उज्जैन में नाग पंचमी पर साल में सिर्फ एक बार खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर
– दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग उज्जैन पहुंचे
– 11वीं शताब्दी की है नागचंद्रेश्वर भगवान की प्रतिमा
– रविवार रात से ही हजारों भक्त दर्शन की कतार में लग गए थे
– कहा जाता है कि नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा नेपाल से लाई गई थी
उज्जैन। आज नागपंमी का पर्व है। आज के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में भगवान नाग देवता का ऐसा मंदिर है जो केवल आज के दिन खुलता है। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के शीर्ष पर विराजमान श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रविवार आधी रात को खोल दिए गए। नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी के अवसर पर केवल 24घंटों के लिए खोले जाते हैं।
इस मंदिर में स्थित भगवान शिव की अनोखी प्रतिमा के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग उज्जैन पहुंचे। प्राचीनकाल से पंचांग तिथि अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन ही इस मंदिर के पट खुलने की परंपरा है। श्री नागचंद्रेश्वर भगवान की यह प्रतिमा 11वीं शताब्दी की है। इस प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव जी के साथ देवी पार्वती बैठी हैं। ये दुनिया की एक मात्र ऐसी प्रतिमा है,जिसमें शिवजी नाग शैया पर विराजमान हैं। साल में एक दिन के लिए खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए भक्तों की कतार लग गई।
नागचंद्रेश्वर प्रतिमा की खास बातें
– नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा दुर्लभ है। माना जाता है कि ये 11वीं शताब्दी की है।
– नागचंद्रेश्वर कीमूर्ति में फन फैलाए हुए नाग देव हैं। नाग देव शिव-पार्वती के आसन बने हुए हैं। इस मूर्ति में शिवजी का साकार स्वरूप है।
– महाकालेश्वर मंदिर के ऊपरी तल पर ये प्रतिमा स्थित है। नागचंद्रेश्वर मंदिर में प्रवेश करते ही दीवार पर भगवान नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा दिखाई देती है।
प्राचीन समय में महाकाल वन के नाम से जाना जाता था महाकालेश्वर मंदिर
प्राचीन समय में महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र को महाकाल वन के नाम से जाना जाता था। स्कंद पुराण के अवंती खंड, शिवमहापुराण, मत्स्य पुराण आदि ग्रंथों में महाकाल वन का उल्लेख है। यहां शिवजी यानी महाकाल का ज्योति स्वरूप विरमान है। इसीलिए इसे महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है।
लाखों लोग पहुंचे दर्शन के लिए
उज्जैन महाकाल मंदिर परिसर में स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट ठीक 12 बजते ही खोल दिए गए। साल में एक दिन के लिए खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन के लिए लाखों लोग पहुंचे। सोमवार का दिन होने से भक्तों की संख्या बढ गई है। रात 12.40 बजे आम दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ जो सोमवार रात 12 बजे तक चलेगा। रात से ही हजारों भक्त दर्शन की कतार में लग गए थे। प्रशासन का दावा है कि बेहतर इंतजाम व निरंतर चलायमान व्यवस्था से भक्तों को कतार में लगने के बाद एक घंटे में नागचंद्रेश्वर के दर्शन कराए गए।
मंदिर में भगवान शिव की अद्भुत शिव प्रतिमा है स्थापित
महाकालेश्वर मंदिर के शिखर पर स्थित नागचन्द्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में केवल एक बार 24 घंटे सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते हैं। नागचन्द्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत शिव प्रतिमा स्थापित है। प्रतिमा में भगवान शिव अपने परिवार के साथ सात फनों वाले नागों के सिंहासन पर विराजमान हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसी प्रतिमा पूरी दुनिया में कहीं और नहीं है।
नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा में शिव-पार्वती दोनों के वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित हैं। मूर्ति में भगवान गणेश की ललितासन मूर्ति, उमा के दांयी ओर कार्तिकेय की मूर्ति व उपर की ओर सूर्य-चन्द्रमा भी अंकित हैं। नागचन्द्रेश्वर की मूर्ति अपने आप में भव्य एवं कलात्मकता का उदाहरण है। भगवान शिव के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहा जाता है कि यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी।
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