केंद्र ने 20 रुपये से सस्ते सिगरेट लाइटर के आयात पर लगाया प्रतिबंध
नई दिल्ली | केंद्र सरकार ने 29 जून को 20 रुपये से कम कीमत वाले सिगरेट लाइटर के आयात पर बैन लगा दिया है। नए फैसले के मुताबिक, अब 20 रुपये से कम कीमत वाले सिगरेट लाइटर्स का आयात नहीं होगा। इस पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है। दरअसल, यह कदम प्रोडक्ट के आयात पर लगाम लगाने के इरादे से उठाया गया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में इस फैसले को लेकर अहम जानकारी दी है।
किन सिगरेट लाइटर्स पर लागू रहेगी पाबंदी
बता दें कि CIF मूल्य का उपयोग अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयातित वस्तुओं के कुल मूल्य के निर्धारण के लिये किया जाता है। सरकार के फैसले के मुताबिक यह पाबंदी पॉकेट लाइटर, गैस वाले लाइटर, ‘रिफिल‘ या बिना ‘रिफिल‘ वाले लाइटर पर लगाई गई है. जानकारी के मुताबिक पॉकेट, गैस लाइटर, ‘रिफिल‘ या बिना ‘रिफिल‘ वाले लाइटर का आयात बीते वित्त वर्ष 2022-23 में 6.6 लाख डॉलर का रहा। इनका आयात मुख्य रूप से स्पेन, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात से किया जाता है। आर्थिक तौर पर यह एक बड़ा फैसला माना जा रहा है लेकिन इस फैसले की वजह कुटीर उद्योग को माना जा रहा है।
तमिलनाडु के सीएम ने केंद्र को लिखा था पत्र
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सितंबर 2022 में केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर माचिस उद्योग की सुरक्षा के लिए एकल-उपयोग प्लास्टिक लाइटर पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था। पत्र में उन्होंने कहा था कि माचिस उद्योग एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं। मुख्यमंत्री स्टालिन ने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र में कहा था, “उद्योग कृषि के लिए शुष्क क्षेत्र में आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण इंजन है। आप पहले से ही जानते होंगे कि माचिस उद्योग निर्यात के माध्यम से लगभग ₹400 करोड़ का विदेशी मुद्रा राजस्व अर्जित करता है।”
स्टालिन ने पीयूष गोयल का किया धन्यवाद
गुरुवार को जब मोदी सरकार ने इस सिगरेट आयात पर बैन के फैसला का ऐलान किया तो तुरंत ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने सरकार के फैसले पर खुशी जताई। मुख्यमंत्री स्टालिन ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को धन्यवाद देने के लिए ट्विटर का सहारा लिया।
स्टालिन ने कहा कि कोरोना वायरस के बाद आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण घरेलू माचिस के निर्यात में बाधाएं पैदा हुई हैं। उन्होंने बताया कि भारत में घरेलू माचिस का बाजार चीन निर्मित एकल-उपयोग लाइटर के कारण भी संघर्ष कर रहा है, जो 10 रुपये से भी कम कीमत पर उपलब्ध हैं। एक बार समाप्त होने के बाद, इन लाइटर को फेंक दिया जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप कचरा पैदा होता है।
अंडमान और निकोबार द्वीप में 2019 में लगा प्रतिबंध
बता दें कि 2019 में अंडमान और निकोबार द्वीप के अधिकारियों ने पर्यावरणीय गिरावट का हवाला देते हुए पहले ही एकल-उपयोग लाइटर पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। केंद्र सरकार 2022 में 30 एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसमें सिगरेट के पैकेट भी शामिल थे।
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