नरेंद्र मोदी की पहल के बाद खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों की बिक्री बढ़ी
-आत्मनिर्भर भारत अभियान को मिली नई ऊंचाई
-सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा खादी कपड़े का इतिहास
-केवीआईसी के कारोबार में हुई वृद्धि
-2022-23 में 1.34 लाख करोड़ रुपए का कारोबार
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी सामान के इस्तेमाल पर काफी ध्यान दिया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। प्रधानमंत्री ने खादी को ज्यादा बढ़ावा दिया है क्यों की खादी भारतीय के रूप में हमारी राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती है । आज खादी की डिमांड हमारे देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी बढ़ गई है। केवीआईसी के उत्पादों का कारोबार 1.34 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। ये आकड़ा वकीय में आश्चर्य कर देने वाला है।
खादी किसे कहते हैं
खादी या खद्दर भारत में हाथ से बनने वाले वस्त्रों को कहते हैं। खादी वस्त्र सूती, रेशम, या ऊन से बने हो सकते हैं। इनके लिए बनने वाला सूत चरखे की सहायता से बनाया जाता है। चूँकि किसी भी औद्योगिक पावरलूम का उपयोग नहीं किया जाता है, इसलिए खादी कपड़े के उत्पादन में अधिक समय लगता है। कपड़े की गुणवत्ता कारीगर की कारीगरी पर निर्भर करती है। खादी वस्त्रों की विशेषता है कि ये शरीर को गर्मी में ठंडा और सर्दी में गरम रखते हैं। इसलिए खादी लोगों में प्रचलित है।
खादी का इतिहास
सिंधु घाटी सभ्यता में कपड़े की परम्परा काफी अच्छे से विकसित थी। अध्ययनों के अनुसार, लगभग 2800 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता में कपड़ों का विकास होने की अच्छी परंपरा थी। जिस के बाद खादी का पुनर्जीवन भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया। महात्मा गांधी ने भारत में 1920 के दशक में ग्रामीण स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए खादी की कटाई को बढ़ावा देना शुरू किया, इस प्रकार खादी स्वदेशी आंदोलन का एक अभिन्न अंग और प्रतीक बन गया। खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम 1956 के तहत भारत सरकार द्वारा खादी और ग्राम आयोग की स्थापना की गई थी। भारत सरकार ने 7 अगस्त 2015 से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाए जाने शुरुआत की थी।
खादी प्राकृतिक उत्पादों में शामिल
खादी अब कपड़े तक ही सीमित नहीं बल्कि प्राकृतिक उत्पादों में भी शामिल है। आज मार्किट में कई ऐसी बड़ी ब्रांड है जो सौंदर्य प्रसाधन कर ने के लिए प्राकृतिक उत्पादो का इस्तमाल कर रही है। ऐसा कहा जाता है कि खादी प्राकृतिक उत्पादों हानिकारक रसायनों से मुक्त होते हैं और त्वचाविज्ञान से स्थापित होते हैं। खादी के प्राकृतिक उत्पादों की बात करे तो इस में फेस वॉश, मॉइस्चराइजर, साबुन, तेल, सैनिटाइजर, फेस पैक, आयुर्वेदिक दवाएं, कंडीशनर आदि। सके परिणामस्वरूप, पिछले पांच वर्षों में ग्रामोद्योग उत्पादों के उत्पादन और बिक्री में लगभग दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई है।
खादी से मिला रोजगार
हाल के वर्षों में खादी ग्रामोद्योग आयोग ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करते हुए कारीगरों और बेरोजगार युवाओं के लिए स्थाई रोजगार पैदा करने पर ध्यान केंद्रित किया है। 2022-23 में खादी ग्रामोद्योग आयोग ने ग्रामीण क्षेत्रों में 9.5 लाख रोजगार के अवसर तैयार किए है। जबकि 2013-14 में 5.6 लाख रोजगार थे। केंद्र सरकार के वोकल फॉर लोकल अभियान ने खादी को घरेलू और विदेश दोनों जगह लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।
केवीआईसी के कारोबार का आंकड़ा
विनय कुमार सक्सेना खादी ग्राम उद्योग आयोग के प्रमुख थे। खादी को ब्रांड बनाने में उनका बड़ा हाथ रहा है। वह कई सरकारी समितियों का हिस्सा रहे हैं। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने अभूतपूर्व उपलब्धियां हासिल की हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में खादी-ग्रामोद्योग आयोग ने 1.34 लाख करोड़ रुपए का कारोबार किया है। जबकि इसने 2013-14 में 31,154 करोड़ रुपए का कारोबार किया था। 2013-14 और 2022-23 बीच स्वदेशी खादी उत्पादों की बिक्री में 332 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। पीएम नरेंद्र मोदी के चलाये गए अभियान के तहत ही आज खादी प्रचलन में है।
हमारा YOUTUBE चैनल-https://www.youtube.com/@VyasMediaNetwork