भारत आज पूरे विश्व की जरूरत बन गया है- अवधेशानंद गिरी महाराज
– दस्तूर गार्डन में शिष्यों को गुरु दीक्षा दी
– सनातन धर्म का पालन करने की दी सीख
इंदौर। भारत आज पूरे विश्व की जरूरत बन गया है। भारत बचेगा तो संसार बचेगा और सभ्यता भी बचेगी। स्वच्छता में पूरे देश में इंदौर 6 बार अव्वल आया है। इंदौर में हर चीज बन जाती है और यह हर काम भी कर लेता है। संतों का आदर-स्वागत भी यहां होता है।
ये विचार प्रभु प्रेमी संघ द्वारा दस्तूर गार्डन में गुरुवार को आयोजित एक दिवसीय प्रवचन माला में महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इंदौर हब है। उज्जैन में कुंभ होता है लेकिन उसकी तैयारी इंदौर कर रहा होता है। इंदौर की यह बात हमने कहीं नहीं देखी। इंदौर और उज्जैन दो शहर ऐसे हैं जिनमें समानांतर सिंहस्थ चलता है।
सनातन धर्म का पालन करने से ही पूर्णता आएगी
महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भगवान विचार कर रहे थे की पृथ्वी पर मैं सभी दूर हूं। पीपल के पेड़ में तो पूरा-पूरा हूं। शमी, बेल पत्र, अश्व और तुलसी जैसे वृक्ष पृथ्वी पर नहीं रहेंगे तो हम पूजा कैसा करेंगे। इनके बिना पूजा अधूरी है। पुष्प में लक्ष्मी का वास है, यह हमेशा खिलते रहते हैं। इनके बिना हम रह नहीं सकते। इंसान को खिलना और मुस्कराना यही सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का पालन करने से ही पूर्णता आएगी। कोई पूछे कि हम कौन हैं। हम सनातनी हैं, बाद में हम सरल भाषा में कहने लगे कि हम हिंदू हैं।
अध्यात्म के प्रकाश में अंधेरा नहीं रहता, छोटा पन नहीं रहता। एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। वह कहती है मुझे सरल व सही-सही भाषा दो। एआई कहती है मुझे संस्कृत भाषा दो। मैं सब कुछ बताने को तैयार हूं लेकिन मुझे संस्कृत भाषा दी जाए। मुझे चाइनीज, जापानी जैसी अन्य भाषा की जरूरत नहीं है। मनुष्य की मूल प्रवृत्ति करुणा है। आध्यात्मिक व्यक्ति कभी भी कन्या के घर आने पर विचलित नहीं होगा। हमेशा खुश रहेगा। एक पुत्री दस पुत्रों के बराबर होती है। 1 हजार बेटों के बराबर 1 पीपल का पेड़ है।
माता-पिता की आज्ञा का पालन करें
महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज ने कहा कि राम जी के सेवा के लिए शिव जी हनुमान बन गए। ब्रह्मा जी ने पूछा हम कैसे राम भगवान की सेवा करें। तो ब्रह्मा जी बन गए वाल्मीकि और पूरी रामायण लिख दी। पार्वती जी ने पूछा निशाचर कौन है। जिस पर भगवान ने कहा की निशाचर वह है जो माता-पिता की आज्ञा का पालन नहीं करता है। भगवान अपने मन की बात नारद के द्वारा करते हैं। लक्ष्मी जी ने पूछा कि आपका मन कहां रहता है। लक्ष्मी जी ने भगवान से पूछा आपने मन किसी के पास रखा है या पूरा नारद को दे दिया है।
इस पर भगवान ने कहा मैंने पूरा मन नारद, संत और आचार्य को दे दिया है। तब लक्ष्मी माता ने कहा मेरे मन में नारायण हैं। मेरा मन भारत के आचार्य और संत हैं। इसलिए कोई संत आपसे कुछ कहता है, तो आपको समझना होगा कि भगवान सीधे आपसे कुछ कह रहे हैं। प्रभु प्रेमी संघ इंदौर द्वारा आयोजित प्रवचन माला में श्रोताओं को संबोधित करने से पहले अवधेशानंद गिरी जी ने यहीं पर कुछ शिष्यों को गुरु दीक्षा दी।
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