल्र्ड पॉपुलेशन का आंकड़ा 5 अरब पार पहुंच चुका था। तब दुनियाभर के लोगों को बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक करने के लिए इसे वैश्विक स्तर पर मनाने का फैसला लिया गया था। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरूक करना ताकि गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी जैसे हालातों से बचा जा सके।
बढ़ती जनसंख्या बन सकती है भुखमरी का कारण
आम जनता को यह समझना आवश्यक है कि जनसंख्या वृद्धि और विकास आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। जनसंख्या संबंधी समस्याओं का समाधान करके, हम विकास हासिल करने के साथ ही सभी के लिए बेहतर भविष्य बना सकते हैं। जनसंख्या में वृद्धि पूरे विश्व के लिए चिंता के कारण के साथ-साथ बहुत बड़े बदलाव का कारण भी बन सकती है, जिसमें जलवायु परिवर्तन एवं प्रदूषण मुख्य हैं। यह आने वाली पीढ़ी के लिए चुनौती का कारण और संसाधन की कमी से भविष्य में भुखमरी का कारण भी बन सकती है।
ये है साल 2023 की थीम
देशभर में बढ़ती जनसंख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल इसे एक थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ‘एक ऐसी दुनिया की कल्पना करना, जहां 8 अरब लोगों का भविष्य आशाओं और संभावनाओं से भरपूर हो’ थीम के साथ विश्व जनसंख्या दिवस 2023 सेलिब्रेट किया जाएगा।
दुनियाभर में इस तरह मनाते हैं विश्व जनसंख्या दिवस
दुनियाभर में विश्व जनसंख्या दिवस पर पॉपुलेशन कंट्रोल करने के लिए कई नियमों से लोगों को परिचित कराया जाता है। इसके अलावा जेंडर इक्वलिटी, मां और बच्चे का स्वास्थ्य, जेंडर एजुकेशन, गर्भनिरोधक दवाओं के इस्तेमाल से लेकर यौन संबंध जैसे गंभीर विषयों पर लोगों से खुलकर बात की जाती है। इस दिन जगह-जगह जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों के जरिए लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है। कई जगहों पर सम्मेलन भी आयोजित किए जाते हैं।
विश्व जनसंख्या दिवस पर UN द्वारा जरी एक आर्टिकल : https://www.un.org/en/observances/world-population-day
आइये जानते हैं कुछ रोचक फैक्ट
साल 1000 ईस्वी में दुनिया की कुल जनसंख्या 40 करोड़ थी। 1804 में यह संख्या एक अरब और 1960 में 3 अरब पहुंच गई।
शोध के अनुसार प्रति सेंकड 4.2 लोग पैदा होते हैं, जबकि मृत्यु दर 1.8 है।
आकलन किया जा सकता है कि जन्म दर की तुलना में मृत्यु दर 50 फीसदी से भी ज्यादा है।
विश्व की जनसंख्या 1.10 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रही है। वैश्विक जनसंख्या 2030 में 8.6 अरब, 2050 में 9.8 अबर तथा 2100 में 11.2 अरब तक पहुंचने की उम्मीद है।
2020 में यूरोपीय संघ की औसत प्रजनन दर 1.5 बच्चे की थी।
यूरोपीय महाद्वीप में आइसलैंड का जनसंख्या घनत्व सबसे कम है।
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