यूपीए सुनकर लोगों को घोटालों की याद आ रही थी इसलिए बदला नाम
-अविश्वास प्रस्ताव पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिया जवाब
-निर्मला बोलीं- बैंकों में यूपीए का फैलाया रायता हम समेट रहे हैं
– प्रधानमंत्री ने सबका साथ, सबका विश्वास नारे को लेकर काम किया
– 9 साल में भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना
– सरकारी बैंकों का मुनाफा 1.9 लाख करोड़ से अधिक हो गया
नई दिल्ली। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चल रही बहस का गुरुवार को आखिरी दिन है। मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस समेत विपक्षी नेताओं की जमकर आलोचना की। इस दौरान उन्होंने बैंकों की परफॉर्मेंस में आए सुधार के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 2013 में मॉर्गन स्टेनली ने भारत को दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं की सूची में शामिल किया था।
भारत को नाजुक अर्थव्यवस्था घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि आज उसी मॉर्गन स्टैनली ने भारत को अपग्रेड कर ऊंची रेटिंग दी है। साथ ही, सीतारमण ने बैंकों के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि आपने (कांग्रेस और विपक्ष) जो बैंकों में रायता फैलाया था, हम उसे साफ कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी बैंकों का मुनाफा 1.9 लाख करोड़ से अधिक हो गया है।
ग्लोबल रैंकिंग में 10 से 5वें नंबर पर पहुंचा भारत
भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि दुनिया में विकास दर 3 प्रतिशत पर पहुंच गई। आज दुनिया मंदी के दौर से गुजर रही है और ब्रिटेन-जर्मनी जैसे देश भी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। इसके साथ ही यूरोप भी आर्थिक संकट में है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि बीते 9 साल में भारत सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है।
सीतारमण ने आगे ग्लोबल रैंकिंग की बात करते हुए विपक्ष पर वार किया और कहा कि साल 2014 में भारत ग्लोबल रैंकिंग में 10वें पायदान पर था, लेकिन आज ये तेज रफ्तार के साथ 5वें नंबर पर आ गया है।
हमारी सरकार की नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था ऊपर उठी
लोकसभा में वित्त मंत्री ने कहा कि केवल 9 वर्षों में, हमारी सरकार की नीतियों की वजह से अर्थव्यवस्था ऊपर उठी और कोरोना महामारी के बावजूद आर्थिक विकास हुआ। आज हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ, सबका विश्वास नारे को लेकर काम किया। आज भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में तेजी से बढ़ी। इसलिए भारत अपने भविष्य के विकास के बारे में आशावादी और सकारात्मक होने की एक दुर्लभ स्थिति में है।
मिलेगा बनाम मिल गया का बदलाव
उन्होंने आगे कहा कि बनेगा, मिलेगा जैसे शब्द अब प्रचलन में नहीं हैं। आजकल लोग क्या उपयोग कर रहे हैं? बन गया, मिल गया, आ गया। यूपीए के कार्यकाल के दौरान लोग कहते थे बिजली आएगी, अब लोग कहते हैं बिजली आ गई। उन्होंने कहा कि गैस कनेक्शन मिलेगा, अब गैस कनेक्शन मिल गया…उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट बनेगा, अब एयरपोर्ट बन गया।
यूपीए ने पूरा एक दशक बर्बाद कर दिया
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडिया गठबंधन पर भी जमकर हमला बोला। ये इंडिया गठबंधन की लड़ाई का एक उदाहरण है। यूपीए ने पूरा एक दशक बर्बाद कर दिया क्योंकि वहां बहुत भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद था। उन्होंने आगे कहा कि आज हर संकट और विपरीत परिस्थिति को सुधार और अवसर में बदल दिया गया है।
कांग्रेस प्रधानमंत्री भी इंपोर्ट करती थी
उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इंडिया नाम बदलना इसलिए पड़ा, क्योंकि यूपीए नाम से लोगों को बहुत कुछ याद आ रहा था। भ्रष्टाचार, घोटाला लोगों को यह सब याद आ गया था। अभी यह समझ नहीं आ रहा कि यह सब साथ लड़ रहे हैं या आपस में लड़ रहे हैं। क्योंकि पंजाब में कांग्रेस-आप आपस में लड़ रहे हैं।
बंगाल में लेफ्ट-टीएमसी और कांग्रेस आपस में लड़ रहे हैं। त्रिपुरा में कांग्रेस और लेफ्ट आपस में लड़ रहे हैं। वहीं, गुजरात में कांग्रेस और आप आपस में लड़ रहे हैं। गोवा में कांग्रेस और आप आपस में लड़ रहे हैं। केरल में भी लेफ्ट और कांग्रेस टकराव में हैं। ऐसे कई राज्य हैं। प्रोफेसर सौगत राय को मैं बता दूं कि कांग्रेस, मंत्री ही नहीं प्रधानमंत्री भी राज्यसभा से इंपोर्ट करती थी।
हमारा डीबीटी दुनिया के लिए उदाहरण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमने महसूस किया है कि बैंकिंग क्षेत्र को स्वस्थ रहने की जरूरत है और इसलिए हमने कई कदम उठाए हैं। बैंक राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना काम करने में सक्षम हैं, वे पेशेवर ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं। बैंकों में फैलाया हुआ आपका रायता हम साफ कर रहे हैं।
हमारी डीबीटी की कहानी बाकी दुनिया के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करती है। मैं यूपीए द्वारा डीबीटी के संचालन को मानती हूं परन्तु 2013-14 में केवल 7,367 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए थे। उस राशि से 2014-15 तक ही डीबीटी ट्रांसफर 5 गुना का इजाफा हुआ है। बीते वित्त वर्ष में डीबीटी के माध्यम से 7.16 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं।
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