ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक
– सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनाया फैसला
– मुस्लिम पक्ष ने किया एएसआई सर्वे का बहिष्कार
– प्रशासन ने सावन के सोमवार को देखते हुए वाराणसी को हाईअलर्ट पर रखा
– मस्जिद परिसर के बाहर और आसपास 2,000 से ज्यादा जवान तैनात रहे
– आदेश आते ही सर्वे टीम नपती छोड़कर मस्जिद से बाहर आई
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे पर 26 जुलाई यानी 2 दिन तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि 26 जुलाई की शाम 5 बजे तक कोई सर्वे ना किया जाए। इस दौरान अगर मस्जिद कमेटी चाहे तो वाराणसी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जा सकती है। वाराणसी की अदालत ने मस्जिद में एएसआई सर्वे का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में 24 जुलाई को जब सुनवाई शुरू हुई, जब एएसआई की टीम ज्ञानवापी में सर्वे कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत वहां पर किसी तरह की खुदाई पर रोक लगा दी। कहा कि हम दोपहर 2 बजे दोबारा इस मामले पर सुनवाई करेंगे। लेकिन 11 बजकर 50 मिनट के आसपास ही कोर्ट ने सर्वे पर रोक का आदेश दे दिया।
ऐसे हो रहा था ज्ञानवापी में सर्वे
वाराणसी में एएसआई ने 24 जुलाई को ज्ञानवापी का सर्वे शुरू किया था। सील वजू स्थल को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे कराने की बात थी। शुरुआती 3 घंटे के सर्वे में फीता लेकर पूरे परिसर को नापा गया। 4 स्टैंड कैमरे परिसर के चारों कोने पर लगाए गए। उसमें एक-एक एक्टिविटी रिकॉर्ड की गई। उधर, मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का बहिष्कार किया। वह सर्वे के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में याचिका को लेकर सुनवाई हुई। सीजेआई ने यूपी सरकार से पूछा था कि एएसआई वहां क्या कर रही है। ज्ञानवापी में सर्वे की यथास्थिति क्या है।
मुस्लिम पक्ष ने मस्जिद का दरवाजा नहीं खोला
हिंदू पक्ष के वकील अनुपम कुमार ने बताया कि आज केवल परिसर का मेजरमेंट किया गया। मुस्लिम पक्ष की ओर से बिल्कुल सपोर्ट नहीं किया गया है। मस्जिद का दरवाजा नहीं खोला गया। अंदर जाने के लिए जगह नहीं दी गई। सिर्फ पश्चिमी द्वार और बाहर-बाहर हम लोग मेजरमेंट कर रहे थे। तब तक सुप्रीम कोर्ट का स्टे आ गया और काम रोक दिया गया। जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। ज्ञानवापी परिसर से प्रशासनिक अधिकारी, सर्वे टीम और दोनों पक्ष के लोग निकल आए हैं।
परिसर में लगे पत्थर और ईंट की हाइट नापी
एएसआई की 4 टीमें परिसर को 4 हिस्सों में बांट कर अलग-अलग सर्वे कर रही थीं। परिसर में लगे पत्थर और ईंट की हाइट नापी गई। चारों ओर की दीवारों की फोटो-वीडियोग्राफी की गई। 30 सदस्यीय एएसआई टीम 24 जुलाई सुबह 6.30 बजे ज्ञानवापी पहुंच गई थी। 7 बजे से सर्वे शुरू कर दिया था। सर्वे और सावन के सोमवार को देखते हुए वाराणसी को हाईअलर्ट पर रखा गया। परिसर के बाहर और आसपास 2,000 से ज्यादा जवान तैनात रहे।
डीएम से कह दिया था सर्वे में शामिल नहीं होंगे
रविवार रात दिल्ली, पटना और आगरा से एएसआई की टीम वाराणसी पहुंची। यहां डीएम, कमिश्नर, पुलिस कमिश्नर के साथ बैठक की। इसके बाद सोमवार सुबह से सर्वे पर सहमति बनी। प्रशासन ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों और उनके वकीलों को बुलाया। हिंदू पक्ष ने सर्वे में सहयोग की बात कही। हिंदू पक्ष के लोग सर्वे टीम के साथ सुबह ज्ञानवापी के अंदर गई।
वहीं, मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हवाला दिया। मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद और रईस अहमद ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार ही आगे बढ़ेंगे। कल ही हमने डीएम को मना कर दिया था कि हम सर्वे में शामिल नहीं होंगे।
हिंदू पक्ष बोला-हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है
ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि हमें यकीन है कि पूरा परिसर मंदिर का ही है। सर्वे का परिणाम हमारे अनुकूल होगा। वहीं याचिकाकर्ता सोहन लाल आर्य ने कहा कि यह हमारे लिए हिंदू समुदाय और करोड़ों हिंदुओं के लिए बहुत ही गौरवशाली पल है। सर्वे ही इस ज्ञानवापी मुद्दे का एकमात्र समाधान है।
हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट में दाखिल की कैविएट
हिंदू पक्ष की ओर से वादिनी राखी सिंह और अन्य पांच महिलाओं ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल किया है। मुस्लिम पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती देने की संभावना को देखते हुए हिंदू पक्ष ने भी तैयारी कर ली है। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से जिला जज के फैसले के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दाखिल की जा सकती है। ऐसे में हिंदू पक्ष को सुने बिना कोई भी आदेश न दिया जाए। इसीलिए हिंदू पक्ष ने कैविएट दाखिल किया है।
पहले से सर्वे का कोई नोटिस नहीं दिया
ज्ञानवापी मस्जिद के मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि रविवार देर रात वाराणसी के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर के साथ मुस्लिम पक्ष की बैठक हुई। अधिकारियों को बताया था कि पुरातात्विक सर्वे को लेकर उन्हें पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया है। रिक्वेस्ट किया था कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होने वाली है। ऐसे में सर्वे को 1 दिन के लिए टाल दिया जाए।
नोमानी का दावा है कि अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी बातों को ऊपर के अधिकारियों को पहुंचाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सोमवार को सर्वे शुरू कर दिया गया। इसलिए मुस्लिम पक्ष ने सर्वे में शामिल ना होने का फैसला लिया। वहीं, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा- हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा। अगर वे तत्काल सुनवाई की अनुमति देते हैं तो हम सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखने के लिए तैयार हैं।
स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल चिह्न मिले थे
वाराणसी कोर्ट में वकील विष्णुशंकर जैन ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि ज्ञानवापी की 14 से 16 मई के बीच हुए सर्वे में 2.5 फीट ऊंची गोलाकार शिवलिंग जैसी आकृति के ऊपर अलग से सफेद पत्थर लगा मिला। उस पर कटा हुआ निशान था। उसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहराई पाई गई। पत्थर की गोलाकार आकृति के बेस का व्यास 4 फीट पाया गया।
ज्ञानवापी में कथित फव्वारे में पाइप के लिए जगह ही नहीं थी, जबकि ज्ञानवापी में स्वास्तिक, त्रिशूल, डमरू और कमल जैसे चिह्न मिले। मुस्लिम पक्ष कुंड के बीच मिली जिस काले रंग की पत्थरनुमा आकृति को फव्वारा बता रहा था, उसमें कोई छेद नहीं मिला है। न ही उसमें कोई पाइप घुसाने की जगह है।
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