ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारी पर एफआईआर से पंडे-पुजारियों में आक्रोश
– प्रकरण वापस नहीं लेने पर ब्राह्मण समाज करेगा विरोध प्रदर्शन
– पुजारियों ने व्यवस्था के नाम पर मंदिर प्रशासन पर लगाया परेशान करने का आरोप
ओंकारेश्वर। ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर में एसडीएम-पुजारी विवाद को लेकर मामला गरमा गया है। एसडीएम की शिकायत पर पुजारी और उनके बेटे के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज करने पर मंदिर के पुजारियों और ब्राह्मण समाज में आक्रोश है। उनका कहना है प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मंदिर के पंडे-पुजारियों के अधिकारों का हनन कर उनके खिलाफ षड्यंत्र कर अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सावन माह में व्यवस्था के नाम पर मंदिर प्रशासन द्वारा मनमानी कर पंडे-पुजारियों को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है। इधर मंदिर के पंडे-पुजारियों और ब्राह्मण समाज ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि पुजारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस नहीं ली गई तो उग्र प्रदर्शन करेंगे।
दरअसल, घटना रविवार दोपहर की है। पुजारी ब्रह्मानंद शर्मा का बेटा सचिन अपने जजमानों को ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के दर्शन कराने ले जा रहा था। इसी बीच मंदिर में व्यवस्थाओं को देख रहे एसडीएम चंद्रशेखर सोलंकी में सचिन को रोक लिया और गुस्से में चिल्लाते हुए उसे परिसर से बाहर निकलवा दिया। यह बात जब सचिन ने अपने पिता पुजारी ब्रह्मानंद शर्मा को बताई तो वे स्वयं बेटे सचिन और जजमानों के साथ एसडीएम श्री सोलंकी से मिलने पहुंचे और उनसे बेटे को मंदिर परिसर से बाहर निकलवाने का कारण पूछा।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुजारी ब्रह्मानंद के सवाल का जवाब देने की बजाय उलटे एसडीएम श्री सोलंकी उन पर भड़क गए और उन्हें डांटना शुरू कर दिया। इस पर पुजारी ब्रह्मानंद ने शांतिपूर्वक समझाने की कोशिश की लेकिन एसडीएम उनकी एक बात भी सुनने को तैयार नहीं हुए और नियमों का हवाला देकर डराने-चमकाने लगे। इसके बाद देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया। विवाद इतना बढ़ा कि इस दौरान श्रद्धालुओं के बीच अफरा-तफरी मच गई और कुछ देर के लिए दर्शन सहित सभी व्यवस्थाएं ठप हो गई।
हालांकि मंदिर प्रशासन और पुलिस ने तुरंत ही मौका संभालते हुए व्यवस्थाओं को वापस सुचारू किया। पुजारी ब्रह्मानंद शर्मा का कहना था कि एसडीएम साहब नियमों की आड़ में पुजारियों को परेशान कर रहे हैं। मामूली बात पर वे इतना ज्यादा गुस्सा हो गए कि अनर्गल बोलने लगे। मैंने उन्हें शांति से बात करने का निवेदन किया तो उलटे जोर-जोर से चिल्लाने लगे। मेरे और बेटे के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।
मारपीट का प्रकरण वापस लें वरना करेंगे प्रदर्शन
