भारत से थाईलैंड जाना होगा आसान, हाई-वे का 70 फीसदी काम पूरा
– केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी बोले, प्रोजेक्ट पर तेजी से चल रहा है काम
– मोदी सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी से चीन को लगेगा झटका
नई दिल्ली। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय बनी भारत से चीन तक की इकलौती स्टिलवेल रोड की तर्ज पर एशिएन हाई-वे का काम युद्धस्तर पर हो रहा है। मणिपुर से दाखिल होते हुए म्यांमार और फिर ये हाईवे थाईलैंड तक जायेगा। मोदी सरकार के एक्ट ईस्ट पॉलिसी का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट अब 70 फीसदी तक पूरा हो चुका है।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि वे काम की स्थिति देखने गए थे और ताजा हालात यह है कि अब तक इस प्रोजेक्ट का 70 फीसदी तक काम पूरा हो चुका है। गडकरी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर तेजी से काम हो रहा था, लेकिन मणिपुर में माहौल बिगड़ने की वजह से थोड़ी-सी दिक्कतें आ रही हैं, जिसे जल्द हल कर लिया जाएगा।
हाई-वे साल 2027 तक पूरा होने की उम्मीद
इस हाई-वे के साल 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है, जिसके बाद भारत से थाईलैंड जाना आसान हो जाएगा। फ्लाइट की जगह लोग कार से थाईलैंड जा सकेंगे। भारत-म्यांमार और थाईलैंड राजमार्ग तीनों देश मिलकर बना रहे हैं, जिसकी कुल लंबाई लगभग 1400 किलोमीटर है। इस परियोजना का प्रस्ताव तत्कालीन अटलबिहारी वाजपेयी सरकार ने दिया था, लेकिन यह सिर्फ कागजों पर ही सिमट गई थी, फिर साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ।
इन देशों और शहरों से गुजरेगा ये हाई-वे
तीन देशों को जोड़ने वाला ये हाई-वे कोलकाता से शुरू होकर सिलीगुड़ी तक जाता है और फिर कूचबिहार होते हुए बंगाल के श्रीरामपुर सीमा से असम में प्रवेश करता है। असम से होते हुए दीमापुर और नागालैंड की यात्रा के बाद मणिपुर के इंफाल के पास मोरेह नाम की जगह से यह रास्ता विदेश यानी म्यांमार में प्रवेश कर जाएगा। म्यांमार में बागो और यंगून होते हुए यात्री थाईलैंड में प्रवेश कर जाएंगे।
सुधरेगी भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र की अर्थव्यवस्था
माना जा रहा है कि इस हाई-वे के पूरा होने के बाद भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा। साथ की चीन की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट भी होगी। चीन का व्यापार एशियाई देशों तक फैला है, लेकिन जब भारत की इन देशों से कनेक्टिविटी बढ़ेगी, तो इन देशों की चीन पर निर्भरता कम होगी और कई देश भारत की तरफ रुख करेंगे।
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