पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बिहार में जातीय जनगणना जारी रहेगी
– बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक हटी
– जातीय जनगणना के खिलाफ याचिका खारिज
– नीतीश सरकार के लिए राहत भरी खबर
– पटना हाईकोर्ट से नीतीश सरकार को दी बड़ी राहत
– बिहार में फिर होगी जातीय जनगणना
बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पटना हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया कि राज्य में जातीय जनगणना जारी रहेगी। अदालत ने जातीय जनगणना पर रोक को लेकर दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने यह फैसला सुनाया। हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं खारिज होने के बाद राज्य सरकार ने खुशी जाहिर की है।
बता दें कि कोर्ट में इस मामले पर पांच दिनों तक सुनवाई की गई थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। नीतीश कुमार सरकार के लिए ये राहत भरी खबर है। अब यह कहा जा सकता है कि बिहार में एक बार फिर से जाति आधारित जनगणना का रास्ता साफ हो गया है।
नीतीश सरकार को बड़ी राहत
जाति आधारित जनगणना के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि पटना हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार में जातिगत जनगणना का रास्ता साफ हो गया है, लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। दीनू कुमार ने एनबीटी को यह भी बताया की पहले कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर यह कहा था कि जाति आधारित जनगणना कराने का अधिकार राज्य के पास नहीं है। यह अधिकार केंद्र सरकार का है। केंद्र सरकार ही जाति आधारित जनगणना करवा सकती है।
कोर्ट ने खारिज की सारी याचिकाएं
बिहार में जातीय जनगणना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर लगातार सुनवाई हो रही थी। जुलाई में सुनवाई पूरी हुई थी जिसके बाद पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ लगातार पांच दिनों से सुनवाई कर रही थी। सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रखा और अब फैसला सुनाया गया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक को लेकर दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दीं। हाईकोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया कि बिहार में जातीय जनगणना आगे भी जारी रहेगी। नीतीश कुमार सरकार ने खास तौर से कास्ट सर्वे का फैसला लिया था। इसके लिए केंद्र से अपील भी की गई थी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद प्रदेश सरकार ने अपने स्तर पर इस कराने का निर्णय लिया है।
7 जनवरी को हुई थी जातीय जनगणना की शुरुआत
बिहार में 7 जनवरी 2023 से जातीय जनगणना की शुरुआत हुई थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार की ओर से कराई जा रही जातीय और आर्थिक सर्वेक्षण पर 4 मई को रोक लगा दिया था। रोक लगा देने के बाद कोर्ट ने ये जानना चाहा था कि जातियों के आधार पर गणना और आर्थिक सर्वेक्षण कराना कानूनी बाध्यता है? कोर्ट ने ये भी पूछा था कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं? साथ ही कोर्ट ने ये भी जानना कि इससे निजता का उल्लंघन होगा क्या?
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