चांद पर जगने वाला है अपना लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान
– 22 सितंबर को चांद की सतह पर पूरी तरह से उजाला हो जाएगा
– इसरो ने कहा था कि अगर सब ठीक रहा तो विक्रम और प्रज्ञान जाग जाएंगे
– अभी -238 डिग्री के तापमान में चांद के आगोश में आराम फरमा रहा है विक्रम
नई दिल्ली। चांद की सतह पर गहरी नींद में सो रहे अपने लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के उठने का वक्त नजदीक आ गया है। पिछले दो सप्ताह से -238 डिग्री के तापमान में चांद की आगोश में आराम फरमा रहे विक्रम अब जल्द ही जाग सकता है। चांद पर इस वक्त धीरे-धीरे उजाला होना शुरू हो चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 2 सितंबर को ट्वीट कर कहा था कि 22 सिंतबर के करीब विक्रम और प्रज्ञान एकबार फिर से एक्टिव हो सकते हैं।
इसरो ने बताया था कि लैंडर और रोवर की बैटरी पूरी तरह चार्ज है। सोलर पैनल को ऐसे पोजीशन पर लगाया गया है जो 22 सितंबर से सीधे सूरज की रोशनी पा सकेगा। इसरो ने ये भी कहा था कि अगर विक्रम और प्रज्ञान चांद पर सूर्योदय के बाद भी नहीं जगेंगे तो वो वहां सदा के लिए भारत के दूत के रूप में रह जाएंगे।
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इसरो ने 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग कराई थी। भारत दुनिया का ऐसा पहला देश बना था जो चांद के इस इलाके में पहुंचा था। इसरो ने चांद की सतह पर विक्रम और प्रज्ञान की अठखेलियां करते हुई तस्वीरें भी डाली थी। भारत का चांद पर ये तीसरा मिशन था। अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ऐसा चैथा देश बना था जिसने सफलतापूर्वक चांद के सतह पर लैंड किया था। करीब एक लूनर डे (जो धरती पर 14 दिन के बराबर होता है) में प्रज्ञान ने कई अहम जानकारियां इसरो को भेजी थीं। प्रज्ञान ने 100 मीटर से ज्यादा दूरी तक चहलकदमी की थी।
विक्रम ने फिर लगाई थी छलांग
गौरतलब है कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को इसरो ने 4 सितंबर को चांद की सतह पर सुला दिया था। लैंडर को सुलाने से पहले इसरो ने चांद की सतह पर एक और परीक्षण किया था। इसरो के वैज्ञानिकों ने 4 सितंबर की सुबह चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग कराई इस दौरान प्रज्ञान ने जो भी डेटा कलेक्ट किया उसे इसरो के कमांड सेंटर भेज दिया। इसके बाद इसरो ने पेलोड्स को स्विच ऑफ कर दिया था। हालांकि लैंडर विक्रम का रिसीवर को ऑन रखा गया है।
विक्रम को चांद पर थी हीटर की जरूरत
चांद पर रात हो जाने की वजह से घुप अंधेरे में विक्रम लैंडर खामोश पड़ा है। इसरो के वैज्ञानिकों समेत दुनिया को उम्मीद है कि चांद पर दिन शुरू होने के बाद एक बार फिर से चंद्रयान 3 को जगाया जा सकेगा। इसरो वैज्ञानिक इसे जल्द ही जगाने का प्रयास करेंगे। इस समय चांद पर तापमान माइनस 253 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। न तो विक्रम लैंडर और न ही प्रज्ञान रोवर में चांद पर बचे रहने के लिए जरूरी हीटर नहीं लगे हैं जिससे उन्हें कड़ाके की ठंड झेलनी पड़ रही है। ये हीटर अंदर गर्मी देते रहते हैं ताकि उसमे लगे हार्डवेयर काम करते रहें। इसके लिए वे प्लूटोनियम या पोलोनियम का इस्तेमाल करते हैं।
इससे किसी स्पेसक्राफ्ट का हार्डवेयर बचा रहता है और वह भीषण ठंड में भी बचा रहता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस हीटर के बिना विक्रम लैंडर के बचे रहने की संभावना अब केवल भाग्य पर निर्भर करेगी। इससे पहले लूनोखोद 1 रोवर 10 महीने तक चांद पर सक्रिय रहा था और उसने 10 किमी तक की यात्रा भी की थी। वह सोलर ऊर्जा से चलता था। उसे पोलोनियम 210 रेडियोआइसोटोप हीटर की मदद से रात में भी ऊर्जा की सप्लाइ होती थी।
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