मध्यप्रदेश में आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची मूर्ति का अनावरण
-5000 संतों की उपस्थिति में हुआ मूर्ति का अनावरण
-प्रतिमा के अनावरण पर साधु संतों ने जताई खुशी
-बाल्यावस्था में संन्यास लेने के बाद ओंकारेश्वर पहुंचे थे शंकराचार्य
भोपाल। ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत पर स्थापित आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण आज (21 सितम्बर) हो गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वामी अवधेशानंद गिरी और दूसरे संतों की मौजूदगी में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच इसका अनावरण किया। प्रतिमा के अनावरण से पहले उन्होंने पत्नी के साथ पूरे विधि-विधान से साधु संतों के साथ पूजा-अर्चना की।
सीएम शिवराज के साथ स्वामी अवधेशानंद गिरि भी मौजूद रहे। आयोजकों ने परंपरागत तरीके से सीएम शिवराज और स्वामी अवधेशानंद का स्वागत किया। जिसमें केरल के कलाकारों ने नृत्य किया। कार्यक्रम स्थल पर लगभग पांच हजार संत, महंत और प्रतिनिधि मौजूद थे। इसके साथ ही, यहां अद्वैत लोक के लिए भूमिपूजन हुआ और सीएम शिवराज ने इसकी आधारशिला रखी।
प्रतिमा के अनावरण पर साधु संतों ने जताई खुशी
आदि गुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा के अनावरण पर साधु संतों ने जताई खुशी। उन्होंने कहा कि इससे सनातन धर्म को नई दिशा मिलेगी। बता दें कि आठवीं शताब्दी के दार्शनिक और हिंदू धर्म में प्रतिष्ठित शंकराचार्य की 108 फुट ऊंची अष्टधातु से बनी प्रतिमा का नाम एकात्मता प्रतिमा रखा गया है। यह विशाल प्रतिमा नर्मदा नदी के किनारे सुरम्य मांधाता पहाड़ी के ऊपर स्थित है। शंकराचार्य को सनातन धर्म को आगे बढ़ाने वाला संत माना जाता है।
75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित है 108 फीट की प्रतिमा, वजन 100 टन
आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा 100 टन वजनी है और 75 फीट ऊंचे प्लेटफॉर्म पर स्थापित है। इसे स्टैच्यू ऑफ वननेस का नाम दिया गया है। आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा 12 साल के आचार्य शंकर की झलक है। 88 प्रतिशत कॉपर, 4 प्रतिशत जिंक और 8 प्रतिशत टिन को मिलाकर यह प्रतिमा बनाई गई है। इसके 290 पैनल निर्माण कंपनी एलएंडटी ने जेटीक्यू चाइना से तैयार कराए हैं। सभी 290 हिस्सों को ओंकारेश्वर में लाकर जोड़ा गया है। आदि शंकराचार्य की ये प्रतिमा 12 साल के आचार्य शंकर की झलक है। इसी उम्र में वे ओंकारेश्वर से वेदांत के प्रचार के लिए निकले थे।
‘स्टैच्यू ऑफ वननेस’ के साथ एकात्म धाम का निर्माण
एक अधिकारी ने बताया कि आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास और मप्र राज्य पर्यटन विकास निगम के मार्गदर्शन में प्रतिमा को तैयार किया गया है और एकात्मता की प्रतिमा आदि शंकराचार्य की विरासत और उनकी गहन शिक्षाओं को प्रदर्शित करती है। इस 108 फुट ऊंची प्रतिमा के साथ, मध्य प्रदेश सभी धर्मों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार ने पहले 2,141.85 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी थी, जिसके तहत ओंकारेश्वर में एक संग्रहालय के साथ आदि शंकराचार्य की मूर्ति बनाई जानी थी।
आदि शंकराचार्य ने देश के 4 कोनों में 4 मठों की स्थापना की
बताया जाता है कि आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के कालड़ी गांव में 508-9 ईसा पूर्व और महासमाधि 477 ईसा पूर्व में हुई थी। उनकी माता का नाम आर्याम्बा और पिता का नाम शिवगुरु है। 32 वर्ष की छोटी से आयु में ही इन्होंने देश के चार कोनों में चार मठों ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, श्रृंगेरी पीठ, द्वारिका शारदा पीठ और पुरी गोवर्धन पीठ की स्थापना की थी। चारों पीठ आज भी बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं। चार पीठों में आसानी संन्यासी शंकराचार्य कहे जाते हैं। चारों पीठों की स्थापना का उद्देश्य सांस्कृतिक रूप से पूरे भारत को उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम जोड़ना था।
ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य को मिली गुरु दीक्षा
नर्मदा किनारे देश का चतुर्थ ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर शंकराचार्य की दीक्षा स्थली है जहां वे अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद मिले और यहीं 4 साल रहकर उन्होंने विद्या अध्ययन किया। 12 साल की आयु में ओंकारेश्वर से ही अखंड भारत में वेदांत के लोकव्यापीकरण के लिए प्रस्थान किया। इसलिए ओंकारेश्वर के मान्धाता पर्वत पर 12 वर्ष के आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना की जा रही है. यह पूरी दुनिया में शंकराचार्य की सबसे ऊंची प्रतिमा है जिसका लोकार्पण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने किया।