किसानों के लिए मोदी कैबिनेट का तोहफा, सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने का किया एलान
केंद्र सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया, पांच करोड़ किसानों को मिलेगा फायदा
दिल्ली | केंद्र सरकार ने देश के गन्ना किसानों के लिए एक बड़ा एलान किया है। कैबिनेट ने गन्ने की एफआरपी बढ़ाने का फैसला लिया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि सरकार ने 2023-24 सत्र के लिए गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य यानि के एफआरपी को 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 315 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
अनुराग ठाकुर ने बताया कि कैबिनेट ने चीनी सीजन 2023-24 के लिए गन्ना किसानों के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल के अब तक के उच्चतम, उचित और लाभकारी मूल्य को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से पांच करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को फायदा होगा। इसके साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में काम कर रहे पांच लाख श्रमिकों को भी इसका लाभ मिलेगा।
नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बिल 2023 को संसद में लाया जाएगा। इसके साथ ही साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड एक्ट 2008 को रद्द किया जाएगा।
एसएपी और एफआरपी में अंतर
सरकार की ओर से तय किये गए मूल्य को FRP कहा जाता है, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से खरीदे गए गन्ने का भुगतान कानूनी रूप से करने पड़ता हैं। वहीं एफआरपी में बढ़ोतरी से देश के सभी किसानों को फायदा नहीं हो पाता। दरअसल, कुछ राज्यों में एफआरपी के अलावे गन्ने की पैदावार के लिए राज्य समर्थित मूल्य यानी एसएपी (State Advisory Price) भी तय किया जाता है। जिन राज्यों में गन्ने का उत्पादन अधिक होता है, वह अपनी फसल की कीमत खुद तय करते है। इस कीमत को एसएपी कहा जाता है।
किसानों को कैसे होगा फायदा?
उत्तर प्रदेश,पंजाब और हरियाणा राज्य के किसान अपनी फसल के लिए एसएपी तय करते हैं। साधारण तौर पर एसएपी का मूल्य केंद्र सरकार के एफआरपी मूल्य से अधिक होता है। ऐसे में केंद्र की ओर से एफआरपी बढ़ाने के बाद अगर राज्य सरकार ने एसएपी नहीं बढ़ाया तो इससे किसानों को कोई फायदा नहीं हो पाता।
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