अब इंदौर के 45 हजार परिवारों का चूल्हा कचरे से बनने वाली गैस से जलेगा
– गैस बनाने वाला देश का पहला प्लांट इंदौर में दूसरा संयंत्र प्लांट भोपाल में
– अवंतिका गैस एजेंसी की पाइप लाइन और सीबीजी संयंत्र को इंजेक्शन के माध्यम से जोड़ा
– 5 साल के भीतर ही निकल जाएगी प्लांट की लागत
इंदौर। इंदौर ने सफाई में नंबर वन बनने की शुरुआत करीब आठ साल पहले की थी। अब इंदौर सातवें आसमान को छूने की तैयारी है। इंदौर नगर निगम सरकार से जुड़े एक्सपर्ट्स ने राय दी कि गीले कचरे से न सिर्फ बॉयो सीएनजी बन सकती है, बल्कि खाद भी तैयार हो सकती है। कचरे से गैस बनाने वाला देश का पहला प्लांट इंदौर में लगा है। इसके जरिये संयंत्र में तैयार गैस को सीधे घरेलू कार्यों के लिए उपयोग में लिया जा सकेगा।
कचरे को रिसाइकिल करने से ये मिलेगा
19 फरवरी 2022 को देवगुराड़िया के पास इस प्लांट का उद्घाटन किया गया। जिसके बाद 17 हजार किलोग्राम गैस रोजाना बनाकर पम्पिंग स्टेशंस आदि को सप्लाई होती है। इससे हर महीने 4 करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। दावा है कि 5 से 6 साल में इस प्लांट को बनाने में खर्च किए गए 150 करोड़ रुपए की लागत निकल जाएगी।
कचरा कलेक्शन कर प्लांट तक डंपिंग की प्रोसेस
यहां हम आपको बतादे इंदौर नगर निगम करीब 600 कचरा गाड़ियां शहर में चला रहा है। ये कचरा गाड़ियां घर-घर जाकर गीला, सूखा कचरा, बॉयो मेडिकल वेस्ट आदि अलग-अलग लिया जाता है। यहां से नगर निगम के 10 सब स्टेशनों पर अलग-अलग डंप कर दिया जाता है। यहां से बड़ी गाड़ियों में गीला कचरा लेकर बॉयो सीएनजी प्लांट पर पहुंचाया जाता है। सभी गाड़ियों का कचरा एक जगह इकट्ठा कर दिया जाता है।
अभी तक गैस का उपयोग इन जगहों पर हुआ
कचरे से गैस बनाने की प्रोसेस के बाद पच्चीस दिन में 14-15 हजार टन गैस बनती है। इसका उपयोग अभी तक सिटी बस को चलाने में उपयोग हो रहा था। गैस को फिलिंग स्टेशन तक पहुंचने में कंपनी को काफी खर्च आ रहा है। इस खर्च को कम करने के लिए गैस एजेंसी की पाइप लाइन से इंजेक्शन को जोड़ दिया है। सीबीजी और सीएनजी दोनों लगभग एक समान हैं। सीबीजी को सिर्फ घरेलू उपयोग में लिया जा सकेगा। सीएनजी पाइप लाइन इंजेक्शन क्रोमैटोग्राफ के माध्यम से गैस की गुणवत्ता पर नजर रखता है और एजीएल की उत्पादकता को भी बढ़ाएगा। इस उन्नत सुविधा से कंप्रेशन, ईंधन और परिवहन पर खर्च में कटौती होगी, जिससे शहर में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में काफी हद तक कमी आएगी।
तैयार गैस को सीधे घरेलू कार्यों के लिए उपयोग
घरों से निकलने वाले कचरे से देवगुराडिया स्थित कंप्रेस्ड बायो गैस (सीबीजी) संयंत्र और अवंतिका गैस एजेंसी की पाइप लाइन को इंजेक्शन के माध्यम से मंगलवार को जोड़ दिया गया है। इसके जरिये संयंत्र में तैयार गैस को सीधे घरेलू कार्यों के लिए उपयोग में लिया जा सकेगा। रोजाना संयंत्र से 15 से 17 टन गैस उपलब्ध होगी। महीनेभर में 4.50 लाख टन गैस बनेगी, जो 45 हजार सिलेंडर के बराबर है। अनुमान के मुताबिक प्रत्येक परिवार को महीनेभर में एक सिलेंडर लगता है। इस लिहाज से शहर के 45 हजार परिवार का चूल्हा कचरे से बनने वाली गैस से जलेगा।
पीपीपी मॉडल से बायो सीएनजी प्लांट का संचालन
प्लांट का संचालन इंदौर क्लीन एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड कर रही है, जो एवर एनवायरो रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की सब्सिडियरी है। प्लांट पर बिजली की खपत लगभग 19 हजार यूनिट प्रतिदिन है। प्रतिदिन 12 लाख रुपए की बायो सीएनजी की बिक्री होती है और डेढ़ लाख रुपए का खाद बेचा जाता है। 3.5 से 4 करोड़ रुपए महीने की सेल प्लांट से बायो सीएनजी और खाद की होती है। अलग-अलग शिफ्ट में कुल करीब 120 कर्मचारी प्लांट पर काम करते हैं। इंदौर नगर निगम ने 15 एकड़ जमीन प्लांट के लिए दी है।
भोपाल में होगा दूसरा संयंत्र प्लांट
इंदौर के बाद प्रदेश में दूसरा संयंत्र भोपाल में लगाया जाएगा। सालभर के भीतर 20 संयंत्र लगाए जाएंगे, जिसमें आठ उत्तर प्रदेश, दस पंजाब और एक-एक दिल्ली व भोपाल में लगेगा। यह काम दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है। 550 टन कचरे से 40 टन खाद भी तैयार हो रही है। इसका इस्तेमाल नगर निगम उद्यानों में करने में लगा है।
प्लांट से पर्यावरण को फायदा
प्लांट के माध्यम से एक साल में 1 लाख 30 हजार टन कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकेगा। इससे फिलहाल ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आई है। ग्रीन एनर्जी भी मिल रही है साथ ही ऑर्गेनिक कंपोस्ट का उत्पादन भी हो रहा है।
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