मध्यप्रदेश में तीन बच्चों वाले सरकारी टीचर को किया बर्खास्त
– भिंड में 3 बच्चों वाले मास्टर की छीन गई सरकारी नौकरी
– तीसरा बच्चा होने पर चली गई थी इंदौर की महिला की नौकरी
– गलत जानकारी देकर नौकरी हासिल की
– लोक शिक्षण संचालनालय ने निरस्त की नौकरी
– 26 जनवरी 2001 के बाद तीन बच्चों वाले कर्मचारी होंगे अपात्र
भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी करने वाले और उसकी तैयारी करने वालों के लिए बड़ी खबर है। यदि आपकी भी दो से ज्यादा संतान हैं तो आपको नौकरी पर खतरा मंडरा सकता है। दरअसल, प्रदेश में 3 बच्चे वाले शिक्षकों की सरकारी नौकरी खत्म करने की शुरुआत हो गई है। ताजा मामला भिंड से सामने आया है, जहां तीन बच्चे पैदा होने पर माध्यमिक शिक्षक की नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया है।
बता दें कि भिंड जिले में एक सरकारी टीचर के तीन बच्चे होने पर हाल ही में मिली नौकरी से निकाल दिया गया। साथ ही, उसके ऊपर गलत जानकारी देने पर एफआईआर किए जाने के लिए एसपी को पत्र भी लिखा गया है। वहीं, लोक शिक्षण संभाग ग्वालियर के संयुक्त संचालक दीपक कुमार पांडेय की तरफ से जांच के पश्चात टीचर की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया गया है।
अंग्रेजी के शिक्षक पर गिरी गाज
आपको बता दें कि गणेश प्रसाद शर्मा की नियुक्ति अंग्रेजी विषय के टीचर के रूप में 30 मार्च 2023 को हुई थी। टीचर गणेश प्रसाद शर्मा के खिलाफ शिकायत हुई थी कि उसके 3 बच्चे हैं और उसने गलत जानकारी देकर नौकरी हासिल की है, जबकि मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से कानून बनाकर दो से अधिक बच्चे होने पर सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य करार दिया गया था।
अब कानूनी कार्रवाई का करना पड़ा सकता है सामना
नौकरी के वक्त भी इसके लिए शपथ पत्र लिया जाता है। शिकायत मिलने के पश्चात जांच कर कार्रवाई करते हुए लोक शिक्षण संचालनालय के ज्वॉइंट डायरेक्टर दीपक कुमार पांडेय ने पत्र जारी कर शिक्षक की नियुक्ति निरस्त कर दी है। साथ ही, उन्होंने डीईओ के द्वारा जांच कराई थी और टीचर के भी बयान लिए थे। पूरी जांच के पश्चात शिक्षक को नौकरी से तो हाथ धोना ही पड़ा अब कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
क्या है नियम?
मध्यप्रदेश सरकार के नियम के मुताबिक कोई भी सरकारी सेवक के यदि 26 जनवरी 2001 के बाद दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वह सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं है। यानी 26 जनवरी 2001 के बाद यदि वे तीसरे बच्चे के पेरेंट बनते हैं तो वे नौकरी के लिए अपात्र हो जाते हैं।
इससे पहले इंदौर की महिला टीचर की बर्खास्तगी
वहीं, मध्य प्रदेश में ये ऐसा पहला मामला नहीं है। बता दें कि इससे पहले जून में इंदौर की एक महिला टीचर को तीसरा बच्चा होने के कारण से नौकरी से निकाल दिया गया था। लोक शिक्षण विभाग ने महिला टीचर को नौकरी से बाहर निकालने का फैसला किया था।
प्रदेशभर के शिक्षकों से मांगी थी उनकी संतानों की संख्या
अकेले शिक्षा विभाग की बात करें तो साल 2020 के अगस्त महीने में शिक्षा अधिकारी ने प्रदेशभर के शिक्षकों से उनकी संतानों की संख्या की जानकारी मांगी थी। इसके लिए एक प्रपत्र जारी किया गया था। उसमें 7 कॉलम थे। छठवें कॉलम में 26 जनवरी 2001 के बाद से बच्चों की संख्या संबंधित जानकारी का जिक्र किया गया था। इसमें कर्मचारियों को बताना था कि 2001 के बाद उनके कितने बच्चे हुए।
हालांकि बाद में एक शिक्षा अधिकारी आरपी भटनागर ने कहा कि ये जानकारियां सिर्फ स्थापना शाखा में रिकॉर्ड के लिए मांगी गई हैं। इसके जरिए किसी तरह की कोई कार्रवाई करने का उद्देश्य नहीं है। यही बच्चों की जानकारी मांगने का सवाल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार से किया गया तो उन्होंने कहा कि सिर्फ शिक्षा विभाग से नहीं बल्कि कई विभागों से ये जानकारी मांगी गई है।
इस तरह की जानकारी पहले भी मांगी जा चुकी है। प्रदेश में टू चाइल्ड पॉलिसी का प्रावधान तो बनाया गया है, लेकिन अभी इस बारे में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। पहले भी सर्कुलर जारी हुआ था, जिसके बाद विधानसभा में किए गए प्रश्न को लेकर जानकारी मांगी गई है।
हमारा YOUTUBE चैनल-https://www.youtube.com/@VyasMediaNetwork