चीन की अमेरिकी सेना की सुरक्षा में बड़ी सेंध
-दो अमेरिकी अफसरों पर चीन को सेना के राज बेचने का आरोप
-अमेरिकी वॉरशिप्स की जानकारी भी पहुंची चीन
-अमेरिकी स्कूलों की फंडिंग कर रहा चीन
न्यूयाॅर्क। अमेरिका ने अपने 2 नेवी अफसरों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने चीन को देश से जुड़ी खुफिया जानकारी बेची है, जिसके बाद दोनों अफसरों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, एक अफसर का नाम वेनहेंग झाओ है, जिसने करीब साढ़े 12 लाख रुपए के बदले अमेरिकी मिलिट्री से जुड़ी कई संवेदनशील फोटोज और वीडियो चीन को बेच दिए थे।
दूसरे अफसर का नाम जिनचाओ वेई है, जिसने कई हजार डॉलर के बदले नेशनल डिफेंस से जुड़ी जानकारी लीक करने की साजिश रची थी।दोनों अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने अपने चीनी साथियों को इंडो-पैसेफिक में अमेरिका की मिलिट्री एक्सरसाइज, इलेक्ट्रिकल डायग्राम, जापान में अमेरिकी मिलिट्री बेस के रडार सिस्टम के ब्लू प्रिंट्स और लॉस एंजेल्स के पास मौजूद अमेरिकी नेवी बेस से जुड़ी अत्यंत गोपनीय सिक्योरिटी डिटेल्स बेची हैं।
वॉरशिप्स की जानकारी दी
अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, सैन डिएगो में अमेरिकी युद्धपोत यूएसएस एसेक्स पर काम करने वाले वेई ने चीन को अमेरिकी वॉरशिप्स से जुड़े 30 तकनीकी मैनुअल्स के साथ उसके पाॅवर स्ट्रक्चर और जहाज के हथियारों से जुड़ी जानकारी बेची है। इतना ही नहीं बल्कि उसने चीन को ये भी बताया है कि इन वॉरशिप्स की कमजोरी क्या है। मामला सामने आने के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने दोनों अफसरों को तुरंत हिरासत में ले लिया और चीन के इस जासूसी ऑपेरशन की निंदा की।
हो सकती है 20 साल से ज्यादा की सजा
एफबीआई के स्पेशल एजेंट स्टेसी मोय ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि- “चीन अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा है, जो शायद कई पीढ़ियों तक रहेगा। बीजिंग किसी भी हाल में अमेरिका पर हमले बंद नहीं करने वाला है। वो इन सब हरकतों के जरिए दुनिया की इकलौती सुपरपाॅवर बनना चाहता है। दोनों आरोपियों पर चीन के लिए जासूस करने के चार्ज लगाए गए हैं। अगर वो दोषी साबित हो जाते हैं तो उन्हें 20 साल से ज्यादा की सजा सुनाई जा सकती है।”
असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल मैट ओल्सन ने कहा- “दोनों आरोपियों की वजह से अमेरिका की सुरक्षा से जुड़ी खुफिया जानकारी चीन के हाथ चली गई। इनमें से एक को हाल ही में अमेरिका की नागरिकता मिली है और दूसरे ने इसके लिए अप्लाय कर रखा है। उन्हें अपने नए देश का साथ देने की जरूरत थी। फिलहाल चीन की तरफ से मामले में कोई बयान जारी नहीं किया गया है।”
अमेरिकी स्कूलों की फंडिंग कर रहा चीन?
दो दिन पहले अमेरिकी जांच एजेंसी के द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन अमेरिका के मिलिट्री बेस के पास मौजूद 20 स्कूलों में भी घुसपैठ की फिराक में है। वहीं ऐसा अनुमान है की चीन ने अमेरिका के पब्लिक स्कूलों को करीब 2 करोड़ डॉलर की फंडिंग की है। अमेरिकी ऑर्गनाइजेशन पेरेंट्स डिफेंडिंग एजुकेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के तीन टॉप साइंस एंड टेक्नोलॉजी हाई स्कूल ऐसे पाए गए हैं, जिनको चीन की सरकार सीधे तौर पर फंडिंग कर रही है।
चीन का अमेरिकी सेना का नेटवर्क पर वायरस अटैक
अमेरिकी सेना अपने नेटवर्क में चीन द्वारा छोड़े गए वायरस को भी ढूंढ रही है। सरकार को डर है कि चीन ने अमेरिका की सेना के पाॅवर ग्रिड, कम्युनिकेशन सिस्टम और वाटर सप्लाई नेटवर्क में एक कम्प्यूटर कोड या फिर वायरस फिट कर दिया है। जो जंग के दौरान उनके ऑपरेशन को विफल कर सकता है ।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बाइडेन सरकार को डर है कि चीन का ये कोड न सिर्फ अमेरिका, बल्कि दुनियाभर में मौजूद उनके मिलिट्री बेस के नेटवर्क में हो सकता है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि मिलिट्री के नेटवर्क में चीन का कोड होना किसी टाइम बम के जैसा है। उनका कहना है कि इससे न सिर्फ सेना के ऑपरेशन पर असर पड़ेगा, बल्कि उन घरों और व्यापार पर भी होगा जो सेना के इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हैं।
चीन के निशाने पर भारत?
यह पहली बार नहीं की पर चीन पर साइबर अटैक करने का आरोप लगा है। भारत में हुए साइबर अटैक को लेकर कई मौकों पर चीन पर सवाल खड़े हुए हैं। 2015 में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में सूचना और प्रसारण मंत्री ने बताया था कि जिन देशों से भारत की साइबर सिक्योरिटी को खतरा है उनमें चीन पहले नंबर पर है। साइबर खतरों पर काम करने वाली एजेंसी साइफिरमा ने 24 जून 2020 की एक रिपोर्ट बताया था कि पिछले कई दिनों से भारत की साइबर सुरक्षा पर खतरा बढ़ा है।
चीन के हैकर ग्रुप्स भारत के बड़े संस्थानों को टारगेट कर रहे हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि चीनी हैकर ग्रुप एपीटी10 ने भारत की कोरोना वैक्सीन बनाने वाली दोनों कंपनियों सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक पर साइबर हमला किया था। बीबीसी ने एक अमेरिकी कंपनी के हवाले से बताया कि कनाडा, भारत, दक्षिण कोरिया, ताइवान, अमेरिका और वियतनाम जैसे देश चीनी साइबर हमले के निशाने पर रहे हैं।
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