पाकिस्तान में आतंकी हमले में 4 चीनी इंजीनियर समेत 13 की मौत
-बलोच लिबरेशन आर्मी के मजीद ब्रिगेड ने दिया हमले को अंजाम
-चीन बना रहा है पाकिस्तानी सिक्योरिटी एजेंसीज पर दबाव
-अब तक 23 चीनी नागरिक पाकिस्तान में गंवा चुके हैं अपनी जान
बलूचिस्तान। पाकिस्तान एक बार फिर आतंकी हमले से दहल उठा है। बलूचिस्तान प्रांत में चीनी इंजीनियरों पर आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 4 चीनी इंजीनियर, 9 पाकिस्तानी सैनिक और दो आतंकी मारे गए हैं। वहीं, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हमले में लगभग 27 लोग भी घायल हुए हैं। दरअसल, चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के चल रहे प्रोजेक्ट्स में से एक थर्मल पाॅवर प्रोजेक्ट के लिए चीनी इंजीनियर पाकिस्तान में रह रहे हैं।
दो साल पहले भी यहां चीनी इंजीनियरों पर ऐसा ही आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 9 इंजीनियर की मौत हो गई थी। पाकिस्तान सरकार और फौज की तरफ से मरने वालों के बारे में ऑफिशियली कोई जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि पहले फौज ने दो आतंकियों के मारे जाने का दावा जरूर किया था।
बलोच लिबरेशन आर्मी के मजीद ब्रिगेड ने दिया हमले को अंजाम
यह पहली बार नहीं है कि बलूचिस्तान में फौज और चीनी टेक्निकल स्टाॅफ पर हमला हुआ है। बलोच लिबरेशन आर्मी ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए अपने सोशल मीडिया पर बयान जारी किया है कि- रविवार को हुए हमले में हमारे दो शहीद शामिल थे। इनके नाम नवीद बलोच और खुदाबख्श उर्फ असलम बलोच हैं। दोनों ही तुरबत इलाके के रहने वाले थे। दोनों ही मजीद ब्रिगेड से ताल्लुक रखते हैं।
चीनी नागरिक ही टारगेट
जापान के अखबार नक्केई एशिया ने पाकिस्तान में मौजूद चीनी नागरिकों और उनके कारोबार पर खतरे को लेकर एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन की थी। इसकी रिपोर्ट में पाकिस्तान के तमाम आतंकी संगठन चीनी नागरिकों और उनके कारोबार या कंपनियों को ही निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं ऐसा दावा किया गया था।
वहीं, इसकी वजह यह बताई गई है कि बीते 5 सालों में पाकिस्तान में चीनी लोगों की ताकत और रसूख में बहुत तेजी से इजाफा हुआ है। कई जगहों पर तो चीनी नागरिक स्थानीय लोगों से भी ज्यादा ताकतवर हैं। इसी कारण से आतंकी संगठनों को लगता है कि चीनी नागरिकों की वजह से पाकिस्तान के लोगों को या उनके इलाकों को नुकसान हो रहा है और सारा कारोबार छीनकर मुनाफा चीन पहुंचा रहे हैं।
शुरुआती तौर पर कराची और लाहौर जैसे इलाकों में चीनी नागरिकों के कारोबार और ऑफिसों पर हमले हुए। इसके बाद उनकी कंपनियों को टारगेट किया गया। अब पाकिस्तान और चीन के चल रहे साझा प्रोजेक्ट्स को टार्गेट किया जा रहा है।
चीनी नागरिकों के लिए पाकिस्तान में बनाई अलग प्रोटेक्शन यूनिट
पाकिस्तान सरकार ने चीनी नागरिकों की सिक्योरिटी के लिए 2014 में स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनाई थी। इस यूनिट में 4 हजार से ज्यादा सिक्योरिटी ऑफिशियल्स और सैनिक शामिल किए गए थे। पाकिस्तान में मौजूद 7567 चीनी नागरिकों को यह यूनिट स्पेशल सिक्योरिटी मुहैया कराती है।
अकेले बलूचिस्तान में चीनी नागरिकों की 70 मल्टी स्टोरीज बिल्डिंग हैं। इसके अलावा 24 टेम्परेरी कैम्प भी हैं। इन सभी में चीन के वो अफसर और वर्कर रहते हैं जो चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर से जुड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं।
