बालासोर ट्रेन हादसे के 4 महीने बाद 28 लावारिस शवों का हुआ अंतिम संस्कार
-ओडिशा के बालासोर में 3 ट्रेनों की टक्कर में 297 लोगों की मौत हुई थी
-बालासोर ट्रेन हादसे में मिले 28 शवों की पहचान नहीं हो पाई थी
-हादसे की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी
भुवनेश्वर: ओडिशा के बालासोर जिले में हुए भीषण रेल हादसे के चार महीने बाद 28 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार पूरे विधि-विधान के साथ कर दिया गया है। 10 अक्टूबर की शाम से शुरू हुई प्रक्रिया बुधवार सुबह तक पूरी हो गई। इस दौरान सीबीआई के अधिकारी भी मौजूद रहे। खास बात ये ही कि लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में महिलाओं ने भी भाग लिया और चिताओं को अग्नि दी।
महिलाओं ने किया अंतिम संस्कार
सभी शवों का अंतिम संस्कार भरतपुर में 3 महिलाओं मधुमिता प्रुस्टी (37), स्मिता मोहंती (53) और स्वागतिका राव (34) ने किया। इन महिलाओं ने जानकारी देते हुए बताया कि- ये पुरुष थे या महिला, इनका धर्म या जाति क्या थी हम नहीं जानते। वे इंसान थे और इसी नाते हमने उन्हें सम्मान के साथ विदा किया। हो सकता है ये लोग पूर्वजनम में हमारे रिश्तेदार रहे हों।
3 ट्रेनों की टक्कर में हुई 297 लोगों की मौत
गौरतलब है कि इसी साल 2 जून को ओडिशा के बालासोर में 3 ट्रेनों की टक्कर में 297 लोगों की मौत हुई थी। इसमें 269 शवों को उनके घरवाले ले गए। कई लोगों की पहचान डीएनए टेस्ट के आधार पर की गई। हालांकि, जून से 28 शव एम्स में ही रखे हुए थे। इन शवों को पारादीप पोर्ट ट्रस्ट से खरीदे गए 5 डीप फ्रीजर कंटेनरों में रखा गया था।
ऐसे हुआ था ये दर्दनाक हादसा
2 जून की शाम को चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस मेन लाइन की बजाय लूप लाइन में चली गई थी, जहां मालगाड़ी पहले से खड़ी थी। ट्रेन मालगाड़ी से टकरा गई। कोरोमंडल और मालगाड़ी की कुछ बोगियां बगल के ट्रैक पर बिखर गईं। इसके थोड़ी देर बाद ही ट्रैक पर बिखरे डिब्बों से हावड़ा-बेंगलुरु एक्सप्रेस टकरा गई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दर्दनाक हादसे में 293 से ज्यादा लोगों की मौत हुई और 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
हादसे में तीन रेलवे अफसरों के नाम सामने आये
हादसे में सीबीआई की चार्जशीट में तीन रेलवे अफसरों के नाम सामने आये हैं। तीनों पर गैर-इरादतन हत्या और सबूत मिटाने के आरोप लगे हैं। इनमें सीनियर सेक्शन इंजीनियर अरुण कुमार मोहंता, सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद आमिर खान और टेक्नीशियन पप्पू कुमार शामिल हैं। 7 जुलाई को सीबीआई ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया था। वहीं, 11 जुलाई को कोर्ट ने इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। सीबीआई ने भुवनेश्वर की स्पेशल कोर्ट में 24 अगस्त को अपनी रिपोर्ट पेश की थी। इसमें जांच एजेंसी ने बताया कि पटरी पर बिना अप्रूवल हो रहे मरम्मत कार्य के कारण से ट्रेन हादसा हुआ था।
इससे पहले बहनागा बाजार स्टेशन के लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 94 पर बिना मंजूरी के मरम्मत का काम किया गया था। सीबीआई ने कहा कि सीनियर डिविजनल सिग्नल और टेलिकॉम इंजीनियर की मंजूरी के बिना ही वहां रिपेयरिंग वर्क हुआ था। इसके लिए सर्किट डायग्राम भी पास नहीं कराया गया था। चार्जशीट में जिन तीन रेलवे अफसरों के नाम आए हैं उनके बारे में सीबीआई ने जुलाई में कहा था कि तीनों जानते थे कि उनकी लापरवाही से बड़ा हादसा हो सकता है। दुर्घटना की जांच कर रहे रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने जुलाई के शुरुआती हफ्ते में हादसे के लिए सिग्नलिंग विभाग के कर्मचारियों की मानवीय भूल को जिम्मेदार ठहराया था।
रेलवे सुरक्षा आयुक्त का दावा- हादसे की वजह सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी
हादसे की जांच सीबीआई के अलावा रेलवे बोर्ड की ओर से कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सीआरएस) ने भी की। 3 जुलाई को सीआरएस ने 40 पेज की रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी थी। इसके अनुसार, लेवल-क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स के अंदर तारों की गलत लेबलिंग के कारण ऑटोमेटेड सिग्नलिंग सिस्टम में गड़बड़ी हुई, जो हादसे का कारण बनी। क्रॉसिंग लोकेशन बॉक्स में तारों की गलत लेबलिंग के बारे में सालों तक मालूम ही नहीं चला। मेंटेनेंस के दौरान भी इसमें गड़बड़ी हुई।
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