अमेरिका ने मानव अधिकार मुद्दे पर तालिबान को घेरा, तालिबान ने कहा 10 अरब डाॅलर लौटाओ
– तालिबान और अमेरिका के बीच 2 साल बाद हुई द्विपक्षीय वार्ता
-अमेरिका ने मानव अधिकार के मुद्दे पर तालिबान को घेरा
-अपने नेताओं पर से ट्रेवल बैन हटवाना चाहता है तालिबान
-अफगानिस्तान सरकार चाहती है वैश्विक मान्यता
-अमेरिका के पास है अफगानिस्तान के 10 अरब डॉलर
कतर। अफगानिस्तान में 2 साल पहले तालिबान ने लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फंेका था। अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जे के बाद सोमवार को पहली बार अमेरिका और तालिबान के अधिकारियों की कतर में मुलाकात हुई। इस दौरान अमेरिका ने अफगानिस्तान में उन नीतियों को बदलने पर जोर दिया, जिनके जरिए तालिबान मानव अधिकारों के हनन के साथ महिलाओं पर पाबंदियां लगा रहा है। अमेरिकी अधिकारी ने तालिबान सरकार द्वारा लगाए प्रतिबंधों को हटाने की सिफारिश की।
तालिबानी सरकार ने लड़कियों की पढ़ाई और महिलाओं की नौकरी करने पर रोक लगा दी थी। साथ ही उन्होंने तालिबान सेना की हिरासत में मौजूद अमेरिकी नागरिकों को रिहा करने पर जोर दिया। वहीं, तालिबान ने भी अमेरिका से उनअ पर लगाए प्रतिबंध वाली नीतियों को हटाने की मांग की। दूसरी तरफ, तालिबान ने अपने नेताओं पर लगे ट्रैवल बैन को हटाने की मांग की। साथ ही उन्होंने अमेरिका से 10 अरब डॉलर वापस लौटाने की मांग की।
9/11 पीड़ितों की मदद के लिए इस्तेमाल होगा अफगानिस्तान का पैसा
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जा के बाद अमेरिका ने अफगान संपत्ति अपने कंट्रोल में ले ली थी, जिसकी कुल कीमत लगभग 10 अरब डॉलर है। इस दौरान अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडेन ने कहा था कि इसका इस्तेमाल वो 9/11 पीड़ितों के परिवारों की मदद के लिए करेंगे। 9/11 हमले के कुछ पीड़ित परिवारों ने तालिबान पर मुकदमा कर दिया था, जिसे वो जीत भी गए थे। ये परिवार इन पैसों से केस के समय लिए गए कर्ज को चुकाना चाहते थे।
अमेरिकी कोर्ट ने विरोध में सुनाया था फैसला
फरवरी में न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि 9/11 हमले के पीड़ित इन पैसों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। अमेरिकी जज जॉर्ज डेनियल्स ने अपने 30 पेज के आदेश में कहा था- तालिबान को अमेरिका के इतिहास में हुए सबसे खतरनाक हमले की जिम्मेदारी लेते हुए खुद मुआवजा भरना चाहिए, लेकिन अमेरिका अफगान सेंट्रल बैंक के पैसों को जब्त नहीं कर सकता है। अगर उन्होंने ऐसा किया तो इसका सीधा मतलब यही होगा कि अमेरिका तालिबान सरकार को मान्यता दे रही है।
तालिबान राज में आतंकी हमले कम हुए
अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनने के बाद अभी तक किसी ही देश ने तालिबान को अफगानिस्तान की सरकार के तौर पर मान्यता नहीं दी है। तालिबान ने 2021 में वादा किया था कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल अमेरिका, उसके सहयोगी और अफगानिस्तान के लोगों पर आतंकी हमले के लिए नहीं होने देंगे। वहीं, रविवार को कतर में दोनों देशों के प्रतिनिधि मंडल के बीच बातचीत के दौरान अमेरिका ने इस बात पर सहमति जताई कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान की जनता पर आतंकी हमले कम हुए हैं।
मान्यता चाहता है तालिबान
तालिबान सरकार लगातार दुनिया से अफगानिस्तान को मान्यता देने की मांग कर रहा है। पिछले हफ्ते तालिबान के कार्यकारी रक्षा मंत्री मुल्लाह मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने एक इंटरव्यू में कहा था की- “सरकार ने मान्यता हासिल करने के लिए सारी जरूरतों को पूरा किया है। इसके बावजूद अमेरिका के दबाव में आकर दूसरे देश हमें मान्यता नहीं दे रहे हैं।
हम उन देशों से मान्यता की अपील करते हैं जो अमेरिका के दबाव में नहीं हैं। हम चाहते हैं कि दुनिया के ताकतवर इस्लामिक देश हमें सरकार के तौर पर पहचानें। अफगानिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बातचीत करने और उनकी चिंताओं को सुनने के लिए तैयार है। अगर सउदी अरब हमें मान्यता देने को तैयार हो जाता है तो हम 58 और मुस्लिम देशों से बातचीत करने को तैयार हैं।”
थॉमस वेस्ट ने किया अमेरिकी दल का नेतृत्व
अमेरिका के दल का नेतृत्व विशेष प्रतिनिधि थॉमस वेस्ट ने किया। थॉमस वेस्ट के अलावा इस दल में अफगानिस्तान में महिलाओं, लड़कियों और मानवाधिकारों की विशेष दूत रीना अमीरी और अफगानिस्तान में अमेरिका मिशन के प्रमुख कारेन डेकर शामिल हुए। मीडिया रिलीज के अनुसार, बैठक के दौरान अफगानिस्तान की भलाई और वहां के मानवीय संकट को लेकर बातचीत हुई। अमेरिकी दल ने जोर देकर कहा कि अफगानिस्तान के लोगों की मदद के लिए दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास मजबूत बनाने की जरूरत है।
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