घटना के बाद एसडीएम चंद्रशेखर सोलंकी ने पुजारी ब्रह्मानंद शर्मा के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने सहित लोकसेवक के साथ मारपीट करने संबंधी धाराओं में केस दर्ज करा दिया। वहीं, उनके बेटे सचिन के खिलाफ धारा 188 के तहत मामला पंजीबद्व किया गया। इधर, पुजारी और उनके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज होने की बात पता चलते ही ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों और ब्राह्मण समाज में रोष फैल गया। उन्होंने प्रकरण दर्ज करने की कार्रवाई एकतरफ बताते हुए एफआईआर वापस लेने की मांग की। साथ ही प्रशासन को चेतावनी दी कि केस वापस नहीं लिया तो ब्राह्मण समाज सड़क पर उतरने को बाध्य होगा, जिसकी समस्त जवाबदारी प्रशासन की होगी।
नियमों की आड़ में छीन रहे पुजारियों के अधिकार
पुजारी पर प्रकरण दर्ज करने पर ज्योर्तिलिंग ओंकारेश्वर मंदिर समेत नगर के अन्य मंदिरों के पुजारियों में गुस्सा देखने को मिल रहा है। उनका कहना है कि प्रशासन त्योहारों का हवाला देकर हमेशा मनमर्जी करता है। जिम्मेदार अधिकारी भी पुजारियों की एक बात सुनने को तैयार नहीं होते हैं बल्कि उलटे नियमों का हवाला देकर डराने-चमकाने लगते हैं। पुजारी ब्रह्मानंद शर्मा और उनके बेटे सचिन के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। पुजारियों की घर-गृहस्थी मंदिर से होने वाली आमदानी से ही चलती है, ऐसे में नियमों की आड़ में उन पर पाबंदी लगाई जाएगी तो वे अपनी घर खर्च कैसे चलाएंगे। ओंकारेश्वर मंदिर के पुजारियों ने प्रशासन से उन्हें विशेष सुविधा देने की मांग की है।
देवताओं का भी देवता है ब्राह्मण, उसे सदा खुश रखें
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार पितामह भीष्म जी ने पुलस्त्य जी से पूछा हे गुरुवर! मनुष्य को देवत्व, सुख, राज्य, धन, यश, विजय, भोग, आरोग्य, आयु, विद्या, लक्ष्मी, पुत्र, बन्धुवर्ग एवं सब प्रकार के मंगल की प्राप्ति कैसे हो सकती है। तब पुलस्त्य जी ने उनकी बात का उत्तर देते हुए कहा राजन!इस पृथ्वी पर ब्राह्मण सदा ही विद्या आदि गुणों से युक्त और श्रीसम्पन्न होता है। तीनों लोकों और प्रत्येक युग में विप्रदेव नित्य पवित्र माने गए हैं। ब्राह्मण देवताओं का भी देवता है। संसार में उसके समान कोई दूसरा नहीं है। वह साक्षात धर्म की मूर्ति है और सबको मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाला है। ब्राह्मण सब लोगों का गुरु, पूज्य और तीर्थस्वरुप मनुष्य है।
पूर्वकाल में नारदजी ने ब्रम्हाजी से पूछा था। ब्रम्हन! किसकी पूजा करने पर भगवान लक्ष्मीपति प्रसन्न होते हैं। तो ब्रह्मा जी बोले, जिस पर ब्राह्मण प्रसन्न होते हैं,उस पर भगवान विष्णु जी भी प्रसन्न हो जाते हैं। अतरू ब्राह्मण की सेवा करने वाला मनुष्य निश्चित ही परब्रम्ह परमात्मा को प्राप्त होता है। ब्राह्मण के शरीर में सदा ही श्री विष्णु का निवास है। जो दान, मान और सेवा आदि के द्वारा प्रतिदिन ब्राह्मणों की पूजा करते हैं, उसके द्वारा मानों शास्त्रीय पद्धति से उत्तम दक्षिणा युक्त सौ अश्वमेध यज्ञों का अनुष्ठान हो जाता है।
जिसके घर पर आया हुआ ब्राह्मण निराश नही लौटता, उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है। पवित्र देश काल में सुपात्र ब्राह्मण को जो धन दान किया जाता है वह अक्षय होता है। वह जन्म जन्मान्तरों में फल देता है, उनकी पूजा करने वाला कभी दरिद्र, दुखी और रोगी नहीं होता है। जिस घर के आंगन में ब्राह्मण की चरणधूलि पड़ने से वह पवित्र होते हैं वह तीर्थों के समान हैं।