सरकार ने लैपटॉप, टैबलेट और कंप्यूटर के आयात पर लगाई पाबंदी
-मेक इन इंडिया के लिए मोदी सरकार ने लिया कड़ा फैसला
-कैपिटल गुड्स का हिस्सा होने पर आयात लाइसेंस से मिलेगी छूट
-बैगेज नियमों के तहत लागू नहीं होगा बैन
-लोकल मैन्युफैक्चर्स को होगा लाभ
केंद्र सरकार ने 3 अगस्त को एक बड़ा फैसला लेते हुए लैपटॉप और कंप्यूटर के आयात पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी लगा दी है। इस संबंध में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है। डीजीएफटी द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, इन प्रतिबंधित आइटम्स के आयात के लिए वैध लाइसेंस के तहत अनुमति दी जाएगी। दरअसल, सरकार ने मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए ये बड़ा फैसला किया है।
आयात के लिए लगाई गई ये शर्त
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि एक शर्त के साथ आयात की अनुमति दी जाएगी कि आयातित सामान का उपयोग केवल बताए गए उद्देश्यों के लिए किया जाएगा ना की बेचा जाएगा। इसके अतिरिक्त शर्त में यह भी शामिल है कि उपयोग के बाद उत्पादों को नष्ट कर दिया जाएगा या फिर से निर्यात किया जाएगा।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार ने यह निर्णय ऐसे समय पर लिया है जब मेक इन इंडिया पर पूरा जोर दिया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग निकाय मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के पूर्व महानिदेशक अली अख्तर जाफरी ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य विनिर्माण को भारत में बढ़ावा देना है और यह एक सकारात्मक फैसला है। हम इसका स्वागत करते हैं।
इन मामलों में दी गई है छूट
रिसर्च और डेवलपमेंट, टेस्टिंग, बेंचमार्किंग, रिपेयरिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट और फिर से निर्यात करने के मामलों में प्रति खेप 20 प्रोडक्ट मंगाने पर आयात लाइसेंस से छूट प्रदान की गई है। अधिसूचना के अनुसार, आयात की अनुमति इस शर्त के साथ दी जाएगी कि प्रोडक्ट का उपयोग सिर्फ बताए गए उद्देश्यों के लिए किया जाएगा और उन्हें बेचा नहीं जाएगा। यह भी कहा गया कि काम होने के पश्चात प्रोडक्ट या तो नष्ट कर दिया जाएगा या फिर निर्यात किया जाएगा।
कैपिटल गुड्स का हिस्सा होने पर आयात लाइसेंस से मिलेगी छूट
अधिसूचना के अनुसार, कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट आदि के आयात को केवल प्रतिबंधित आयात के लिए वैध लाइसेंस के तहत अनुमति दी जाएगी। यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह प्रतिबंध बैगेज नियमों के तहत आयात पर लागू नहीं होगा। बता दें कि पुरानी नीति के तहत इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट के आयात की छूट थी। यदि लैपटॉप, टैबलेट, पीसी और अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर कंप्यूटर और सर्वर किसी कैपिटल गुड्स का हिस्सा हैं, तो उन्हें आयात लाइसेंस से डिस्काउंट दिया जाएगा।
इस वजह से लगाया गया प्रतिबंध
भारत के व्यापार संतुलन पर दबाव के बीच आयात पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार, मई और जून में व्यापार घाटा 1,65,000 करोड़ से अधिक हो गया है। वहीं, अप्रैल-जून में भारत का व्यापारिक आयात 2022-23 की पहली तिमाही की तुलना में 12.7 फीसदी कम हो गया है और निर्यात में 15.1 फीसदी की गिरावट आई है। विदेशी सामानों की खरीदारी भले ही गिरी है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक सामानों का आयात अप्रैल-जून में साल-दर-साल 6.3 फीसदी बढ़कर लगभग 1,63,000 करोड़ हो गया है।
भारत में सबसे ज्यादा आयात होता है इलेक्ट्रॉनिक सामान
भारत में पेट्रोलियम उत्पादों के बाद सबसे ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक सामानों का आयात किया जाता है। हालांकि, नए आंकड़ों के मुताबिक, भारत द्वारा इलेक्ट्रॉनिक सामानों का निर्यात अप्रैल-जून में 47.1 फीसदी बढ़कर लगभग 57,000 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं कुछ समय पहले आई ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं के आयात में गिरावट उन क्षेत्रों में ज्यादा हुई है जहां सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना शुरु की गई है।
लोकल मैन्युफैक्चर्स को होगा लाभ
मेक इन इंडिया मुहिम के बीच में सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से लोकल मैन्युफैक्चर्स के साथ ही ऐसी विदेशी कंपनियों को भी फायदा होगा, जो देश में लगातार प्रोडक्शन कर लोकल सप्लाई और दूसरे देशों को ये सामान निर्यात कर रही हैं। इसके अतिरिक्त इस कदम का असर इंडियन इकोनॉमी पर भी देखने को मिलेगा, क्योंकि ट्रेड डेफिसिट में कमी आएगी।
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