चीन बना रही है पाकिस्तानी सिक्योरिटी एजेंसीज पर दबाव
पाकिस्तान में चीन एम्बेसी ने फरवरी में एक बयान जारी कर पाकिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों को सतर्क रहने को कहा था। एम्बेसी ने अपने बयान में कहा था कि- चीन के नागरिकों पर आतंकी हमले का सबसे ज्यादा खतरा है। अगर बहुत जरूरी न हो तो वो पाकिस्तान छोड़कर चीन चले जाएं। इसके बाद कराची पुलिस ने माना था कि उस पर चीन की तरफ से सिक्योरिटी देने का दबाव डाला जा रहा है। इसके बाद शाहबाज शरीफ सरकार ने चीन के नागरिकों से फिलहाल, कारोबार और दफ्तर बंद करने को कहा था।
कराची, लाहौर और इस्लामाबाद में चीनी कारोबारियों ने बड़े-बड़े मार्केट तक बना लिए हैं। उनके यहां रेस्टोरेंट्स और होटल्स भी हैं। खास बात यह है कि चीनी नागरिकों की पूरी सिक्योरिटी का जिम्मा चीन सरकार ने पाकिस्तान सरकार पर डाल दिया है। बावजूद इसके चीनी नागरिकों पर आतंकी हमले बढ़ते रहे हैं।
अप्रैल 2022 में चीन की महिला प्रोफेसरों की वैन पर एक महिला फिदायीन ने हमला किया था। इस हमले में चार महिला प्रोफेसरों की मौत हो गईं थीं। वहीं 2020, 2018 और 2017 में भी चीनी नागरिकों पर हमले हो चुके हैं। एक आंकड़े के मुताबिक अलग-अलग हमलों में अब तक 23 चीनी नागरिक पाकिस्तान में अपनी जान गंवा चुके हैं।
बलोच लिबरेशन आर्मी से परेशान है चीन
चीन ने करीब 60 अरब डॉलर का निवेश पाकिस्तान में कर रहा है। चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के जरिए यह निवेश पाकिस्तान में किये जाने का प्लान दोनों सरकारों ने बनाया है। कई साल से यह प्रोजेक्ट चल रहा है और अब तक इस पर करीब 40 अरब डॉलर खर्च भी हो चुके हैं। चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर का बड़ा हिस्सा बलूचिस्तान प्रांत से गुजरता है। दरअसल, यहां बलोच लिबरेशन आर्मी की हुकूमत चलती है और यह संगठन बलूचिस्तान को पाकिस्तान से आजाद करने की मांग करता आ रहा है।
पिछले साल ही बलोच लिबरेशन आर्मी ने चीनी इंजीनियरों को दासू डेम प्रोजेक्ट साइट पर ले जा रही बस को उड़ा दिया था। इस हमले में 9 चीनी इंजीनियरों समेत कुल 13 लोग मारे गए थे। वहीं, पिछले साल ही कराची यूनिवर्सिटी में चीन की महिला प्रोफेसरों की वैन पर बलोच लिबरेशन आर्मी की महिला ने हमला किया था। इसमें 5 चीनी लोग मारे गए थे। गौरतलब है की चीन की दिक्कत इसलिए बढ़ते जा रही है क्योंकि पाकिस्तान के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने बलोच लिबरेशन आर्मी से हाथ मिला लिया है। इसी कारण अब पकिस्तान में बसे चीनी नागरिकों पर खतरा कई गुना बढ़ गया है।
इसलिए बनी बलोच लिबरेशन आर्मी
भारत से बंटवारे के बाद पाकिस्तान का हिस्सा बने बलूचिस्तान के नागरिक खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। इसके बावजूद भी यह प्रांत किसी तरह पाकिस्तान का हिस्सा बना रहा। वहीं बलोचवासियों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जाता रहा है। पंजाब, सिंध या खैबर पख्तूनख्वा राज्यों के जैसे बलूचिस्तान को कभी भी अपने जायज हक नहीं मिले। इसी के चलते गुस्साए बलोच लोगों ने बलोच लिबरेशन आर्मी की शुरुआत की। इसके बाद 1975 में तब के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो पर एक रैली में हैंड ग्रेनेड से हमला करने की नाकाम कोशिश भी बलोच आर्मी ने की थी।
हमारा YOUTUBE चैनल- https://www.youtube.com/@VyasMediaNetwork