राहुल गांधी के दौरे के बीच मणिपुर में गोलीबारी, पुलिस ने काफिला रोका
पर्वोत्तर राज्य मणिपुर में कई दिनों से हिंसा जारी है। इस हिंसा में अब तक 100 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच, मणिपुर के कांगपोकपी जिले के हारोथेल गांव में गुरुवार सुबह अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा गोलीबारी की गई। गोलीबारी की सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद गोलीबारी अब रुक गई है।
सेना ने जानकारी दी कि अज्ञात ने बिना किसी कारण के गोलीबारी की। किसी भी अतिरिक्त क्षति को रोकने के लिए सैनिकों ने सुव्यवस्थित तरीके से जवाब दिया। सैनिकों की त्वरित कार्रवाई के परिणामस्वरूप गोलीबारी बंद हो गई। अपुष्ट रिपोर्टों से कुछ लोगों के हताहत होने का संकेत मिला है।
मणिपुर के दौरे पर गए हैं राहुल गांधी
राहुल गांधी के काफिले को मणिपुर पुलिस ने इंफाल से 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में रोक दिया था। राहुल गांधी मणिपुर के अपने दो दिवसीय दौरे के लिए इंफाल पहुंचने के बाद चुराचांदपुर जिले के लिए रवाना हुए थे, जहां व हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों से राहत शिविरों में मिलने वाले थे। पुलिस की ओर से रोके जाने के बाद राहुल गांधी इंफाल वापस लौट गए।
कांग्रेस ने किया प्रदर्शन
राहुल गांधी के काफिले के रोके जाने के विरोध में पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष के. मेघचंद्र सिंह ने कहा कि लोग राहुल गांधी के स्वागत के लिए सड़कों पर खड़े हैं, लेकिन बिष्णुपुर पुलिस के अधिकारी सड़कों पर उन्हें रोक रहे हैं। मैंने सुना है कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सड़कें बंद करने के निर्देश भी दिए हैं। वे इसका राजनीतिकरण कर रहे हैं। वे केवल ये कह रहे हैं कि कानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है और हमें आगे नहीं बढ़ने दे रहे।
क्या है पूरा मामला ?
गौरतलब है कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच 3 मई को भड़की जातीय हिंसा में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में 3 मई को आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद हिंसा शुरू हुई थीं. जानकारी के मुताबिक, मणिपुर में मैतेई लोगों की संख्या करीब 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। वहीं, आदिवासी- नागा और कुकी की आबादी करीब 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और ये पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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