अमेरिका-चीन की गिरती अर्थव्यवस्था के बीच भारत की बड़ी छलांग
-मॉर्गन स्टैनली ने की भारत की रैंकिंग को किया अपग्रेड
-अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म है मॉर्गन स्टैनली
-चीन को पछाड़कर आगे निकले भारत
-चीन की रेटिंग में गिरावट
न्यूयॉर्क। जहां पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगा रही है, वहीं भारत अपनी प्रगति की गति को बढ़ाते जा रहा है। सुपर पॉवर कहे जाने वाले देश अमेरिका की इकाॅनामिक रेटिंग गिर रही है तो वहीं दूसरी ओर भारत की इकाॅनामिक रेटिंग में तेजी से सुधार देखने को मिल रहा है। इस बात की पुष्टि करने वाला ओर कोई नहीं बल्कि अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली है। मॉर्गन स्टैनली ने भारत को ‘वैश्विक ओवरवेट रेटिंग’ में अपग्रेड कर दिया है।
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि भारत समृद्धि की ओर एक लंबी छलांग मारने के लिए तैयार है और इसकी शुरुआत भी देश में हो चुकी है, जबकि चीन और अमेरिका की उछाल खत्म होने के करीब है। मॉर्गन स्टैनली ने भारत की लचीली अर्थव्यवस्था और देश में घटते वैल्यूएशन प्रीमियम के कारण होने वाले प्रगति कार्यों का हवाला देते हुए 31 मार्च को भारत को अंडरवेट से इक्वलवेट में उन्नत कर दिया था और अब इस रिपोर्ट के 4 महीने बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘ओवरवेट’ में उन्नत कर दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि 4 महीने के भीतर भारतीय अर्थव्यवस्था की यह दूसरी छलांग है।
इसलिए किया गया भारत को अपग्रेड
अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के इस अपग्रेडेशन के पीछे देश में एक मजबूत और धर्मनिरपेक्ष नेतृत्व को माना है। रिपोर्ट में कहा गया गई कि, “हम सेक्युलर लीडरशिप के लिए भारत को अधिक महत्व देते हैं। भारत हमारी विश्लेषण प्रक्रिया के बाद नंबर-6 से बढ़कर नंबर-1 पर आ गया है।
भारत अपने मल्टीपोलर वल्र्ड ट्रेंड्स एफडीआई और पोर्टफोलियो के प्रवाह को सपोर्ट कर रहा हैं। वहीं, भारत एक रिफॉर्म और मैक्रो-स्टेबिलिटी एजेंडा के साथ चल रहा है, जो एक मजबूत कैपेक्स और प्रॉफिट आउटलुक को दर्शाता है।”
चीन की रेटिंग में गिरावट
फर्म मॉर्गन स्टैनली ने ना केवल भारत की अर्थव्यवस्था पर विश्लेषण किया है, बल्कि सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी परखा है। इसी के चलते चीन को लेकर मॉर्गन स्टैनली की रेटिंग परेशान करने वाली है।
मॉर्गन स्टैनली ने चीन की रेटिंग को नीचे गिराकर समांतर कर दिया है। मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि- “विकास को बढ़ावा देने और देश के प्रमुख निजी क्षेत्र को फिर से जीवित करने के लिए चीन की सरकार ने हाल में कई वादे किए, इसे चीन के एसेट्स को बढ़ावा भी मिला, लेकिन बैंक के एनालिस्ट्स ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि आसान उपाय टुकड़ों में किए जाने की संभावना है, जो शेयरों में बढ़त बनाए रखने के लिए काफी नहीं हो सकते हैं।”
वहीं, बाजार का ध्यान एक बार फिर देश की संरचनात्मक चुनौतियों की ओर गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि, जिसमें स्थानीय सरकार के मुद्दे और बेरोजगारी भी शामिल हैं, जिनके पास अभी भी विस्तृत समाधान का अभाव है।
संकट के दौर में चीन
जाने माने अर्थशास्त्री लौरा वांग और फ्रैन चेन ने अपनी रिपोर्ट्स में लिखा है कि हम जुलाई पोलित ब्यूरो की बैठक में आर्थिक विकास को स्थिर करने और निजी क्षेत्र को समर्थन देने पर साफ रुख को देखते हुए अधिक नरम संकेत भेजने के रूप में लेते हैं।” अर्थशास्त्रियों का कहना है कि “चीन संकट के दौर से गुजर रहा है। प्रॉपर्टी सेक्टर और अमेरिका के साथ जियो पॉलिटिकल तनाव सहित अन्य प्रमुख मुद्दों में सुधार की जरूरत है, ताकि स्थायी निवेश को आकर्षित किया जा सके।”
भारत का भविष्य उज्ज्वल
मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में भारत का भविष्य का रास्ता काफी उज्ज्वल बताया। अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म को उम्मीद है कि इस दशक के अंत में चीन की जीडीपी ग्रोथ रेट, भारत के 6.5 प्रतिशत की तुलना में करीब 3.9 प्रतिशत रहेगी।
क्या कहा मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में?
मॉर्गन स्टैनली के अनुसार भारत में मौलिक रूप से काफी बदलाव हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में स्ट्रक्चरल रिफॉम्र्स हुए हैं, जो अब फल देने लगे हैं विकास के उन अवसरों को खोला गया है, जो पहले से स्थिर थे। कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती और पीएलआई जैसी सप्लाई साइड पॉलिसी में सुधार इन्फ्रास्ट्रक्चर की प्रगति में काफी तेजी आई है। इकाॅनामी का रेगुलेशन और फॉर्मलाइजेशन हुआ है।
भारतीय बाजार के लिए प्रमुख निगेटिव रिस्क में महंगाई और मॉनेटरी पॉलिसीज में अप्रत्याशित वृद्धि शामिल है, खासकर तब, जब प्रोडक्टिविटी में सुधार नहीं होता है। मॉर्गन स्टैनली ने अपने नोट में एआई के चलते सर्विस एक्सपोर्ट और लेबर सेक्टर पर निगेटिव प्रभाव पड़ने की ओर भी ध्यान दिलाया है।
इंडस्ट्रियल सेक्टर भी उछाल
वित्तीय और उपभोक्ता विवेकाधीन शेयरों के साथ-साथ भारत के इंडस्ट्रियल सेक्टर को भी ओवरवेट में अपग्रेड किया गया है। नोट में कहा गया है, हमें उम्मीद है कि ये तीनों सेक्टर भारत की स्ट्रक्चरल स्टोरी के मुख्य लाभार्थी होंगे। एशिया-प्रशांत पूर्व-जापान फोकस लिस्ट में मॉर्गन स्टैनली ने लार्सन एंड टुब्रो और मारुति सुजुकी जैसे भारतीय शेयरों को जोड़ा है, जबकि टाइटन को इस लिस्ट से हटा दिया है। लार्सन एंड टूब्रो और मारुति दोनों को जेम फोकस लिस्ट में भी जोड़ा गया है।
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