चंद्रयान-3 ने फिर चांद पर सॉफ्ट लैंड कर जंप टेस्ट पूरा किया
-40 सेमी ऊपर उठाकर विक्रम लैंडर को सुरक्षित लैंड करवाया
-प्रज्ञान रोवर 22 सितंबर से एक बार शुरू करेगा काम
-पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है चंद्रमा का एक दिन
– चांद की सतह पर घुमकर प्रज्ञान ने पता लगाई कई अहम बातें
बेंगलुरु। चंद्रयान-3 मिशन में इसरो को एक और बड़ी सफलता मिली है। इसरो ने 3 सितम्बर को विक्रम लैंडर का जंप टेस्ट सफलतापूर्वक किया। आसन शब्दों में कहें तो विक्रम लैंडर ने चांद की सतह पर दोबारा लैंडिंग की है। इसरो ने सोमवार को इस बात की जानकारी दी कि लैंडर को निर्देश देकर 40 सेमी ऊपर उठाया गया और 30 से 40 सेमी की दूरी पर इसे सुरक्षित लैंड करवाया गया।
इस टेस्ट के लिए लैंडर का इंजन चालू किया गया। रैंप को दोबारा खोला और बंद किया। दोबारा सफल लैंडिंग के बाद सभी उपकरणों को पहले की तरह सेट किया गया। इसरो ने इस टेस्ट की सफलता के बाद बताया कि- ‘यह एक्सपेरिमेंट 3 सितंबर को किया गया। इसका मकसद फ्यूचर ऑपरेशन्स और सैंपल लेकर लैंडर की वापसी को सुनिश्चित करना है।
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प्रज्ञान रोवर का मिशन हो चुका है पूरा
इस जंप टेस्ट से पहले इसरो ने 2 सितंबर को इस बात की पुष्टि की थी कि प्रज्ञान रोवर ने अपना मिशन पूरा कर लिया है। वहीं इसे अब सुरक्षित रूप से पार्क कर स्लीप मोड में सेट किया गया है। इसमें लगे दोनों पेलोड एपीएक्सएस और एलआईबीएस को भी बंद कर दिया गया है। इन पेलोड से डेटा लैंडर के जरिए इसरो कमांड सेंटर तक पहुंचा दिया गया है।
प्रज्ञान की बैटरी को भी पूरी तरह चार्ज कर लिया गया है और रोवर को ऐसी दिशा में खड़ा किया गया है कि 22 सितंबर 2023 को जब चांद पर अगला सूर्योदय होगा तो सूर्य का प्रकाश रोवर पर लगे सोलर पैनलों पर गिरे। वहीं आगे के कमांड्स रोवर तक पहुंचे, इसलिए उसके रिसीवर को भी चालू रखा गया है। उम्मीद की जा रही है कि 22 सितंबर को यह फिर से काम करना शुरू करेगा।
14 दिन बाद चंद्रमा पर होगा सूर्योदय
आपको बता दें कि इसरो द्वारा लॉन्च किया गया चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही था। इसकी वजह यह है कि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक दिन में उजाला रहता है। यानी की पृथ्वी के 14 दिन चंद्रमा का एक दिन होता है। दरअसल, रोवर और लैंडर सूर्य की रोशनी से पाॅवर जनरेट करते हैं, लेकिन रात होने पर पाॅवर जनरेशन प्रोसेस रुक जाने से रोवर और लैंडर में लगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब होने की पूरी आशंका होगी।
100 मीटर चांद की सतह पर घुमा प्रज्ञान
इसरो ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर बताया था कि रोवर ने शिव-शक्ति लैंडिंग पॉइंट से 100 मीटर की दूरी तय कर ली है। इसरो ने लैंडर और रोवर के बीच की दूरी को एक ग्राॅफ द्वारा दर्शाया। 23 अगस्त को चंद्रमा पर विक्रम लैंडर की लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर को यह दूरी तय करने में 10 दिन लगे।
चंद्रयान-3 से पता चली यह महत्वपूर्ण बातें
31 अगस्त- इसरो ने 31 तारीख को इस बात की पुष्टि की थी कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे इंस्ट्रूमेंट ऑफ लूनर सीस्मिक एक्टिविटी (आईएलएसए) पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप के झटकों को रिकॉर्ड किया है। यह भूकंप 26 अगस्त को आया था, वहीं भूकंप के उद्गम स्थल की जांच जारी है।
28 अगस्त- चंद्रयान-3 के दूसरे ऑब्जर्वेशन डाटा से चांद के साउथ पोल पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की मौजूदगी का पता चला है। सतह पर मैग्नीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी हैं, वहीं हाइड्रोजन की खोज जारी है।
27 अगस्त- प्रज्ञान रोवर के तय रस्ते पर घूमते वक्त उसके सामने 4 मीटर व्यास वाला क्रेटर यानी गड्ढा आ गया था। इस गड्ढे की लोकेशन को रोवर ने 3 मीटर पहले ही भाप लिया था। ऐसे में कमांड सेंटर से रोवर को अपना रास्ता बदलने का निर्देश दिया गया। इससे पहले भी प्रज्ञान करीब 100 मिमी गहरे एक छोटे क्रेटर से गुजरा था।
26 अगस्त- विक्रम लैंडर के ऑब्जर्वेशन से यह पता चला कि चांद की सतह पर करीब 50 डिग्री तापमान रहता है। वहीं 80 मिलीमीटर की गहराई में तापमान माइनस 10 डिग्री पहुंच जाता है। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन डाटा भेजा। चास्टे यानी चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट के मुताबिक चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में भी काफी अंतर देखने को मिला है।
23 अगस्त- लैंडर विक्रम पर लगे रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव लोनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर-लैंगम्यूर प्रोब ने चांद के साउथ पोल पर प्लाज्मा को खोजा, हालांकि इसका घनत्व काफी कम है।
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