जी-20 बैठक से पहले चीन ने की ओछी हरकत
-चीन ने अपने अधिकृत नक्शे में अरुणाचल प्रदेश को बताया अपना हिस्सा
-2023 में चीन ने बदले थे अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम
-पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसी हरकत
-विदेश मंत्रालय पहले ही दे चुका है चीन को करारा जवाब
बीजिंग। चीन ने भारत में होने वाली जी-20 समिट के पहले एक बड़ा कदम उठया है। दरअसल चीन ने सोमवार यानी 28 अगस्त को अपना अधिकृत नक्शा जारी किया। इस नक्शे में भारत के अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चीन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को चीन ने अपने क्षेत्र में दिखाया है। प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय की वेबसाइट पर यह नया नक्शा जारी किया गया।
बता दें कि यह नक्शा चीन से लगे देशों की सीमाओं की स्थिति के आधार पर तैयार किया गया है। चीन की तरफ से यह हरकत पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले अप्रैल 2023 में चीन ने अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। वहीं, चीन ने पिछले 5 साल में तीसरी बार ऐसा किया है। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे।
विदेश मंत्रालय ने दिया था कड़े स्वर में जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन की इस हरकत पर कहा था कि हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।’
चीनी ‘अखबार ग्लोबल’ टाइम्स ने की पुष्टि
गौरतलब है कि चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत का राज्य नहीं माना है। चीन का कहना है कि अरुणाचल ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा कर उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है। इस बात की पुष्टि चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स् ने खुद की थी।
https://twitter.com/globaltimesnews/status/1696104724691570945
ग्लोबल टाइम्स् के मुताबिक सोमवार को चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने अरुणाचल के 11 नाम बदले जाने को मंजूरी दी है। जिसके तहत यह सभी इलाके जेंगनेन चीन के दक्षिण राज्य शिजियांग के हिस्से में आते हैं। इनमें से 4 रिहायशी इलाके हैं। वहीं एक इलाका अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर का करीबी इलाका है।
क्यों नाम बदल रहा है चीन?
दरअसल 2021 में चीन ने अरूणाचल प्रदेश की 15 जगहों के नाम बदल दिए थे। इनमें से 8 रिहायशी इलाके थे, 4 पर्वत, 2 नदियां और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता था। 2015 में चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर झांग योंगपान ने ग्लोबल टाइम्स के साथ एक इंटरव्यू में कहा था कि- श्जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई सौ सालों से हैं। चीन का इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल उचित है। पुराने समय में जेंगनेन (चीन में अरुणाचल को दिया नाम) के इलाकों के नाम केंद्रीय या स्थानीय सरकारें ही रखती थीं।
इसके अलावा इलाके के जातीय समुदाय जैसे तिब्बती, लाहोबा, मोंबा भी अपने अनुसार जगहों के नाम बदलते रहते थे। जब जैंगनेम पर भारत ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाया तो वहां की सरकार ने गैर कानूनी तरीकों से जगहों के नाम भी बदल दिए। इसलिए अरुणाचल के इलाकों के नाम बदलने का हक केवल चीन को होना चाहिए।’
क्या है अरुणाचल और अक्साई चिन का विवाद
भारत और चीन के बीच में 3488 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर विवाद लंबे समय से चल रहा है। हालांकि चीन अरुणाचल प्रदेश वाले हिस्से को भी विवादित मानता है। दरअसल अरुणाचल प्रदेश की 1126 किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ मिलती है। जहां, चीन का दावा है कि अरुणाचल कई 100 सालों से दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है, वहीं भारत अक्साई चिन इलाके को अपना बताता है। बता दें कि 1962 में इंडो-चाइना युद्ध में चीन ने अक्साई चिन वाले हिस्से पर कब्जा कर लिया था। तभी से भारत-चीन सीमा विवाद जारी है।
अरुणाचल के कौन से 11 इलाकों के नाम बदले चीन ने
एक तरफ भारत जहां अरुणाचल को अपना अविभाज्य हिस्सा मनता है, वाही चीन ने इसके 11 जगहों केर नाम बदले थे। अरुणाचल के इलाके- पांगचेन, ग्यांग खार जोंग, लो जुगरी, ताइपोरी, ताडोंग, चेनपोरी चू, डुंगसेल ग्येडूचू, घोयुल थांग, नीमा गैंगै, चुंगन्यू साईं गांगरी पर चीन अपना दावा बताता है और इनके नाम बदल कर उसने- बांगकिन, जिआंगकाजोंग, लुओसु री, दिएपू री, डाडोंग, किबुरी हे, डोंगजिला फेंग, गोदुओ हे, गुयुतोंग, निमागैंगफेंग, जिउनिउजे गांगरी कर दिए हैं।
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