क्या आप जानते हैं इन अद्भुत और सबसे महंगे पेड़-पौधों के बारे में
-चिलबिल का पेड़ कई बीमारियों में है रामबाण
-केलेमस अंडमानिक्स भारत का एक विशिष्ट पौधा है
-महोगनी है एक इमारती पौधा
-सागवान के लकड़ी की गिनती सबसे महंगी लकड़ियों में होती है
-सफेदा के पेड़ की खेती करके सालाना लाखों रुपए कमाते हैं लोग
धरती पर पेड़-पौधे के बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। धरती पर ऐसे बहुत से पेड़-पौधे हैं जिन्हें दैवीय और चमत्कारी माना जाता है। आज भी साइंटिस्ट इसका रहस्य नहीं जान पाए है। भारत में ऐसे पेड़-पौधे हैं जो खाना मांगते हैं, रोते हैं और अपने से चलकर दूसरे स्थान पर पहुंच जाते हैं। ऐसे काम तो चमत्कारिक पौधे ही कर सकते हैं।
लेकिन क्या आप जानते है भारत में ऐसे भी पेड़-पौधे पाए जाते है जिन्हे लगा के आप सालाना लाखों रुपए कमा सकते है। साथ ही ये पेड़-पौधे संजीवनी बूटी का भी काम करते है।
चिलबिल का पेड़
चिलबिल एक औषधीय पेड़ है। इसकी छाल भूरे व सफेद रंग की होती है। चिलबिल को वाओला, कांजू , सिलिबिल और कान्जो भी कहा जाता है। इसकी लंबाई लगभग 80 फीट तक होती है। आयुर्वेद में इसकी पत्तियों का लेप और छाल का चूर्ण, काढ़ा आदि बनाकर प्रयोग किया जाता है।
चिलबिल का उपयोग कर कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है जैसेरू- गठिया रोग, एक्जिमा, पीलिया और डायबिटीज आदि। चिलबिल के पौधे को मात्र 100 रुपये में खरीदा जा सकता है। 70 से 80 वर्षों में उसकी कीमत एक से डेढ़ लाख रुपए तक हो जाती है।
केलेमस अंडमानिक्स का पेड़
भारत के अंडमान निकोबार में एक अनोखा पौधा पाया जाता है। जिसे केलेमस अंडमानिक्स नाम से भी जानते है। इस पौधे के जड़ से पानी पीने योग्य निकलता है। यहां पर रहने वाले आदिवासियों को जब पानी नहीं मिलता है, तो वे इस पौधे से निकलने वाले पानी से अपनी प्यास बुझाते हैं। ये पेड़ करीब 80 मीटर ऊंचे होते हैं। इस पेड़ का आकार एक बोतल से मिलता है। इस पेड़ में बहुत पानी जमा होता है।
महोगनी का पेड़
महोगनी के पेड़ अपनी लकड़ी के लिए मशहूर है। इसकी लकड़ी भूरे से लाल रंग की होती है। महोगनी पेड़ की लकड़ियों का इस्तेमाल जहाज, गहने, फर्नीचर, प्लाईवुड, सजावट और मूर्तियां बनाने में किया जाता है। इसके साथ ही इस पेड़ की पत्तियों का इस्तेमाल कैंसर, रक्तचाप, अस्थमा, सर्दी, मधुमेह सहित अन्य बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
यह पौधा 12 वर्ष में पूरा पेड़ बन जाता है। विशेषज्ञ कहते हैं कि एक पेड़ से लगभग 40 घन फुट लकड़ी मिल जाती है। आज मार्केट में महोगनी का पेड़ लगभग 60,000 रुपये में बिकता है।
सागवान का पेड़
सागवान पेड़ की लकड़ी को सबसे महंगी और मजबूत लकड़ियों में जाना जाता है। सागवान पेड़ की लकड़ियों का इस्तेमाल रेल के डिब्बे, प्लाईवुड, जहाज और अनेक प्रकार के बहुमूल्य फर्नीचरों को बनाने में किया जाता है द्य सागवान का पेड़ 200 वर्षो से अधिक समय तक जीवित रहता है। सागवान के पेड़ की लंबाई 100 से 140 फीट तक पाई जाती है।
इसके पौधों का इस्तेमाल दवाइयों को बनाने में भी करते है द्य सागवान पेड़ की लकड़ी में कई तरह के खास गुण पाए जाते है, जिस वजह से हमेशा ही बाजारो में इसकी डिमांड रहती है।
सफेदा का पेड़
आपने अक्सर सड़क किनारे सफेदा का पेड़ देखा होगा, जो बहुत ही लंबा होता है। इसे इंग्लिश में यूकलिप्टस भी खा जाता है। जबकि भारत में सफेदा को गम और नीलगिरी के नाम से जाना जाता है। इस पेड़ की लकड़ी बहुत ही उपयोगी होती है, जिसका इस्तेमाल पेटियाँ, ईंधन, हार्ड बोर्ड, फर्नीचर और पार्टिकल बोर्ड इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है।
यह पेड़ केवल 5 सालों में अच्छी तरह से तैयार हो जाता है, जिसके बाद इसे काटा जा सकता है। खास बात यह है कि पेड़ से लगभग 400 किलो तक लकड़ी मिलती है। जिसकी डिमांड बाजारो में हमेशा ही रहती है।
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