पाक सरकार के विरोध में शिया मुस्लिमों ने खोला मोर्चा
-गिलगित-बाल्टिस्तान में सरकार के खिलाफ बगावत
-सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ा, सीधे सरकार को चैलेंज
-भारत आना चाहती है गिलगित-बाल्टिस्तान की आवाम
-पाकिस्तानी ने 20 हजार अतिरिक्त जवानों को किया तैनात
कराची। पाकिस्तान के हुक्मरानों के खिलाफ गिलगित-बाल्टिस्तान में इन दिनों घमासान मचा हुआ है। यहां की फिजाओं में सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ विरोध है और खुलेआम लोग बगावत का ऐलान कर रहे हैं। कट्टरपंथी सुन्नी संगठनों और पाकिस्तानी सेना के दमन के खिलाफ अल्पसंख्यक शियाओं ने विद्रोह कर दिया है। पहली बार इस क्षेत्र के शिया संगठन फौज के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। बता दें कि गिलगित-बाल्टिस्तान में विरोध इस कदर बढ़ चुका है कि लोगों ने पाकिस्तान सरकार को खुली चेतावनी दे दी है कि रेड लाइन यदि क्रॉस करोगे तो हम जमकर पलटवार करेंगे।
गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग भारत में विलय को तैयार
भारत से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्कर्दू में शिया समुदाय के लोग भारत की तरफ जाने वाले करगिल हाइवे को खोलने की मांग पर अड़ गए हैं। उनका यह कहना है कि वे अब पाकिस्तानी फौज की हुकूमत वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में नहीं रहना चाहते हैं, वे भारत जाना चाहते हैं। गौरतलब है कि गिलगित-बाल्टिस्तान की लगभग 20 लाख की आबादी में से 8 लाख शियाओं के बगावती तेवरों को देखते हुए पाकिस्तानी फौज के 20 हजार अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है।
पाकिस्तानी फौज को दहशतगर्दी बताया
अल्पसंख्यक शियाओं ने पाकिस्तानी फौज को दहशतगर्दी बताया है। पाकिस्तान की फौज के खिलाफ शियाओं मे नारा लगाया- ये जो दहशतगर्दी हैं, उसके पीछे ‘वर्दी’ है। गिलगित-बाल्टिस्तान में अल्पसंख्यक शियाओं का आरोप है कि पाकिस्तान सेना 1947 के बाद से यहां से शियाओं को भगा रही है। सेना ने यहां सुन्नी आबादी को बसाया है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कभी शिया बहुल रहे क्षेत्र में अब शिया अल्पसंख्यक हो गए हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि हालात इतने बिगड़ गए हैं कि सेना भी यहां शिया बहुल क्षेत्रों में जाने से कतरा रही है। धारा 144 लगाने के बावजूद स्कर्दू, हुंजा, दियामीर और चिलास में शिया संगठनों का प्रदर्शन जारी है। यहाँ पर मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
बगावत दबाने को आर्मी चीफ मुनीर द्वारा भेजे गए उलेमा
मिली जानकारी के अनुसार, आर्मी चीफ आसिम मुनीर द्वारा सोमवार को इस्लामाबाद से चार मुस्लिम उलेमाओं को गिलगित-बाल्टिस्तान भेजा है। अतिरिक्त बटालियन भी जब बगावत दबाने में विफल रही तो मुनीर को यह कदम उठाना पड़ा। वहीं, स्कर्दू के एक शिया का कहना है कि बहुत देर हो गई, हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।
शिया धर्मगुरु की गिरफ्तारी के पश्चात हुए विरोध प्रदर्शन
स्कर्दू में एक धार्मिक कार्यक्रम के बीच में शिया धर्मगुरु आगा बाकिर अल हुसैनी ने कुछ ऐसी टिप्पणी की, जिससे वहां की आवाम नाराज हो गई। इस विवाद के बाद धर्मगुरु को गिरफ्तार कर लिया गया। दरअसल, अल हुसैनी ने स्कर्दू इलाके में हुई उलेमाओं की बैठक पर सवाल खड़े कर दिए थे। इसमें उन्होंने ईशनिंदा पर कानूनों को और कड़ा बनाने की मांग की थी। वहीं शियाओं का कहना है कि ईशनिंदा के कानून कड़े बनाकर उनके समुदाय को टारगेट किया जाएगा। जनरल जिया उल हक से लेकर पाकिस्तान की सत्ता में बैठे हर एक नेता ने इस क्षेत्र की डेमोग्राफी बदलने की कोशिश की है।
बवाल के पश्चात क्षेत्र में लगाई धारा 144
फिलहाल, गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र बीते एक सप्ताह से तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहा है। गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों के उठते कदमों से पाकिस्तान की सरकार हिलने की कगार पर पहुंच चुकी है। शुक्रवार को अंजुमन-ए-इमामिया के आह्वान पर गिलगित शहर और आसपास के इलाकों में हुए प्रदर्शनों के पश्चात स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में बवाल के पश्चात धारा 144 लगाई गई है। आगामी आदेश तक पूरे क्षेत्र में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई।