देशभर में प्रसिद्ध इन सात श्री कृष्ण मंदिरों के दर्शन से मनोकामना होती है पूर्ण
– 6 सितंबर को धूमधाम से मनाई जा रही जन्माष्टमी
– आज रात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा
– वृंदावन स्थित इस्कॉन मंदिर में 7 सितंबर को मनाई जाएगी जन्माष्टमी
– 30 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग
दिल्ली। सनातन धर्म में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। आज 6 सितंबर को धूम-धाम से देश भर में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। मंदिरों में लोग सुबह से ही दर्शन करने पहुंच चुके हैं। पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण के अनगिनत अनोखे मंदिर हैं, जहां हमेशा श्रद्धालुओं जाते हैं। त्योहारों पर मंदिरों में काफी भीड़ होती है लेकिन श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए भीड़ ना देखते हुए पूरे वर्ष इन मंदिरों में जाते हैं।
देव ज्योतिषी और महादेवी काली मंदिर, मंदाकिनी तट के महंत अश्वनी पांडे ने बताया कि 6 सितंबर, दिन बुधवार को 3 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है, जो कि 7 सितंबर को 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। यानी 6 सितंबर की रात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा।
इसलिए शैव परंपरा के लोग बुधवार, 6 सितंबर को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे। चूंकि वैष्णव संप्रदाय में उदिया तिथि का अधिक महत्व होता है, इसलिए ये लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे। आज जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर हम आपको भगवान श्री कृष्ण के उन मंदिरों के बारे में बता रहे हैं जो दुनिया भर में फेमस हैं।
इस्कॉन मंदिर, (वृंदावन)
इस साल इस्कॉन मंदिर में 7 सितंबर 2023 को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। बता दें कि वृंदावन स्थित इस्कॉन मंदिर साल 1975 में बनाया गया था। वृंदावन के इस्कॉन मंदिर में श्रद्धालु झूमते-गाते हुए प्रभु की भक्ति में खो जाते हैं। इस प्रसिद्ध मंदिर में राधेकृष्ण की प्रतिमा काफी सुंदर है। यहां विदेशी श्रद्धालुओं काफी मात्रा में होते हैं।
पुरी स्थित जगन्नाथ मन्दिर
भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित श्री जगन्नाथ मन्दिर एक हिन्दू मन्दिर है, जो भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है। है। जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत के स्वामी होता है। इनकी नगरी ही जगन्नाथपुरी या पुरी कहलाती है। इस मन्दिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मन्दिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। पुरी में बना जगन्नाथ मंदिर 800 सालों से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। यह काफी रहस्यमयी मंदिर है।
श्रीनाथ जी मंदिर, नाथद्वारा (राजस्थान)
श्रीनाथजी का प्रमुख मंदिर राजस्थान के उदयपुर शहर से 49 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित नाथद्वारा शहर में स्थित है। श्रीनाथ जी का मंदिर विश्व भर में बेहद प्रसिद्ध है। ये मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। मेवाड़ के राजा इस मंदिर में मौजूद मूर्तियों को गोवर्धन की पहाड़ियों से औरंगजेब से बचाकर लाए थे। श्रीनाथजी भगवान श्री कृष्ण का एक रूप हैं, जो 7 साल के बच्चे (बालक) के रूप में प्रकट होते हैं।
बालकृष्ण मंदिर, हंपी कर्नाटक
कर्नाटक के हंपी में स्थित बालकृष्ण मंदिर काफी अनोखे तरीके से बनाया गया है। यह मंदिर यूएनईएससीओ की वर्ल्ड हेरिटेज वेबसाइट में भी मिलता है। इस मंदिर में कृष्ण जी का बाल रूप विराजमान हैं।
बेंगलुरु का इस्कॉन मंदिर
बेंगलुरु में भारत का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर है। यह मंदिर हिंदू देवताओं राधा कृष्ण को समर्पित है। कहा जाता है कि यह मंदिर 1997 में बनाया गया था, जिसका उद्देश्य वैदिक और धार्मिक सभ्यताओं को बढ़ावा देने का था।
कर्नाटक स्थित उडुपी श्री कृष्ण मठ
उडुपी श्री कृष्ण मंदिर तमिलनाडु राज्य के उडुपी नामक शहर में स्थित है। यह भगवान श्री कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना 13 वीं शताब्दी में वैष्णव संत श्री माधवाचार्य ने द्वारा किया गया। भगवान श्री कृष्ण उडुपी का नाम संस्कृत शब्द उडुपा से लिया गया है जिसका अर्थ है चंद्रमा। यह नाम प्राचीन मंदिर चंद्रमौलीश्वर से भी जुड़ा है जो श्री कृष्ण मठ के अंदर स्थित है। इस मंदिर के पास मौजूद तालाब के पानी में मंदिर का प्रतिबिंब दिखाई देता है। इसमें भगवान श्री कृष्ण की पूजा होती है।
गुजरात स्थित श्री रंछोद्रीजी महाराज मंदिर
यह मंदिर गोमती नदी के किनारे दकोर के मुख्य बाजार के बीचों-बीच स्थित है। मिली जानकारी के अनुसार, इस मंदिर की संरचना 1772 में मराठा नोबेल द्वारा की गई थी। इस मंदिर में 8 गुंबद और 24 बुर्ज हैं, जो सोने से बनी हुई हैं। इस मंदिर के साथ ही लक्ष्मी जी का भी मंदिर है। मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि हर शुक्रवार के दिन कृष्ण भगवान लक्ष्मी जी के मंदिर में उनसे मिलने जाते हैं।
30 साल बाद बन रहा अद्भुत संयोग
ज्योतिषविद का कहना है कि इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष संयोग भी बना रहा है। जन्माष्टमी पर 30 साल बाद शनि ग्रह स्वराशि कुंभ में रहेंगे। इसके साथ ही, जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, वृषभ राशि में चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है।
हमारा YOUTUBE चैनल-https://www.youtube.com/@VyasMediaNetwork