नार्थ कोरिया ने विक्ट्री डे पर मिलिट्री परेड में दुनिया को दिखाई अपनी सैन्य ताकत
– बैलिस्टिक मिसाइलों से साथ परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों का किया प्रदर्शन
– पहली बार नॉर्थ कोरिया पहुंचे रूसी रक्षा मंत्री
– यूएन प्रतिबंध के बावजूद मिसाइल टेस्टिंग कर रहा नॉर्थ कोरिया
फियोंगयांग। नॉर्थ कोरिया में गुरुवार रात विक्ट्री डे मनाया। इस मौके पर नार्थ कोरिया ने मिलिट्री परेड का आयोजन किया था। इस परेड में परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों के साथ नए ड्रोन्स और कई बैलिस्टिक मिसाइलें दर्शाई गईं। इनमें नार्थ कोरिया की सबसे ताकतवर और अमेरिका तक मारक क्षमता वाली मिसाइल्स ह्वासोंग-17 और 18 को भी शामिल किया गया। इन मिसाइल्स का हाल ही में सफल परीक्षण किया गया था।
नॉर्थ कोरिया का सरकारी मीडिया चैनल केसीइनए के मुताबिक, कोरियन वॉर के 70 साल पूरे होने के मौके पर इस परेड का आयोजन किया। इसमें तानाशाह किम जॉन्ग उन ने अपनी सेना के साथ शक्ति प्रदर्शन किया। किम के साथ रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और चीनी डेलिगेशन भी नजर आया, जिन्हें बतौर मेहमान बुलाया गया था।
कोरियन पैनिनसुला में तनाव के लिए अमेरिका जिम्मेदार
परेड में अपनी स्पीच के दौरान रूसी रक्षा मंत्री ने कोरिया में तनाव के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया। वहीं, किम ने शोइगु के सम्मान में लंच का आयोजन किया। इस दौरान नॉर्थ कोरियाई नेता ने रूसी लोगों और उसकी सेना के साथ एकजुट होकर आगे बढ़ने का प्रण लिया। इससे पहले गुरुवार सुबह को किम जोंग ने रूस और चीन के डेलिगेशन के लिए डिफेंस ऐग्जीबिशन रखी थी।
पहली बार नॉर्थ कोरिया पहुंचे रूसी रक्षा मंत्री
ये पहला मौका है, जब सोवियत यूनियन के टूटने के बाद कोई रूसी रक्षा मंत्री नॉर्थ कोरिया पहुंचा है। नॉर्थ कोरिया में कोरोना पाबंदियां हटने के बाद ये पहला मौका, जब कोई विदेशी डेलिगेशन प्योंगयांग पहुंचा। रुसी रक्षा मंत्री शोइगू ने अपनी स्पीच कहा कि नॉर्थ कोरिया की आर्मी दुनिया की सबसे ताकतवर आर्मी बन गई है। किम जोंग ने रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू से मुलाकात की थी और दोनों नेताओं के बीच सैन्य मसलों और सुरक्षा को लेकर चर्चा हुई थी।
नॉर्थ कोरिया से हथियार ले रहा रूस
व्हाइट हाउस प्रवक्ता जॉन किर्बी ने रूसी डेलिगेशन की नार्थ कोरिया की यात्रा को लेकर कहा- ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब रूस दूसरे देशों से हथियार खरीदने की कोशिश कर रहा है। इसमें अब कुछ सीक्रेट नहीं रहा है। पुतिन दूसरे देशों से जंग में मदद मांग रहे हैं और इसमें नॉर्थ कोरिया भी शामिल है। तानाशाह ने हमेशा से जंग में रूस का पक्ष लिया है और अब वो हथियार और मिसाइल भी सप्लाई कर रहा है। हालांकि, रूस और उत्तर कोरिया, दोनों ने ही इन दावों को खारिज कर दिया।
कोरियन वॉर में मारे गए थे 30 लाख लोग
25 जून 1950 को उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच युद्ध शुरू हुआ था। 38 पैरालेल लाइन के जरिए कोरिया को दो हिस्सों में बांटा गया था। उत्तर कोरिया को रूस समर्थन दे रहा था। इसके बाद 1951 में चीन भी उसके साथ आ गया। इस पर अमेरिका ने साउथ कोरिया के साथ आने का फैसला लिया। दोनों देशों के बीच तीन साल तक लड़ाई चली। इस दौरान करीब 30 लाख लोग मारे गए थे। इसे फॉरगॉटेन वार भी कहा जाता है। 3 साल बाद 27 जुलाई 1953 को नॉर्थ और साउथ के बीच समझौता हुआ, जिसके बाद जंग रुक सकी थी। हालांकि, तब से दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है।
नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियार
नार्थ कोरिया ने पहले कई बार अपनी इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल सहित दूसरी मिसाइलों की टेस्टिंग कीद्य वहीं अपने परमाणु हथियार दुनिया के सामने भी कई बार पेश किए है। अपनी विक्ट्री दे परेड के दौरान नॉर्थ कोरिया ने और भी खतरनाक परमाणु हथियार बनाने की बात कही है। न्यूक्लियर एक्सपर्ट्स का मानना है कि नॉर्थ कोरिया के हथियार बेशक छोटे हैं फिर भी इन्हें इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों पर लगाकर अमेरिका और साउथ कोरिया में तबाही मचाई जा सकती है।
प्रतिबंध के बावजूद मिसाइल टेस्टिंग कर रहा नॉर्थ कोरिया
संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन ने नॉर्थ कोरिया पर परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइलों की टेस्टिंग को लेकर प्रतिबंध लगाए हैं। आसान शब्दों में कहें तो नॉर्थ कोरिया परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण नहीं कर सकता है। इसके बावजूद लगातार मिसाइल टेस्ट किए जा रहे हैं।
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