पुरानी संसद में पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्रियों के योगदान को किया याद
– प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से शुरू हुआ संसद का विशेष सत्र
– मोदी ने संसद के पुराने भवन के निर्माण में देशवासियों के परिश्रम का किया जिक्र
– प्रधानमंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की सराहना की
– प्रधानमंत्री ने पत्रकारों के योगदान को सराहा
नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र के दौरान पुरानी संसद में अपने आखिरी भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने पुराने संसद भवन को विदा देते हुए देश के भविष्य का जिक्र किया। पीएम ने कहा कि इस सदन ने देश को आगे बढ़ाने वाले फैसले किए। उन्होंने अपने भाषण में पंडित नेहरू से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और नरसिम्हा राव का जिक्र किया।
नेहरू के गौरवगान पर क्या बोले पीएम –
पीएम मोदी ने कहा कि नई संसद में सबके विश्वास को लेकर जाने का समय है। उन्होंने कहा कि जो नया विश्वास पाया है उसको लेकर जाने का है। बहुत सी ऐसी बाते हैं जो सदन में हर किसी की ताली की हकदार है लेकिन शायद राजनीति उसमें भी आड़े आ गई। नेहरू के योगदान का गौरवगान इस सदन में होता है तो कौन सदस्य होगा जिसको ताली बजाने का मन नहीं करेगा। लेकिन उसके बावजूद भी देश के लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है कि हम सब अपने आंसुओं को देखें।
नरसिम्हा राव और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार पर कही यह बात –
पीएम मोदी ने कहा कि नरसिम्हा राव की सरकार ने हिम्मत के साथ पुरानी आर्थिक नीतियों को छोड़कर नई राह पकड़ने का फैसला किया था, जिसका आज देश को परिणाम मिल रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने इसी सदन में देखा सर्व शिक्षा अभियान, आदिवासी कार्यलय मंत्रालय, नॉर्थ ईस्ट का मंत्रालय अटल जी ने बनाया। परमाणु परीक्षण भारत की ताकत का परिचायक बन गया। इसी सदन में मनमोहन सिंह की सरकार कैश फॉर वोट को भी उस कांड को भी सदन ने देखा है।
अंदर के अंदर की खबर पहुंचाने का पत्रकारों को दिया श्रेय –
पीएम मोदी ने आज पत्रकारों के कामों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब आज हम इस सदन को छोड़ रहे हैं तब मैं उन पत्रकार मित्रों को याद करना चाहता हूं जिन्होंने पूरा जीवन पत्रकार काल में संसद के काम को ही रिपोर्ट किया है। उन्होंने यहां के पल की पल की जानकारी देश तक पहुंचाई है। उनका सामर्थ्य था कि अंदर की खबर पहुंचाते और अंदर की अंदर की बात भी पहुंचाते थे।
जिन्होंने संसद को कवर किया है शायद उनके नाम जाने नहीं जाते है, लेकिन उनके काम को कोई भूल नहीं सकता। खबरों के लिए नहीं, भारत की विकास यात्रा को समझने के लिए जानना जरूरी है। एक प्रकार से जैसी ताकत यहां की दीवारों की रही है वैसा ही दर्पण उनके कलम में रही है। पीएम ने कहा कि जैसे मेरे लिए ये सदन छोड़ना भावुक है उसी तरह से उन पत्रकारों के लिए भी वैसा ही भावुक पल होगा।
सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे नेताओं के सामान्य व्यक्ति को ताकत देने की कही बात –
सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोहिया, चंद्रशेखर, आडवाणी न जाने अनगिनत नाम जिन्होंने हमारे इस सदन को समृद्ध करने में, चर्चाओं के समृद्ध करने में, देश के सामान्य से सामान्य से सामान्य व्यक्ति को ताकत देने का काम किया है।
शफीर्कुर रहमान के योगदान को बताया सदन की शान –
पीएम मोदी ने कहा कि इस सदन में इंद्रजीत गुप्ता थे। 43 साल तक इस सदन में रहे। उन्होंने कहा कि इस सदन की शान है कि शफीर्कुर रहमान 93 साल में इस सदन में अपना योगदान दे रहे हैं। 25 की चंद्रमणि मुर्मू इस सदन की सदस्य बनी थीं। वाद-विवाद कटाक्ष ये सबकुछ हम सबने अनुभव किया है। हम सबने शुरू भी किया है।
संसद के सदस्य बनने वाले दिनों को किया याद –
पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं पहली बार इस संसद का सदस्य बना तो मैंने सहज रूप से इस संसद की सीढ़ी पर शीश झुकाकर नमन किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वो पल मेरे लिए भावनाओं से भरी हुई थी। मैं कल्पना नहीं कर सकता था। लेकिन भारत के लोकतंत्र की ताकत है, भारत के सामान्य मनुष्य की लोकतंत्र के प्रति श्रद्धा है कि रेलवे प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला बच्चा इस देश का पीएम बनेगा।
अफ्रीकी यूनियन के सदस्य बनने पर जताई खुशी –
पीएम मोदी ने कहा कि जी-20 की सफलता किसी व्यक्ति विशेष की सफलता नहीं है। ये भारत की सफलता है। पीएम ने कहा कि भारत जब जी-20 का अध्यक्ष रहा तो अफ्रीकी यूनियन इसका सदस्य बना।
कितनी बड़ी अपेक्षा और आशा पूरी करने का काम भारत के हाथ में आया। भारत के प्रति शक करने का एक स्वभाव कई लोगों का बना हुआ है। इस बार भी यही था। कोई घोषणापत्र नहीं होगा, असंभव है.. लेकिन ये भारत की ताकत है कि वह भी हुआ और विश्व सर्वसम्मति से एक साझा घोषणापत्र लेकर आगे बढ़ा।
पुराना भवन आने वाली पीढ़ियों को देगा प्रेरणा –
पीएम मोदी ने कहा कि हम भले ही नए भवन में जाएंगे लेकिन ये भवन भी आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। पीएम ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता के लिए इस सदन के माध्यम से हम इस देश के वैज्ञानिकों और उनके साथियों को बधाई देता हूं और उनका अभिनंदन करता हूं।
ऐतिहासिक भवन से विदा लेने की कही बात –
पीएम मोदी ने कहा कि 75 साल की उपलब्धियों को याद करने और नई संसद में जाने से पहले उन प्रेरक घड़ियों को स्मरण करके आगे बढ़ने का समय है। उन्होंने कहा कि हम सब इस ऐतिहासिक भवन से विदा ले रहे हैं।
आजादी के पहले ये सदन इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का स्थान होता था। आजादी के बाद इसे संसद भवन में पहचान मिली। ये सही है कि इस इमारत का निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था, लेकिन हम ये नहीं भूल सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना, परिश्रम और पैसे भी मेरे देश के लोगों का लगा था।
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