हिन्दू ह्रदय सम्राट – राज ठाकरे
अनोखे अंदाज़ में मनाया जन्मदिन
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने गुरुवार को अपना 55वां जन्मदिन अनोखे अंदाज में मनाया। बता दें राज ठाकरे ने अपने जन्मदिन पर औरंगजेब की तस्वीर वाला केक काटा। खास बात ये रही कि उन्होंने केक पर औरंगजेब की गर्दन वाली जगह पर ही चाकू चलाया। इस दौरान महाराष्ट्र की राजनीति को गरमाने वाला औरंगजेब का मुद्दा फिर सामने आ गया है।
दरअसल, एमएनएस प्रमुख के जन्मदिन के मौके पर कार्यकर्ताओं ने उन्हें तोहफे में केक दिया था, जिसके ऊपर मुगल बादशाह औरंगजेब की फोटो बनी थी। इसी केक को काटकर राज ठाकरे ने कार्यकर्ताओं के साथ जन्मदिन मनाया।
औरंगजेब को लेकर राजनीति गर्म
औरंगजेब के मुद्दे को लेकर महाराष्ट्र में बहस छिड़ी हुई है। हाल ही में अहमदनगर में एक जुलूस के दौरान औरंगजेब की तस्वीर लहराने और कोल्हापुर में औरंगजेब व टीपू सुल्तान की तस्वीर को लहराने के बाद सांप्रदायिक तनाव फैल गया था। जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा था साथ ही धारा 144 लगाकर इंटरनेट सेवाओं को भी बंद किया गया था।
राज ठाकरे की कहानी
उनका असली नाम स्वरराज श्रीकांत ठाकरे है। उनका राजनीतिक जीवन शिवसेना की छात्र शाखा, भारतीय विद्यार्थी सेना के गठन के साथ शुरू हुआ। 1990 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान, वह प्रमुख हो गए। 2005 में, उन्होंने शिवसेना से इस्तीफा दे दिया और एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू करने की घोषणा की। मार्च 2006 में, उन्होंने “महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना” पार्टी की स्थापना की। वह 2008 के उत्तर-विरोधी भारतीय अभियान, मराठी में व्यापार साइनबोर्ड आदि जैसे कई विवादों से जुड़े थे।
राजनीति का सफ़र
अपने राजनीती के सफ़र में उन्हें काफी उतार चढ़ाव देखने को मिले जैसे लाउडस्पीकर से अजान पर अपना विरोध दर्ज कराकर उन्होंने एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासत में उस उग्र हिंदुत्व के सुर बुलंद करने शुरू किया.
शिवसेना से अलग होने के बाद राज ठाकरे और उनकी पार्टी ने महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी एक जगह बनाई थी। लेकिन बदलते राजनीतिक समीकरणों के साथ उनकी सियासी अहमियत घटती चली गई। कभी महाराष्ट्र विधानसभा में उनके 13 विधायक हुआ करते थे, आज महज एक है। वह विधायक भी अपने दम पर जीतकर आया है। राज ठाकरे ने उत्तर भारतीयों के ख़िलाफ़ जो उग्र तेवर अख्तियार कर पूरे राज्य में मुहिम चलाई थी, वक़्त के साथ वह भी अप्रासंगिक हो गई।
बीजेपी-राज ठाकरे के रिश्तों के पीछे छिपे समीकरणों को शिवसेना प्रवक्ता और सीनियर नेता संजय राउत के उस बयान से समझा जा सकता है, जिसमें उन्होंने राज ठाकरे को महाराष्ट्र का ओवैसी करार दिया था। राउत ने कहा था कि बीजेपी राज ठाकरे को महाराष्ट्र में वैसे ही इस्तेमाल करना चाहती है, जैसे उसने यूपी में ओवैसी को किया था।
विवादों और बयानों का सिलसिला:-
प्रधानमंत्री को संदेश
पिंपरी में एक कार्यक्रम में, ठाकरे ने कहा: “प्रधानमंत्री को सभी राज्यों को अपने बच्चों की तरह व्यवहार करना चाहिए, और उन्हें समान उपचार देना चाहिए। सिर्फ इसलिए कि वह गुजरात से हैं इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें गुजरात का पक्ष लेना चाहिए यह उनके कद के अनुरूप नहीं है। इस बयान ने लोगों को हैरानी में डाल दिया था क्योंकि ठाकरे तब से भाजपा के साथ रहे हैं जब चुनावी असफलताओं ने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे की तुलना में बाल ठाकरे के असली उत्तराधिकारी के रूप में उभरने की उनकी उम्मीदों को मार दिया था।
कांग्रेस और भाजपा पर हमला
इसके अलावा राज ठाकरे ने कांग्रेस और भाजपा से वी डी सावरकर और जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय प्रतीकों को बदनाम करना बंद करने और इसके बजाय देश के सामने महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने को भी कहा था उनका कहना था कि स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले राष्ट्रीय नायकों की आलोचना अनुचित थी क्योंकि सभी के “सकारात्मक और नकारात्मक पहलू” होते हैं। “क्या राहुल गांधी का कद सावरकर के बारे में बुरा बोलने का है, जिन्हें 50 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी ?
मराठी भाषा अपनाने पर जोर
साल 2008 में राज ठाकरे ने मराठी भाषा को अपनाने पर जोर दिया. एमएनएस कार्यकर्ता मुंबई में अंग्रेजी साइन बोर्ड को काला करने लगे. उसकी जगह मराठी साइन बोर्ड लगाने को कहा गया. फिल्मों में भी मुंबई के पुराने नाम बंबई के इस्तेमाल को लेकर हंगामा खड़ा किया गया. एमएनएस ने ‘वेक अप सीड’ फिल्म का सिर्फ इसलिए विरोध किया. क्योंकि इसमें मुंबई को बंबई के नाम से संबोधित किया गया था।
तबलीगी जमात पर निशाना
साल 2020 में कोरोना के दौरान तबलीगी जमात की निजामुद्दीन के मरकज में बैठक पर राज ठाकरे ने निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि इसके जमावड़े से कोरोना के खिलाफ जंग को नुकसान हुआ है. ऐसे लोगों को गोली मारकर खत्म कर देना चाहिए।
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