राहुल गांधी की 137 दिन बाद लोकसभा में वापसी
-सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल की सजा पर रोक लगाने से बहाल उनकी संसदीय सदस्यता
-विपक्ष को मिली और ताकत
– मोदी सरनेम वाले बयान पर सूरत कोर्ट ने उन्हें ठहराया था दोषी
दिल्ली। कांग्रेस और उसके सर्वदलीय गठबंधन इंडिया के लिए एक बड़ी राहत का निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने दिया है। देश की उच्चतम नन्यालय ने राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी, जिसके बाद अब राहुल गांधी का वापस से चुनाव लड़ने का रास्ता साफ नगर आ रहा है। इसी बीच लोकसभा सचिवालय ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता दोबारा से बहाल कर दी है। दरअसल, उन्हें मोदी सरनेम मामले में मार्च 2023 में दोषी ठहराया गया था, दो साल की सजा होने की वजह से संसद से उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
जानिए ये है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मोदी सरनेम टिप्पणी पर आपराधिक मानहानि मामले में तुरंत राहत दी है। कोर्ट ने शुक्रवार को अपने अंतरिम आदेश में राहुल गांधी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी। वहीं, गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में चल रहे मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। ऐसे में बड़ी बात यह भी है कि सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल लोकसभा सदस्यता भी बहाल हो गई है और अब कांग्रेस अपने 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को फिर बार बड़े चेहरे के रूप में प्रचार कर पाएगी।
क्या राहुल लड़ेंगे 2024 का लोकसभा चुनाव?
सुप्रीम कोर्ट ने भले ही राहुल को मोदी सरनेम मामले में राहत जरूर दी है, पर यह मामला खारिज नहीं किया गया है। कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगाई है। अब इस मामले में नए सिरे से सुनवाई होगी। अगर सुप्रीम कोर्ट भी राहुल को इस मामले में दो साल की सजा सुनाता है तो राहुल चुनाव लड़ने से अयोग्य हो जाएंगे। वहीं, कोर्ट से बरी होने या दो साल से कम सजा मिलने पर राहुल चुनाव लड़ सकेंगे। हालांकि, ऐसा भी हो सकता है कि कोर्ट का फैसला 2024 के चुनाव के बाद आए। ऐसी स्थिति में राहुल 2024 का चुनाव लड़ सकते हैं।
राहुल का 137 दिन का इंतजार खतम
राहुल 2019 लोकसभा चुनाव में केरल के वायनाड से चुनाव जीते थे। वहीं, राहुल गांधी अब करीब 137 दिन बाद 7 अगस्त को दोबारा संसद पहुंचे। मोदी सरनेम केस में 2 साल की सजा के बाद 24 मार्च 2023 को सांसदी रद्द कर दी गई थी।
चेतावनी के साथ राहुल को मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी द्वारा मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के आपराधिक मानहानि मामले में बीते शुक्रवार 4 अगस्त को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि- “निचली अदालत के न्यायाधीश ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते समय कोई कारण नहीं बताया, सिवाय इसके कि उन्हें अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने राहुल गांधी से आगे ऐसे विवादित बयान देने से बचने की हिदायत दी है।
ये देश के लिए राहत- खड़गे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- “राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने का फैसला स्वागत योग्य कदम है। यह भारत के लोगों और विशेषकर वायनाड के लोगों के लिए राहत वाला है। भाजपा और मोदी सरकार को अपने कार्यकाल का जो भी समय बचा है, उसका इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करने के बजाय वास्तविक शासन पर ध्यान केंद्रित करके करना चाहिए।”
वहीं, राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल होने पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा- “स्पीकर ने आज फैसला लिया। हमने कानूनी प्रक्रिया का पालन किया और सुप्रीम कोर्ट का आदेश मिलने के तुरंत बाद सदस्यता बहाल कर दी गई।”
मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष को मिलगा बल
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस नेता, विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया खुद के लिए किसी मास्टर स्ट्रोक से कम नहीं मान रहे हैं। राहुल गांधी की सजा पर रोक लगना, इससे विपक्षी एकता को मजबूती मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद कांग्रेस पार्टी में जश्न का माहौल है। मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म होने के बाद सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की जोड़ी संसद में विपक्षी एकता को आगे बढ़ाने में पुरजोर कोशिश कर रहे थे।
अब उन्हें राहुल गांधी का साथ मिलेगा। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल होने के बाद अब संसद में फिर एक बार मणिपुर हिंसा पर विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर हंगामा होने के पूरे आसार हैं।
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