27 साल से अटके पड़े महिला आरक्षण बिल को मोदी सरकार ने दी रफ्तार
– जानिए कब से लागू होगा महिला आरक्षण बिल
-बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया
-महिला आरक्षण बिल राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद बन जाएगा कानून
-लोकसभा से पास होने के बाद इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल को सर्वसम्मति से पास कराने का अनुरोध किया
नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश हो गया है। इस बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया गया है। इस बिल को पास होने की पूरी उम्मीद भी है। यह 27 साल से अटका पड़ा था। सन 1996 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार में इस बिल को पहली बार लाया गया था। साल 2010 में ये बिल यूपीए सरकार में राज्यसभा से पास भी हो गया था, लेकिन लोकसभा में इसे पेश नहीं किया गया। अब इस बिल को फिर संसद में लाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल को सर्वसम्मति से पास कराने का अनुरोध किया है। इस बिल पर बुधवार को लोकसभा में चर्चा होगी। यहां से बिल पास कराने में सरकार को कोई मुश्किल नहीं होगी। लोकसभा से पास होने के पश्चात बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा।बता दें कि संसद से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा। साथ ही साथ ये कानून लागू जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद होगा।
केंद्र सरकार ने उदाहरण देते हुए कहा है कि इस समय लोकसभा की 543 सीटें हैं, ऐसे में आरक्षण लागू होने के बाद महिलाओं के लिए 181 सीटें रिजर्व हो जाएंगी। यदि परिसीमन के बाद लोकसभा की सीटें बढ़ती हैं, तो जितनी सीटें बढ़ेगी उसका 33 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा।
महिला आरक्षण बिल क्या है?
ये बिल लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देता है। बिल के कानून बनने से लोकसभा और विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी।
कितनी सीटें महिलाओं के लिए होंगी?
ये बिल लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देता है 33 प्रतिशत यानी लोकसभा में अभी 543 सीटें हैं। इनमें से 181 सीटें महिलाओं के लिए होंगी। यदि परिसीमन के बाद लोकसभा की सीटें बढ़ती हैं, तो जितनी सीटें बढ़ेगी उसका 33 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा। इसी तरह विधानसभाओं में जितनी सीटें होंगी, उसकी 33 प्रतिशत सीटें रिजर्व रहेंगी। उदाहरण के लिए- दिल्ली विधानसभा में 70 सीटें हैं। उसकी 23 सीटें महिलाओं के लिए रहेंगी। सर कुछ पूछ रहे हैं इसका जवाब दें।
सभी राज्यों की विधानसभाओं में रहेंगी सीटें
महिला आरक्षण बिल कानून बनता है तो सभी राज्यों में भी लागू होगा। इसके लिए राज्यों की मंजूरी जरूरी नहीं है। इसलिए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। हालांकि, महिलाओं को आरक्षण सिर्फ लोकसभा और विधानसभाओं में मिलेगा। राज्यसभा और विधान परिषद में महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा।
एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण नही रहेगा
इस बिल के तहत एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण नहीं है। उन्हें आरक्षण के अंदर ही आरक्षण मिलेगा। यानी, लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, उन्हीं में से 33ः सीटें महिलाओं के लिए होंगी। बता दें कि इस समय लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। बिल के कानून बनने के बाद 84 एससी सीटों में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिजर्व होंगी। इसी तरह 47 एसटी सीटों में से 16 एसटी महिलाओं के लिए होंगी।
ओबीसी महिलाओं के लिए?
लोकसभा में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं है। एससी-एसटी की आरक्षित सीटों को हटा देने के पश्चात लोकसभा में 412 सीटें बचती हैं। इन सीटों पर ही सामान्य के साथ-साथ ओबीसी के उम्मीदवार भी लड़ते हैं। यानि की इस हिसाब से 137 सीटें सामान्य और ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए होंगी।
कब लागू होगा महिला आरक्षण बिल?
इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बिल के कानून बनने के बाद महिलाओं को आरक्षण का लाभ 2024 के लोकसभा चुनाव में नहीं मिलेगा। इस लाभ को पाने के लिए उनको 2029 के लोकसभा चुनावों तक इंतजार करना पड़ेगा। हालांकि राज्यों के विधानसभा चुनाव में महिलाओं को इस कानून के तहत आरक्षण का लाभ 2029 के पहले मिल सकता है, बशर्ते तब तक जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो जाए। लागू हो जाने के बाद महिला आरक्षण केवल 15 साल के लिए ही वैध होगा। लेकिन इस अवधि को संसद आगे बढ़ा सकती है।
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