प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट में झलका विस्थापन का दर्द
– देशभर में आज मना विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस
– विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर पीएम ने किया ट्वीट
– विस्थापन की त्रासदी में प्राण गंवाने वाले को दी श्रद्धांजलि
– ट्वीट में कहा- लोगों के संघर्ष की याद दिलाता है विस्थापन का दंश
– विभाजन के कारण लाखों लोग हुए थे बेघर
आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के तहत आज यानी 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया गया। इस मौके पर पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस उन भारतवासियों को श्रद्धापूर्वक याद करने का अवसर है, जिनका जीवन देश के बंटवारे की बलि चढ़ गया। यह दिन उन लोगों के कष्ट और संघर्ष की भी याद दिलाता है, जिन्हें विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा। ऐसे सभी लोगों को मेरा शत-शत नमन।
विस्थापन का दर्द झेलने वाले लोगों की याद में नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसे भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संबोधित किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विस्थापित परिवार शामिल हुए। अंत में विस्थापन की त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि दी गई।
देश के सभी जिलों में कार्यक्रम
इसके तहत देश के सभी जिलों में विभाजन में जान गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देने के कार्यक्रमों का अयोजन हुआ। इसमें विभाजन की त्रासदी झेलने वाले परिवारों को भी आमंत्रित किया गया। विभाजन से संबंधित डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी दिखाई गई। साथ ही सभी जिलों की विभाजन से जुड़ी यादों और लिखित दस्तावेजों को प्रदर्शनी के जरिए दिखाया गया। इसके अलावा भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से जुड़ी किताबों को प्रदर्शनी के जरिए आम लोगों तक पहुंचाया।
नई पीढ़ी को बताई बंटवारे की कहानी
भाजपा ने अपनी राष्ट्रीय और राज्य इकाइयों को इस दिन प्रोग्राम करने की जिम्मेदारी दी है। कार्यकर्ताओं को उन परिवारों से मिलना है जिन्होंने त्रासदी में अपनों को खोया है। सोशल मीडिया पर अपनी यादें भी साझा करनी हैं। नई पीढ़ी को देश के बंटवारे के बाद लोगों को होने वाली पीड़ा के बारे में बताया। इसके लिए विभाजन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा भी की।
दो साल पहले पीएम ने किया था ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में घोषणा की थी कि हर साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। उन्होंने कहा था कि देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों और भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान तक गंवानी पड़ी। पीएम ने कहा कि उन लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर मनाने का निर्णय लिया गया है। यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य और दुर्भावना के जहर को खत्म करने के लिए न केवल प्रेरित करेगा, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होंगी।
आजादी की चुकानी पड़ी कीमत, इसलिए मनाया जाता है दिवस
14 अगस्त 1947… यह वह तारीख है, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। एक तरफ देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्ति मिल रही थी तो दूसरी तरफ इसकी कीमत देश के विभाजन के रूप में मिल रही थी। विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोग बेघर हो गए। उन्हें रातों-रात पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा। कई लोग तो ऐसे भी रहे, जिन्हें आजादी की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
भारत से कटकर पाकिस्तान नया देश बना और बाद में पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से ने 1971 में बांग्लादेश के तौर पर एक नए देश की शक्ल ली। भारत के इस भौगोलिक बंटवारे ने देश के लोगों को सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया था। ऐसे में इस त्रासदी में प्राण गंवाने वाले लोगों को श्रद्धांजलि देकर विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के आयोजन के जरिए भेदभाव, मनमुटाव, दुर्भावना को खत्म कर एकता, सामाजिक सद्भाव व की भावना को बढ़ाया जाएगा।
https://twitter.com/narendramodi/status/1690931944102731776
विभाजन के बाद लाखों अल्पसंख्यकों ने छोड़ा सिंध
भारत के विभाजन के दौरान सिंध के अल्पसंख्यकों (हिंदू और सिख) को विकराल और भयावह त्रासदी सहनी पड़ी। उस समय का कड़वा अनुभव आज भी उनके जेहन में जिंदा है। 17 दिसंबर 1947 को सिंध के हैदराबाद और छह जनवरी 1948 को राजधानी कराची में हुए दंगों से अल्पसंख्यक इस कदर भयभीत हुए कि नवंबर 1947 तक ढाई लाख, जनवरी 1948 तक चार लाख 78 हजार और जून 1948 तक 10 लाख से अधिक लोगों ने सिंध छोड़ दिया।
देश का बंटवारा कैसे हुआ?
देश के बंटवारे की नींव 20 फरवरी 1947 को ही पड़ गई थी, जब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने हाउस ऑफ कॉमन्स में घोषणा की थी सरकार 30 जून 1948 से पहले सत्ता भारतीयों को सौंप देगी। हालांकि, लॉर्ड माउंटबेटन ने इस पूरी प्रक्रिया को एक साल पहले ही पूरा कर लिया। माउंटबेटन लंदन से सत्ता हस्तांतरण की मंजूरी लेकर 31 मई 1947 को लंदन से नई दिल्ली लौटे थे। इसके बाद दो जून 1947 को ऐतिहासिक बैठक हुई, जिसमें भारत के विभाजन पर मोटे तौर पर सहमति बनी।
हमारा YOUTUBE चैनल-https://www.youtube.com/@VyasMediaNetwork