प्रधानमंत्री मोदी का आज से दो दिवसीय इंडोनेशिया दौरा
-पीएम मोदी 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे
-व्यापार, सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने पर होगी चर्चा
-भारत-आसियान संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेगा ये सम्मेलन
दिल्ली। 20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिनों के इंडोनेशिया के दौरे पर रवाना हो रहे हैं। प्रधानमंत्री आज रात इंडोनेशिया के लिए रवाना होंगे और 7 सितंबर को वापस भारत लौट आएंगे। बता दें कि इंडोनेशिया 6-7 सितंबर को 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) की मेजबानी करेगा। राष्ट्रपति जोको विडोडो ने इस बैठक के लिए पीएम मोदी को आमंत्रित किया है।
हालांकि, भारत आसियान का हिस्सा नही है लेकिन यह समिट भारत के लिए महत्वपूर्ण है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में बताया कि प्रधानमंत्री 6 सितंबर की रात को दिल्ली से रवाना होंगे और 7 सितंबर की देर शाम को लौटेंगे। यह देखते हुए कि आसियान शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद जी 20 शिखर सम्मेलन होगा, यह एक छोटी यात्रा होगी।
पीएम 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ आसियान के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और उनके प्रतिनिधि शामिल होंगे। बता दें कि इससे पहले 2018 में इंडोनेशियाई राष्ट्रपति विडोडो के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जकार्ता का दौरा किया था। इस के दौरान दोनों नेता ने इंडोनेशिया और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक, रणनीतिक समेत सभी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने पर बल दिया था।
आसियान क्या है?
आसियान की स्थापना सन 1967 को हुई थी। आसियान, जिसे औपचारिक रूप से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ के रूप में जाना जाता है, आर्थिक और सुरक्षा मुद्दों के समाधान के लिए 10 दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को एक साथ लाने वाला संगठन है। आसियान में 10 देश थाईलैंड, वियतनाम, ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर और लाओस शामिल है, जो 3.2 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा के संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का दावा करते हैं।
आसियान का क्या है उद्देश्य
आज आसियान देशों का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सहयोग और सहयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही आर्थिक और व्यापार विकास सहित पूरे क्षेत्र के हितों को आगे बढ़ाना है। बीते कुछ वर्षों में, आसियान ने चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की है और साथ ही सदस्य देशों के नागरिकों के लिए क्षेत्र में यात्रा को आसान बनाया है।
आसियान के साथ भारत का क्या संबंध है
हालांकि, भारत आसियान का सदस्य देश नहीं है, लेकिन उसके इस गुट के साथ संबंध हैं। 1992 में क्षेत्रीय संवाद भागीदार बनने से लेकर 2022 में पीएम मोदी की एक्ट ईस्ट नीति के संचालन में एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक. 2018 में, आसियान नेता भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि भी थे। बता दें कि भारत ने 2010 में आसियान के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। विशेष रूप से, भारत के सदस्य देशों के साथ व्यक्तिगत संबंध भी हैं जिससे भारत इस समूह के लिए महत्वपूर्ण हो गया।
इन मुद्दों पर हो सकती ही चर्चा
विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, यह शिखर सम्मेलन भारत-आसियान संबंधों की प्रगति की समीक्षा करेगा और सहयोग की भविष्य की दिशा तय करेगा। अगस्त में, आसियान-भारत के आर्थिक मंत्रियों की इंडोनेशिया में बैठक हुई और इस साल की बैठक का मुख्य एजेंडा आसियान-भारत व्यापार समझौते (एआईटीआईजीए) की समय पर समीक्षा करना था, जिस पर 2009 में हस्ताक्षर किए गए थे। एक संयुक्त समिति वार्ता के नियमित, त्रैमासिक कार्यक्रम पर सहमत हुई, जो 2025 में आसियान-भारत एफटीए की समीक्षा को समाप्त करेगी।
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