मणिपुर हिंसा पर अमित शाह ने विपक्ष को याद दिला दिए उसके कांड
– गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के शासनकाल में मणिपुर में हुई नस्लीय हिंसा गिनाई
– पीवी नरसिम्हा राव के समय नागा-कुकी नस्लीय हिंसा में 750 लोग मारे गए थे
– विपक्ष जवाब मांगता रहा लेकिन संसद में कोई जवाब देने को तैयार नहीं हुआ
– मनमोहन सिंह के पीएम रहते हुए 1 हजार 700 लोगों का एनकाउंटर कर दिया गया
नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा पर गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में विपक्ष की बोलती बंद कर दी। शाह ने मणिपुर में कांग्रेस शासन में हुई नस्लीय हिंसा का रिकाॅर्ड गिनाया तो विपक्षी सांसद सिर झुकाकर सुनते रहे। पूरा संसद केवल शाह की आवाज से गूंज रहा था, वहीं विपक्ष की तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। शाह बोले कि विपक्ष बोलती है मोदीजी मणिपुर पर चुप क्यों हैं, उन्हें मणिपुर के लोगों की चिंता नहीं है तो मैं बता दूं कि उन्होंने मुझे रात 4 बजे फोन किया और दूसरे दिन सुबह 6 बजे फोनकर उठा दिया।
बोले मणिपुर में हिंसा रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करें। हमने मणिपुर में हिंसा रोकने लिए 36 हजार जवानों को तैनात किया, वायुसेना के विमान भेजे गए। सुरक्षा एडवाइजर भेज को भेजा गया और यहां तक कि चीफ सेके्रटरी और डीजीपी तक को बदल दिया गया।
शाह ने कहा कि विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मणिपुर हिंसा पर चुप्पी का आरोप लगा रहे हैं पहले उन्हें अपने गिरेबां में झांकने की जरूरत है। शाह बोले कि सबसे पहले विपक्षी दल मणिपुर की नस्लीय हिंसा के इतिहास को समझें। साल 1993 में पीवी नरसिम्हा राव देश की प्रधानमंत्री थे जबकि मणिपुर में कांग्रेस के मुख्यमंत्री राजकुमार थे।
उस समय मणिपुर में नागा-कुकी नस्लीय हिंसा हुई। इसमें 750 लोग मारे गए, 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए और 45 हजार लोगों को शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर हुए। मणिपुर में इतनी जघन्य घटना हुई लेकिन भारत सरकार की ओर से एक जिम्मेदार व्यक्ति मणिपुर नहीं गया। न ट्र्ाइबल मिनिस्टर गए, न समाज कल्याण विभाग के मंत्री गए और न गृह मंत्री गए। उस समय संसद में विपक्ष बोलते-बोलते थक गए लेकिन गृह मंत्री ने जवाब नहीं दिया। आपको बताउं जवाब किसने दिया एमओएस राजेश पायलट ने।
साल 1993 में ही दूसरी बार मतई-पंगल समुदाय के बीच संघर्ष हुआ। इसमें 100 लोग मारे गए। ये संघर्ष भी एक साल तक चला। विपक्ष पूछता रहा लेकिन इसका जवाब भी संसद में नहीं दिया गया। इसका जवाब गृह मंत्री ने राज्यसभा में दिया और ये लोग बोल रहे हैं प्रधानमंत्री जवाब दें। साल 1997-98 में इंदरकुमार गुजराल के कार्यकाल में कुकी-पायते संघर्ष हुआ।
एक साल तक चली हिंसा में 350 लोग मारे गए। इस हिंसा की तो संसद में चर्चा ही नहीं हुई इतना ही नहीं इस हिंसा पर पूछे गए सभी सवाल खारिज कर दिए गए। साल 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार थी। उस समय में 1 हजार 700 लोगों के एनकाउंटर हुए। एकतरफा कार्रवाई की गई। इस पर भी मनमोहन सिंह की सरकार कुछ बोलने को तैयार नहीं हुई आखिर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संज्ञान लिया।
शाह बोले कि डे वन से बोल रहा हूं कि मैं मणिपुर हिंसा पर जवाब देने के लिए तैयार हूं, और ये लोग प्रधानमंत्री जवाब दो बोलकर पूरा संसद होल्ड किए हुए हैं। ये किस प्रकार का लोकतंत्र है। ये बोलते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर पर चुप क्यों है, बोलते क्यों नहीं। तो आपको बता दूं कि हम बोलने वाले और जवाब देने वाले लोग हैं, हम मौन नहीं रखते हैं।
मणिपुर हिंसा पर मोदीजी कितने चिंतित हैं ये इस बात से पता चलता है कि उन्होंने मुझे रात 4 बजे फोन किया और दूसरे दिन सुबह 6 बजे मुझे उठा दिया। बोले हिंसा रोकने के लिए जोभी हो सके करिए। विपक्ष आरोप लगता है कि प्रधानमंत्री काम नहीं करते तो मैं आपको बता दूं कि हमने मणिपुर 16 वीडियो काॅन्फ्रेंस की, मणिपुर में हिंसा रोकने लिए 36 हजार जवानों को तैनात किया गया, वायुसेना के विमान भेजे गए।
हिंसा को रोकने लिए सुरक्षा एडवाइजर भेज दिया गया। यहां तक कि चीफ सेके्रटरी और डीजीपी तक को बदल दिया गया। हां एक बात और बता दूं कि किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री को तब बदलना पड़ता है जब वो केंद्र सरकार से काॅपरेट न करे। मणिपुर हिंसा रोकने के लिए जो भी हो सका सरकार ने प्रयास किए।
अमित शाह ने क्यों कहा ‘कटकी-बटकी
गृह मंत्री अमित शाह ने यूपीए समेत बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार जमकर निशाना साधा। शाह ने कहा कि जब हम बैंक एकाउंट खोलने के लिए जन-धन योजना लेकर आए तक हमारा खूब मजाक उड़ाया गया। बाद में देश की जनता ने इन लोगों को करारा जवाब दिया। शाह ने आगे कहा कि यूपीए के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि मैं एक रुपया भेजता हूं लेकिन जनता तक 15 पैसे ही पहुंचते हैं। शाह ने कहा कि यूपीए वालों से पूछना चाहता हूं कि 85 पैसा कौन ले जाता था। अरे 85 पैसा वे जाते थे जिनको कटकी-बटकी करना थी।
ऐसे क्या ‘पाप‘ किए कि यूपीए को बदलना पड़ा अपना नाम
गृह मंत्री ने कांग्रेस गठबंधन को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि यूपीए गठबंधन का नाम बदलने की असली वजह 12 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले हैं और इन्हीं घपलो-घाटालों और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए उसने अपना नाम बदला है, लेकिन नाम बदलने से पाप कम नहीं हो जाते हैं।
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