जानिए चंद्रयान-3 की लैंडिंग की पूरी कहानी
-इसरो ने शेयर किया प्रज्ञान रोवर के बाहर आने का वीडियो
-चांद पर अशोक स्तंभ और इसरो लोगो की छाप छोड़ेगा प्रज्ञान
-इसरो वैज्ञानिकों से मिलने पहुंचे पीएम मोदी
-चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्पॉट को ‘शिव शक्ति’ नाम देने की घोषणा
-7 पेलोड के साथ भेजा गया था चंद्रयान-3
बेंगलुरु। चंद्रयान-3 की चांद के साउथ पोल पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद भारत की पूरी दुनिया में वाहवाही हो रही है। लैंडिंग के बाद अब इसरो ने चंद्रयान-3 से रोवर सफलता से बाहर आने का वीडियो भी शुक्रवार को शेयर किया है। बता दें कि चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम प्रज्ञान रखा गया है और यह छह पहियों और 26 किलो वजनी है। इसने गुरुवार से चंद्रमा की सतह पर घूमना शुरू किया है। लैंडिंग के करीब 14 घंटे बाद गुरुवार सुबह इसरो ने रोवर प्रज्ञान के बाहर आने की आधिकारिक जानकारी दी। लैंडर विक्रम 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर उतरा था।
इसरो ने अपने बयान में बताया कि- “चांद की सतह पर उतरते ही रोवर ने सबसे पहले अपने सोलर पैनल खोले। रोवर 1 सेमी प्रति सकंड की गति से चल रहा है और अपने आस-पास की चीजों को स्कैन करने के लिए नेविगेशन कैमरों का इस्तेमाल कर रहा है। इसने अभी तक लगभग 8 मीटर की दूरी सफलतापूर्वक तय कर ली है। वहीं रोवर का मिशन 12 दिनों में लैंडर के आसपास आधा किमी घूम कर महत्वपूर्ण जानकारी इकट्टा करना है।
चांद पर अशोक स्तंभ की छाप
चांद पर सफलतापूर्वक उतरकर भारत ने अपनी छाप पूरी दुनिया पर पहले ही छोड़ दी है। इसी तरह प्रज्ञान रोवर भी भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप चांद पर छोड़ेगा। दरअसल, प्रज्ञान रोवर के पीछे के दो पहियों पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और इसरो लोगो को उकेरा गया है, जिसके कारण रोवर चंद्रमा की सतह पर चलते वक्त चांद की मिट्टी पर इन प्रतीकों की छाप छोड़ता हुआ आगे बढत्रेगा। रोवर में दो पेलोड भी लगे हैं जो पानी और अन्य कीमती धातुओं की खोज करेंगे। इसरो ने बताया कि रोवर पर लगे पेलोड चालू कर दिए गए हैं।
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से ली गई चंद्रयान-3 की तस्वीर
इससे पहले इसरो ने चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से चंद्रयान-3 के लैंडर की तस्वीरें शेयर की थी। इन तस्वीरों को ऑर्बिटर पर लगे हाई-रेजोल्यूशन कैमरा से लिया गया है। खास बात यह है कि यह चंद्रमा की ऑर्बिट में मौजूद सभी ऑर्बिटर में से यह सबसे अच्छे रेजोल्यूशन वाला कैमरा है। नासा का ऑर्बिटर भी चांद की कक्षा में है, उसका कैमरा भी इतना पाॅवरफुल नहीं है।
लैंडिंग का वीडियो भी किया शेयर
गुरुवार को इसरो ने चांद्रयान के लैंडिंग का वीडियो भी शेयर किया था। इस वीडियो में चांद की सतह पर शुरुआत में लहरों जैसा नजारा दिखा, पास पहुंचते ही वहां काफी सारे बड़े और छोटे गड्ढे नजर आए।
इसरो वैज्ञानिकों से मिलने पहुंचे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार यानी 26 अगस्त की सुबह बेंगलुरु में इसरो के हेडक्वार्टर पहुंचे। यहां उन्होंने वैज्ञानिकों से मिलकर उन्हें चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की बधाई दी। वहीं चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्पॉट को ‘शिव शक्ति’ नाम देने कि घोषणा की, यहीं नहीं बल्कि चंद्रयान-2 जिस स्पॉट पर पहुंचा उस स्पॉट का नाम तिरंगा रखा गया है। चंद्रयान-3 को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। इसे चांद की सतह पर लैंड करने में 41 दिन लगे।
