ब्रिक्स सम्मेलन में शामिल होने के लिए पीएम मोदी जाएंगे साउथ अफ्रीका
– साउथ अफ्रीका में 22 से 24 अगस्त तक चलेगा सम्मलेन
-रुसी राष्ट्रपति पुतिन नहीं लेंगे हिस्सा
– पाकिस्तान को ब्रिक्स की सदस्यता देेने के खिलाफ है भारत
नई दिल्ली। इस साल ब्रिक्स सम्मेलन साउथ अफ्रीका में होना है। 22-24 अगस्त तक चलने वाले इस सम्मलेन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साउथ अफ्रीका के लिए रवाना होंगे। इसके लिए वो जोहान्सबर्ग जाएंगे। साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने पीएम मोदी को फोन कर ब्रिक्स समिट के लिए न्योता दिया, जिसे मोदी ने स्वीकार कर लिया।
वहीं ब्रिक्स में शामिल होने वाले दूसरे देशों को लेकर विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा- “इस मुद्दे पर हमारा पक्ष पहले भी रख चुके हैं। कुछ लोग ये झूठ फैला रहे हैं कि भारत को ब्रिक्स के विस्तार से आपत्ति है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। भारत इसके विरोध में नहीं है।”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि- “हम इसे लेकर खुले दिमाग से काम कर रहे हैं। ब्रिक्स संगठन के देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि दूसरे देशों के लिए गाइडलाइंस और स्टैंडर्ड पर जल्द से जल्द एकमत हो।”
जोहान्सबर्ग नहीं आ सकते पुतिन
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से पुतिन इस बार ब्रिक्स सम्मेलन के लिए साउथ अफ्रीका नहीं जा पाएंगे। दरअसल, पुतिन के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में वॉर क्राइम्स को लेकर केस दर्ज है और अगर वो जोहान्सबर्ग आते हैं तो मेंबर कंट्री होने के नाते साउथ अफ्रीकी सरकार को पुतिन को गिरफ्तार करना पड़ेगा, इसलिए दोनों देशों ने आपसी सहमति से ये फैसला लिया है कि पुतिन ब्रिक्स समिट में शामिल होने के लिए जोहान्सबर्ग नहीं जाएंगे। हालांकि, वो वर्चुअली सम्मेलन का हिस्सा बन सकते हैं।
पाकिस्तान चाहता है ब्रिक्स की सदस्यता?
दुनिया के बड़े संस्थानों पर अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबदबे के खिलाफ ब्रिक्स को 16 जून 2009 में बनाया गया था। उस दौरान इसमें ब्राजील, रूस, भारत और चीन शामिल थे। साउथ अफ्रीका दिसंबर 2010 में इसका सदस्य बना। इस ग्रुप में सभी तेजी से विकास करने वाले देश शामिल हैं। वहीं पाकिस्तान बार-बार जताते आया है कि उसे ब्रिक्स की सदस्यता में रुचि है।
पाकिस्तान की वैश्विक छबि और अर्थव्यवस्था को देखते हुए ब्रिक्स द्वारा पाक की इस अर्जी पर लंबे समय से विचार चल रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के मौजूदा हालात पर अगर उसे इसमें जुड़ने की अनुमति मिलती है तो संगठन की विश्वसनीयता घट जाएगी। कुछ न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत को ब्रिक्स में पाकिस्तान का शामिल होना पसंद नहीं होगा और वो एक्टिव मेंबर के तौर पर काम करना बंद कर देगा।
भारत लगातार पाकिस्तान पर आतंक फैलाने के आरोप लगाता रहा है। 2016 के ब्रिक्स सम्मेलन में तो पीएम मोदी ने पाकिस्तान को आतंक की मां तक कह दिया था। वहीं, अगर भारत ब्रिक्स से अलग होता है तो संगठन कमजोर पड़ जाएगा।
ब्रिक्स से पश्चिमी देशों को डर
सऊदी, यूएई, मिस्र और ईरान समेत दर्जनों देश ब्रिक्स संगठन का सदस्य बनने की इच्छा जता चुके हैं और इसकी सदस्यता के लिए अप्लाय भी कर चुके हैं। वहीं, अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों को डर है कि अगर ब्रिक्स संगठन मजबूत होता है तो अलग-अलग प्लेटफॉम्र्स पर उनकी ताकत घटेगी और चुनौती बढ़ेगी।
वहीं ब्रिक्स के स्थाई सदस्यों में भी इस बात पर अलग-अलग राय देखने को मिली थी। ब्राजील नहीं चाहता है कि पश्चिमी देशों को ब्रिक्स के बढ़ते असर पर चिंता हो, जबकि भारत दूसरे देशों को ब्रिक्स संगठन में केवल ऑब्जर्वर के तौर पर रखना चाहता है। किसी भी देश को संगठन का सदस्य बनाने के लिए सभी देशों के बीच सहमति जरूरी है। फिलहाल ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका इस संगठन के सदस्य हैं।
भारत के विरोध के बाद बना ड्राफ्ट
दरअसल, ब्रिक्स के पिछले अधिवेशन में संगठन के विस्तार पर भारत के विरोध जताने के बाद एक ड्राफ्ट बनाया गया था। इसमें संगठन में नए सदस्यों को जोड़ने से जुड़े नियम बनाए गए हैं। इन नियमों पर अगले महीने ब्रिक्स समिट के दौरान चर्चा के बाद मुहर लगने के आसार हैं। भारत का कहना है कि अगर ब्रिक्स में नए सदस्य जोड़े जाने हैं तो ये वो देश होने चाहिए जो उभरती अर्थव्यवस्था या लोकतंत्र हों। भारत ऐसे देशों को संगठन में शामिल करने के खिलाफ है, जहां तानाशाही है या किसी एक परिवार का शासन है।
क्या है ब्रिक्स?
ब्रिक्स एक ग्रुप है और इसमें ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल हैं। ब्रिक्स को उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए जाना जाता है और ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की अध्यक्षता हर साल इसके सदस्य देश द्वारा की जाती है। 5 देशों में से हर साल अलग-अलग देश ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की मेजबानी करते हैं। ब्रिक्स का मुख्यालय चीन के शंघाई में है।
कब हुई थी ब्रिक्स की स्थापना?
ब्रिक्स की स्थापना जून 2006 में हुई थी। शुरुआत में इसमें 4 देश शामिल थे, तब इसका नाम ब्रिक था। 2010 में इस संगठन में साउथ अफ्रीका शामिल हो गया और इस संगठन का नाम भी बदलकर ब्रिक्स हो गया। अब अर्जेंटीना, बहरीन, अल्जीरिया, सऊदी अरब, मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान और यूएई ने इस ग्रुप से जुड़ने के लिए एप्लीकेशन दी है।
क्या है ब्रिक्स का उद्देश्य?
– उभरती हुई जीडीपी और अर्थव्यवस्था को और बल देना
– सदस्य देशों के रीजनल मैटर्स पर चर्चा करना
– इकोनॉमिक डेवलपमेंट एक्टविटीज को गति देना
– गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के लिए कार्य करना
– अलग-अलग क्षेत्रों में सदस्य राष्ट्रों के बीच सहयोग बढ़ाना
– आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक संकट आदि मामलों पर चर्चा करना
हमारा YOUTUBE चैनल- https://www.youtube.com/@VyasMediaNetwork