रेल कॉरिडोर से लेकर एफटीए तक, जानिए जी-20 में हुए कौन-कौन से बड़े फैसले
-जी-20 सम्मेलन भारत में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया
-जी-20 में नई दिल्ली घोषणापत्र को मिली मंजूरी
-अफ्रीकी संघ भारत की अध्यक्षता में बना जी-20 का स्थायी सदस्य
-भारत को मध्य-पूर्व और यूरोप से जोड़ेगा इकोनॉमिक कॉरिडोर
नई दिल्ली। दुनिया का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण आयोजन जी-20 सम्मेलन 2023 भारत में सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। दिल्ली के प्रगति मैदान के भारत मंडपम में 9 और 10 सितंबर को हुए इस समिट में दुनियाभर के दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में कई ऐसे ऐतिहासिक समझौते हुए जो आने वाले दिनों में भारत समेत दुनिया के लिए काफी अहम साबित होने वाले हैं।
इनमें इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरीडोर के मेगा प्लान से लेकर अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस, ब्रिटेन के साथ एफटीए पर वार्ता, ग्लोबल वार्मिंग और भारत की पहल पर दक्षिण अफ्रीका को जी20 में पहली बार शामिल किया जाना जैसे बड़े मुद्दे शामिल हैं।
जॉइंट डिक्लरेशन
जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद जारी दिल्ली घोषणा-पत्र पर आम सहमति कायम करना भारतीय कूटनीतिक कौशल की सबसे बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, इसके लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। सभी सदस्य देशों की सहमति के साथ नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लरेशन जारी हुआ। यूक्रेन मुद्दे पर सहमति बनाने में भारतीय दल ने काफी मेहनत की थी। शुरुआत में इसमें काफी दिक्कतें थीं, लेकिन मोदी ने वर्ल्ड लीडर्स के साथ पर्सनल कैमिस्ट्री का इस्तेमाल किया और ये बड़ी दिक्कत दूर हो गई। भारत की दलील यह थी कि यूक्रेन मसले का असर दूसरे अहम मुद्दों पर नहीं पड़ना चाहिए।
भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर
जी20 सम्मेलन में भारत को बड़ी कूटनीतिक कामयाबी भी मिली। भारत ने चीन को बड़ा झटका दिया है। दुनिया के कई गरीब देशों को कर्ज जाल में फंसाने वाले चीन ने बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई ) के जरिए यूरोप तक ट्रेड रूट बनाने का ख्वाब देखा है। इस मेगा प्रोजेक्ट का एक अहम हिस्सा पाकिस्तान में है। इसे चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी सीपीईसी कहा जाता है।
अब इसके जवाब में भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर डील हुई है। इसमें भारत, यूनाइटेड अरब ऑफ एमीरेट्स (यूएई), सऊदी अरब, यूरोपीय यूनियन (ईयू), इटली, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका शामिल हैं। जल्द ही कुछ और देश हिस्सा बनेंगे।
क्या है इंडिया-मिडिल ईस्ट कॉरिडोर?