7 पेलोड के साथ भेजा गया था चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 मिशन के तीन हिस्सो से मिलकर पूरा हुआ है। पहला है प्रोपल्शन मॉड्यूल, दूसरा लैंडर और तीसरा है रोवर। इन तीन हिस्सों पर कुल 7 पेलोड लगे हैं। शेप नामक एक पेलोड को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगाया गया है। ये चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाकर धरती से आने वाले रेडिएशन की जांच कर रहा है, वहीं लैंडर पर तीन पेलोड लगे हैं। रंभा, चास्टे और इल्सा। प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड लगाए गए हैं। इन पेलोड में एक इंस्ट्रूमेंट अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का भी है, जिसका नाम लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अरे है। यह चंद्रमा से पृथ्वी की दूसरी मापने का काम करता है।
भारत के पहले मिशन में खोजा था पानी
भारत अपने चांद्रयान-1 से ही इतिहास रच चुका है। 2008 में चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया था। इसमें एक प्रोब की क्रैश लैंडिंग कराई गई थी, जिसमें चांद पर पानी के बारे में पता चला। फिर 2019 में चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंचा, लेकिन लैंड नहीं कर पाया। 2023 में चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया।
4 फेज में हुई चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग
इसरो ने चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 की विफलता से सबक लेते हुए चार फेज मे लैंड कराया। सबसे पहले 30 किमी की ऊंचाई से शाम 5 बजकर 44 मिनट पर ऑटोमैटिक लैंडिंग प्रोसेस शुरू की गई और अगले 20 मिनट में चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक लैंड हुआ। चंद्रयान-3 ने 40 दिन में 21 बार पृथ्वी और 120 बार चंद्रमा के चक्कर लगाए। चंद्रयान ने चांद तक 3.84 लाख किमी दूरी तय करने के लिए 55 लाख किमी की यात्रा की।
अब जानिए चंद्रयान-3 के चार लैंडिंग फेजस के बारे में
रफ ब्रेकिंग फेज
इस फेज में लैंडर लैंडिंग साइट से 750 किमी दूर था। इस ऊंचाई को घटाकर 30 किमी कर दिया गया और तब रफ्तार थी 6,000 किमी/एचआरएल। यह फेज साढ़े 11 मिनट तक चला। इसके बाद लैंडर को हॉरिजेन्टल पोजिशन में 30 किमी की ऊंचाई से 7.4 किमी दूरी तक लाया गया।
एटीट्यूड होल्डिंग फेज
इस फेज में विक्रम लैंडर ने चांद की सतह की फोटो खींची और पहले से मौजूद फोटोज के साथ कंपेयर कर लैंडिंग साइट की सुरक्षितता को सुनिश्चित किया। चंद्रयान-2 के टाइम में ये फेज 38 सेकेंड का था इस बार इसे 10 सेकेंड का कर दिया गया था। 10 सेकेंड में विक्रम लैंडर की चंद्रमा से ऊंचाई 7.4 किमी से घटकर 6.8 किमी पर आ गई।
फाइन ब्रेकिंग फेज
यह फेज 175 सेकंड तक चला जिसमें लैंडर की स्पीड 0 तक लाई गई और विक्रम लैंडर की पोजिशन पूरी तरह से वर्टिकल कर दी गई। इस फेज के अंत में सतह से विक्रम लैंडर की ऊंचाई करीब एक किलोमीटर रह गई।
टर्मिनल डेसेंट
इस फेज में लैंडर को चांद की सतह से करीब 150 मीटर की ऊंचाई तक लाया गया और सब कुछ ठीक होने पर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंड कराया गया।
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