बेंगलुरु में ट्रैफिक जाम की समस्या को कम करने के लिए नया फ़ॉर्मूला
-बेंगलुरु में पांच घंटे से ज़्यादा समय तक ट्रैफिक जाम
-पीक ऑवर्स में गुजरने वाली कारों पर ज़्यादा टैक्स लगाने की योजना
-मुंबई-दिल्ली में राजनीतिक दबाव के कारण नहीं हुआ ट्रैफिक कम
-सरकार के पास कारों की भीड़ का कोई इलाज नहीं
बेंगलुरु। कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में भीषण जाम की समस्या से लोग परेशान हैं। ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जब शहर की सड़कों पर ट्रैफिक जाम की स्थिति न बनती हो। यहां लोगों को एक किलोमीटर की दूरी करीब दो घंटे में तय करनी पड़ती है।
असल में कुछ दिन पहले बेंगलुरु में करीब 5 घंटे तक जाम रहा। शहर की सड़कों पर फंसे लोग बेबस और असहाय दिखे। जिसके बाद बेंगलुरु में ट्रैफ़िक समस्या को कम करने के लिए एक नया फ़ॉर्मूला लाने की तैयारी चल रही है। पीक ऑवर्स में प्रमुख सड़कों से जो गाड़ियाँ गुजरेंगी उन पर ज़्यादा टैक्स लगेगा।
बेंगलुरु में पांच घंटे से ज़्यादा ट्रैफिक जाम
बेंगलुरु में ट्रैफ़िक समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। कुछ दिन पहले बेंगलुरु शहर में पांच घंटे से ज़्यादा समय तक ट्रैफिक जाम रहा। भीषण ट्रैफिक में फंसे रहे लोग जिस के बाद ट्रैफिक जाम को लेकर तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां कर बेबसी की तस्वीरें और वीडियो शेयर किए।
जाम में फंसे लोगों ने जानकारी देते हुए लिखा कि वे रात 9 बजे से पहले ऑफिस से न निकलें और मराठाहल्ली, ओआरआर, सिल्कबोर्ड और सरजापुरा वाले रास्तों पर जाने से बचें।
बेंगलुरु में नया फ़ॉर्मूला
बेंगलुरु में ट्रैफ़िक समस्या को कम करने के लिए नई ट्रैफ़िक योजना बनाई जा रही है। बेंगलुरु में प्रमुख सड़कों से पीक ऑवर्स में जो गाड़ियाँ गुजरेंगी उन पर ज़्यादा टैक्स लगेगा। जगह-जगह बैरिगेट लगाने की सिफ़ारिश की गई है। पैसा फ़ास्ट ट्रैक के ज़रिए खुद ब खुद कट जाएगा।
लेकिन जिस कमेटी को इस बारे में ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी, उसने इसे लागू करने की सिफ़ारिश कर दी है। बेंगलुरु में ज़्यादा टैक्स लगाने का यह फ़ॉर्मूला नया नहीं है लेकिन देश में कहीं लागू नहीं है।
किन राज्यों में फ़ॉर्मूला लागू
दुनिया में सिंगापुर, लंदन और स्टॉकहोम में यह फ़ॉर्मूला लागू है। मुंबई में ट्रैफ़िक समस्या को कम करने के लिए कुछ नए फ़ॉर्मूले लागू करने की कोशिश की गई थी लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण अमल में नहीं लाया जा सका। दिल्ली में भी कुछ इसी प्रकार ओड-इवन वाला फार्मूला लागू किया गया था। लेकिन लोगों को कुछ ख़ास पसंद नहीं आया। अब बेंगलुरु में ये फ़ॉर्मूला कब तक लागू होगा, क्या यहाँ भी कोई राजनीतिक अड़चन आने वाली है, यह भविष्य में पता चलेगा।
ट्रैफ़िक योजना में राजनीति
बेंगलुरु में जो पीक ऑवर्स में ज़्यादा टैक्स की योजना है, एक बार लागू हो जाए तो बाक़ी शहरों के लिए भी रास्ता खुल जाएगा। हालाँकि हमारे देश में राजनीति और नेताओं पर कोई अंकुश नहीं है। उनके चार समर्थक अगर फ़ोन कर दें तो वे अच्छी भली योजना को तितर-बितर कर सकते हैं। मुंबई और दिल्ली में यही तो हुआ था। उद्देश्य भीड़ कम करने का था लेकिन भाई लोगों ने योजना को ही फेल कर दिया। राजनीति की इस मानसिकता पर भी अंकुश लगाने की ज़रूरत है।
क्या है बड़ते ट्रैफिक जाम का इलाज
महंगे शहरों में कारों को घरों में रखने के लिए जगह भी नहीं हैं। घरों में दो ही लोग हैं लेकिन उनके पास दो से अधिक कारें हैं। लोग एक के बाद एक कार सड़क पर या कॉलोनी की गलियों पर पार्क कर दी जाती हैं। फिर इन कारों को हटाने में भारी मशक़्क़त करनी होती है। जब तक सरकार इस बारे में कोई नीति नहीं बनाती, भीड़ का कोई इलाज नहीं हो पाएगा। कारों की यह होड़ अगर रोकी नहीं गई तो शहरों का हाल बहुत बुरा होने वाला है। हो सकता है पैदल या साइकल पर चलने वाले के लिए कोई जगह ही नहीं बचेगी।
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