इसे प्रधानमंत्री मोदी के वन अर्थ, वन फैमिली और वन फ्यूचर की ओर बड़ा कदम माना जा रहा है। इस कॉरिडोर के कई आयाम हैं। यह पूरी दुनिया को जोड़ने की दिशा में बड़ा निर्णय है। इसके तहत भारत के पोर्ट को जलमार्ग के माध्यम यूएई से जोड़ा जाएगा, इसके बाद यूएई को सड़क और रेल रूट से सऊदी अरब से जोड़ा जाएगा।
इसके आगे यह जॉर्डन से जुड़ेगा और फिर जॉर्डन को सड़क और रेल रूट की मार्फत इजरायल से जोड़ा जाएगा। वहीं इजरायल से भूमध्य सागर से होते हुए यह इटली से जुड़ेगा और फिर इटली को सड़क और रेल रूट से फ्रांस से जोड़ा जाएगा।
बाइडेन ने बताया- गेम-चेंजिंग निवेश
इस कॉरिडोर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि- यह पूरी दुनिया के संपर्क और सतत विकास को एक नई दिशा देगा। आने वाले समय में यह भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के आर्थिक एकीकरण का एक प्रभावी माध्यम बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये भी कहा कि अब हम सभी एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक साझेदारी पर पहुंच गए हैं, जिसका उद्देश्य चीन की बेल्ट एंड रोड का मुकाबला करना है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसे एक गेम-चेंजिंग क्षेत्रीय निवेश बताया है।
एफटीए पर ब्रिटेन से आश्वासन
जी20 समिट में भारत आए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्विपक्षीय वार्ता में एफटीए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) की दिशा में तेजी से काम करने पर सहमति जताई गई। इस मुद्दे पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय से एक बयान जारी किया गया है। जिसमें बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच एफटीए मुद्दे पर सार्थक बातचीत हुई है।
बातचीत में इस समझौते के सकारात्मक पहलुओं पर चर्चा की गई। ये बताया गया कि इससे दोनों देशों के व्यापार को लाभ होगा। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया है कि दोनों देशों में मुक्त व्यापार को लेकर जल्द ही कोई समाधान निकल सकता है।
भारत की पहल अफ्रीका बना जी20 का स्थायी सदस्य
भारत की पहल पर जी20 की स्थायी सदस्य के तौर पर दक्षिण अफ्रीका का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इसी के साथ दक्षिण अफ्रीका जी20 समूह का 21वां सदस्य देश बन गया। गौरतलब है कि भारत ने अफ्रीकन यूनियन को जी20 का स्थायी सदस्य बनाने का प्रस्ताव रखा था। बतौर अध्यक्ष सभी देशों की सहमति से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जैसे ही इसे पारित किया अफ्रीकन यूनियन के प्रमुख अजाली असोमानी पीएम मोदी के गले लग गए। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जी20 के परिवार के स्थाई सदस्य के तौर पर अफ्रीकी संघ का स्वागत करते हुए सम्मानित महसूस कर रहा हूं।
इससे जी20 मे ग्लोबल साउथ की आवाज मजबूत होगी। वहीं, भारत की इस पहल का दुनिया भर में बड़ी सराहना मिली है।मिस्र के राष्ट्रपति अल-सिसी ने कहा कि यह सही दिशा में उठाया गया कदम है जो महाद्वीप की प्राथमिकताओं को अंतरराष्ट्रीय एजेंडे में रखने का अवसर प्रदान करता है। खास बात ये कि अफ्रीकी यूनियन को जी20 में शामिल करने के प्रस्ताव का समर्थन यूरोपियन यूनियन के साथ-साथ चीन ने भी किया था।
रूस-यूक्रेन जंग पर चिंतन
जी20 में जो दिल्ली घोषणापत्र जारी किया गया, उसमें क्षेत्रीय अखंडता, देशों की संप्रभुता, अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून, शांति और स्थिरता की रक्षा करने का आह्वान किया गया। इसी दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था पर युद्ध के दुष्प्रभाव पर भी चिंता जताई गई और एकजुट होकर इस दिशा में रचनात्मक पहल की जरूरत पर बल दिया गया। दिल्ली घोषणा पत्र में कहा गया कि ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की भावना के अनुरूप यूक्रेन में न्यायसंगत और टिकाऊ शांति की पहल जरूरी है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों को कायम रखा जाना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण का आग्रह
जी20 समिट में यूरोपीय आयोग ने सदस्य देशों से 2030 के लिए महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य तय करने का आग्रह किया। जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में ‘वन अर्थ’ सत्र को संबोधित करते हुए यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने बताया कि जलवायु परिवर्तन मानव निर्मित है इसलिए इसका निदान भी इंसान ही कर सकता है। उन्होंने सदस्य देशों को याद दिलाया कि हम ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के अपने लक्ष्य से चूकने वाले हैं। यानी कि ग्लोबल वार्मिंग का खतरा काफी करीब आ चुका है।
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